मेरा आँगन

मेरा आँगन

Monday, December 31, 2012

सुशीला शिवराण की दो कविताएँ




सुशीला शिवराण

आज फिर गोलू
पहुँचा अपनी प्यारी दुनिया में
खुशबुओं की क्यारी में
रंग-बिरंगे फूल खिले थे
तरुवर
 तन कर खड़े थे
भँवरे
 गुंजन कर रहे थे
पक्षी खूब चहक रहे थे
नाचा बहुत सुंदर मोर
कारे बदरा सुहानी भोर
पंछी उड़ते नीड़ की ओर
उसे खींचते अपनी ओर

गाल पे  बैठी एक तितली
उसकी प्यारी मुस्कान खिली
बहुत भाई उसे  ये दुनिया
कूचीरंगों में समेट के दुनिया
पुलकित गोलू पहुँचा रसोई
मम्मी ज़ोर से बड़बड़ाईं
सहमे-सहमे ही चित्र बढ़ाया
फ़ुर्सत नहीं मम्मी चिल्लाई
भारी कदमों से बढ़ा रीडिंग रूम
कंप्यूटर चालू ,पापा गुम
धीरे से पुकारा,"पापा"
बिन देखे झल्लाए पापा -
"देखते नहीं फ़ुर्सत नहीं ?
बाद
 में कहना!"
-0-
2-किसकी रोटी?

दो बिल्लियाँ
पक्की सहेलियाँ
एक ने देखी रोटी
दूजी ने लपक उठाई
पहली बोली - मेरी रोटी
दूजी बोली- हट मेरी है
पहली कहती – मैंने देखी पहले
यह रोटी मेरी है
दूजी बोली उससे क्या
लपक उठाई मैंने
यह तो अब मेरी है!

दोनों में हुआ विवाद बहुत
बुलाए गए बंदर मामा

जानके झगड़ा रोटी का
खूब मुस्काए बंदर मामा
‘’ला दो एक तराजू’’- बोले
‘’रोटी को हम आधा तोलें ।’’

चालाक बड़े थे बंदर मामा
रोटी के दो भाग किए
एक बड़ा और एक छोटा
पलड़ों में वो रख दिए
तोड़ा बड़ा टूक, झुके पलड़े से
लगते देखो कितने सीधे-से
झुका पलड़ा दूजा जब
तोड़ा टूक वहाँ से तब
झुकते पलड़े बारी-बारी
चट कर गए वे रोटी सारी!

बिल्लियों का बड़ा बुरा था हाल
चूहों ने जब पेट में मचाया धमाल
दोनों को भैया एक बात समझ में आई
अच्छी नहीं होती देखो आपस की लड़ाई।
-0-


Thursday, November 15, 2012

आ जा रे चन्दा ! (लोरी)


डॉ सुधा गुप्ता

आ जा रे चन्दा !
मुनिया की आँखों में
निंदिया छाई
रेशम के पंखों पे
बैठ के आई
शहद -भरी लोरी
      सुना जा रे चन्दा !
आ जा रे चन्दा !
मुनिया की आँखों में
      मीठे सपने
घूम-घूम, झूम
      तितली लगी बुनने
जादू -भरी छड़ी
      छुआ जा रे चन्दा !
आ जा रे चन्दा !
-0-

Wednesday, November 14, 2012

माँ कहती है-



डॉ• ज्योत्स्ना शर्मा

सब मुझको "मीठी" कहते हैं 
,
माँ कहती है कम बतियाओ ।

मेरी फ्राक बड़ी है सुन्दर
 
माँ कहती है मत इतराओ ।






पापा कहते परी हूँ उनकी ,

माँ कहती है मुँह धो आओ । 


बच्चे कहते आओ खेलें ,

माँ कहती है -पढने जाओ ।


प्यारी सखी  से हुई लड़ाई

माँ कहती है- भूल भी जाओ । 


मेरी गुड़िया सोई न अब तक ,

माँ कहती है- अब सो जाओ । 


आँख में आँसू देखे- बोले 
,
गले लगा लूँ पास तो आओ ।
-0-


Sunday, September 23, 2012

भैया बहुत सताए मुझको


डॉ ज्योत्स्ना शर्मा


भैया बहुत सताए मुझको
चोटी खींच रुलाए मुझको ।
गुड़िया मेरी छीने भागे
पीछे खूब भगाए मुझको ।

मेरी पुस्तक ,रंग उसके हैं
खेलें कैसे, ढंग उसके हैं
क्या खाना है, क्या पहनाऊँ
नए- नए हुड़दंग उसके हैं ।

फिर भी तुमको क्या बतलाऊँ
प्यार उसी पर आए मुझको  ।
मेरा प्यारा न्यारा भैया  ,
कभी दूर ना भाए मुझको ।
-0-

