मेरा आँगन

मेरा आँगन

Wednesday, February 15, 2012

मेरी मुनिया

खिलखिलाई
पहाड़ी नदी-जैसी
मेरी मुनिया ।



इन हाइकु को देने का लोभ संवरण नहीं कर पा रहा हूँ-

सुदर्शन रत्नाकर
1
तुम्हारी हँसी
सितार बजा गई
सूने घर में ।
2
धूप
-सी हँसी
आँगन में उतरी
सहला गई ।