Monday, June 18, 2012

स्वागत

1-सुदर्शन रत्नाकर
1
स्वागत शिशु
आगमन तुम्हारा
खुशियाँ लाया ।
2
तेजस्वी बनो,
नाम रोशन करो,
दुआ है मेरी








2- रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
1
तरु हर्षित
उगी नई  कोंपल
शान्त कोमल  ।
-0-











3-कमला निखुर्पा
1
पलकें मूंदे
जगाए है सबको
नन्हा हाइकु |
2
बंद ये  मुट्ठी
खुशियाँ  बिखराए
नन्हा हाइकु |
-0-

Wednesday, April 11, 2012

अन्तर समझिएगा


 किसी भी  शब्द में दो स्वर एक साथ  नहीं जुड़ते ।   हिन्दी के प्रकाशक भी इन गलतियों के लिए जिम्मेदार हैं ।
वर्ण विन्यास समझ लें तो दिक्कत नहीं होगी ।
1-प्+र्+अ=प्र
2-द्+ध्+अ= द्ध
3-श् + र्+अ= श्र
4-श्+ॠ = शृ
 5-श् +र्+अ+ॠ =  श्रृ= हिन्दी में इसका अस्तित्व केवल गलत प्रयोगों में है ।कारण,दो स्वर एक साथ नहीं आ सकते।
6-ध्द=X कुछ लोग युध्द इस तरह लिखते हैं , जो गलत है ।
सही रूप है -युद्ध
8-कोई महाप्राण इस रूप में अल्पप्राण से पहले नहीं आता ।
र् का प्रयोग -क+र्+म= कर्म  अगले वर्ण पर होता है । कुछ लोग  आशीर्वाद को  भूलवश  आर्शीवाद लिखते हैं ।
श के पहले भाग को अलग घुण्डी की तरह भी बनाया जाता है जो पुराने समय से आज तक शब्दकोशों में शामिल है ।
इसे शब्द चित्र में समझाया गया है ।

Tuesday, April 3, 2012

BABY RAIN



                             



BABY RAIN
                             

I saw

A rainbow
This morning
Hiding  behind
A  leafless tree.

Calling me
To climb upon...
Fly in to the sky,
to play
with the the birds
to dance
in the baby rain
just coming out
from the Mama cloud.
                                   by :Ela Kkulkarni
GRADE-3
Mrs. Carstensan
Fairlands Elementary
इला कुलकर्णीउम्र - ८ वर्षकक्षा - ३ की छात्रा, निवास प्लेसंटन - कैलिफोर्निया
 अन्य अभिरुचियाँ... चित्रकारी, तैराकी एवं विभिन्न विषयों पर पुस्तकों 



Saturday, March 17, 2012

Des Raag - Indian Patriotism - Jai Hind

अन्वीक्षा की भावपूर्ण कविता -संगीत और स्वर सन्दीप खुराना यहाँ  क्लिक कीजिएगा ।
   

Saturday, March 3, 2012

बाल साहित्य की शृंखला में तीन पुस्तकें

विश्व पुस्तक मेले के हाल  क्रमांक 11 में बाल कथाओं की तीन पुस्तकें-
 1-एक लोटा पानी -श्याम सुन्दर अग्रवाल
















 2-अक्ल बड़ी या भैंस -सुकेश साहनी 




 3-रोचक बाल कथाएँ-रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
[ सिद्धार्थ बुक्स,शाहदरा दिल्ली-93)

Friday, March 2, 2012

भर ओक बाँटे वह खुशियाँ


डॉ हरदीप कौर सन्धु

हमारे घर आई एक नन्हीं परी 
कितनी भोली और मासूम सी 
फूलों जैसे खिला है चेहरा
खिल-खिल वह हँसती है
कद से वह लम्बी दिखती 
अभी भोली बातें करती है 
भर ओक  बाँटे वह खुशियाँ 
दुःख कभी न आएँ अंगना
हर पल एक नई  सौगात बन जाए 
जिन्दगी सतरंगी कायनात बन जाए 
रहे भरता सदा रब 
उसकी तमन्नाओं की पिटारी को 
चल काला टीका लगा दूँ 
कहीं नजर न लग जाए 
मेरी परियों जैसी धी -रानी को 
-0-


Wednesday, February 15, 2012

मेरी मुनिया

खिलखिलाई
पहाड़ी नदी-जैसी
मेरी मुनिया ।



इन हाइकु को देने का लोभ संवरण नहीं कर पा रहा हूँ-

सुदर्शन रत्नाकर
1
तुम्हारी हँसी
सितार बजा गई
सूने घर में ।
2
धूप
-सी हँसी
आँगन में उतरी
सहला गई ।



Friday, January 27, 2012

किचन की रानी


-रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'

गुड़िया रानी बनी सयानी
कुछ  करके  दिखलाएगी ।
किचन का सभी काम सँभाला
दाल और भात पकाएगी ॥