मेरा आँगन

मेरा आँगन

Saturday, September 7, 2013

FAIRYTALE FANTASY ( 5th Sept-2013)

FAIRYTALE FANTASY-

-ANVIKSHA SHRIWASTAVA

a fairy

enters my 

dream

she holds 

me in

her arms

and fills

me with 

love

she whispers 

to my heart

as if she

is a magician

and  with

a wave of

her wand

she  can 

bring out 

my confidence

like a rabbit

in a hat

she  makes 

me sparkle

as she 

flutters

her way

to my

every need 

she is 

a fairy

who I 

call

MOM

 

-0-

Sunday, July 21, 2013

एक उड़ान यह भी

 कार्तिकेय की सफलता के लिए हमारा साहित्य -परिवार कोटिश: शुभकामनाएँ व्यक्त करता है और उज्ज्वल भविष्य के आशान्वित है। डॉ सुधा गुप्ता जी की यह परिवार-बेल इसी प्रकार अहर्निश उन्नति पथ पर अग्रसर रहे ।


Monday, July 15, 2013

रोचक बाल साहित्य


कहाँ गए कुत्ते के सींग ?
पहले दुनिया ऐसी नहीं थी; यह बात वैज्ञानिक भी मानते हैं और समाज भी। पूर्वोत्तर राज्यों में यह मान्यता है कि पहले कुत्ते के सींग होते थे। फिर वे सींग गए कहाँ ? कहीं तो गए होंगे ना ? यह पुस्तक नगालैण्ड की एक ऐसी ही मान्यता पर आधरित है।

लो गर्मी आ गई
मौसम का बदलना महसूस करना बेहद जटिल है। कहा नहीं जा सकता कि कल से अमुक ऋतु आ जाएगी। लेकिन भारतीय वार-त्योहार बदलते मौसम की ओर इशारा करते हैं। रंगों का त्योहार होली किस तरह से गर्मी के आने की दस्तक देता है ? जरा इस पुस्तक के रंगों में डूब कर तो देखो !

दूर की दोस्त
चिड़िया भी आसमान में उड़ती है और वायुयान भी, लेकिन दोनों एक दूसरे को देख कर दूर भागते हैं। यह कहानी है ऐसी ही दूर की दोस्ती की।

पहिया



गाँव के बच्चे का खिलौना, दोस्त, हमराही ; सभी कुछ एक उपेक्षित सा पड़ा पहिया बन जाता है। एक पहिए की नजर एक गाँव का सफर ।

सुदर्शन रत्नाकर
1
तुम्हारी हँसी
सितार बजा गई
सूने घर में ।
2
धूप
-सी हँसी
आँगन में उतरी
सहला गई।

-0-

किचन की रानी


-रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'

गुड़िया रानी बनी सयानी
कुछ  करके  दिखलाएगी ।
किचन का सभी काम सँभाला
दाल और भात खिलाएगी ॥

Saturday, July 13, 2013

सुनहरी सुबह




पंछियों ने चहककर कहा-
उठो, जागो, प्यारे बच्चो कि तुम्हे स्कूल बुला रहा है |

चुपके से ठंडी हवा ने कपोलों को छूकर कहा-
खिड़कियाँ खोलो जरा, देखो तुम्हें नजारा बुला रहा है
वो देखो बादलों की रजाई में दुबका सूरज भी कुनमुनाकर जाग उठा है
तुम भी आलस छोडो प्यारे बच्चो कि तुम्हे स्कूल बुला रहा है |

पलकें उठाकर तो देखो अपनी बगिया को
रंग बिरंगी यूनिफार्म में सजकर तितलियाँ भी पराग लेने चल पड़ीं हैं
तुम भी चल पड़ो बस्ता लेकर कि तुम्हें स्कूल बुला रहा है |

पन्ने फडफड़ाकर कब से तुम्हें जगा रही है तुम्हारी प्यारी कॉपी
कह रही, संग चलूंगी मैं भी, छोड़ न देना मुझे घर पे अकेली |
अरे रे ..मचल उठी है नन्हीं कलम भी , हाथों में आने को बेकल
लुढ़क ना जाए रूठकर उसे थाम लो तुम
लिख डालो नई इबारत कि तुम्हें स्कूल बुला रहा है |

आओ कि बाहें फैलाकर खड़ा है विद्यालय प्रांगण
हँसा दो अपनी खिलखिलाहट से कि गूँजे दिशाएँ
आओ कि पेड़ों ने तुम्हारी राहों में फूल बिखराए है
नन्हे हाथों से तुमने रोपे थे जो पौधे
प्यास उनकी बुझा दो कि तुम्हे स्कूल बुला रहा है |

देखो तो ज़रा , द्वार पे खड़ा सुरक्षा- प्रहरी
तुम्हारे स्वागत में, मूँछों में मुस्कराया है |
तोतली मीठी बोली में काका सुनकर मन उसका हरषाया है |
बाँध लो सबको पावन रिश्तों में कि तुम्हें स्कूल बुला रहा है |

आशीष तुम्हे देने को कब से खड़ी माँ शारदा वागेश्वरी
वीणा के तारों को सुर दो कि तुम्हें स्कूल बुला रहा है |
नन्ही उँगलियों से थामकर कलम को
चल पड़ो सृजन पथ पर कि तुम्हें स्कूल बुला रहा है |

चले आओ प्यारे बच्चो कि तुम्हें स्कूल बुला रहा है |



कमला निखुर्पा 
प्राचार्य,
के.वि.क्रमांक २ सूरत 

Friday, June 7, 2013

हार्दिक शुभ कामनाएँ-5 जून-6 जून

शान्तनु काम्बोज
शान्तनु काम्बोज और तरुणा काम्बोज
"उपवन के प्यारे पुष्पों को
           खिलती खूब बहार मिले ,
सुन्दर सरस मधुर हो जीवन
           स्नेहपूर्ण व्यवहार मिले |
नयी मंजिलें ,शिखर नए हों
           नित नित हो आगे बढ़ना
पग पग पर पथ सरल हो इतना
           कठिनाई को हार मिले.......
प्रिय शान्तनु(नन्हा हाइकु)और
सुशान्त काम्बोज,( बैठे मयंक , मिहिर)
उसके माता-पिता जी ..
व परिवारी जन को 
जन्म दिवस पर 
हार्दिक शुभ कामनाओं के साथ ...:))

डॉ ज्योत्स्ना शर्मा

Saturday, May 18, 2013

नवांकुर


आज नवांकुर  में प्रस्तुत है , बहुमुखी प्रतिभा की धनी अन्वीक्षा श्रीवास्तव , कैलिफ़ोर्निया और कविता में कलम आज़माने वाले ॠतिक काम्बोज
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1-सम्मान
-अन्वीक्षा श्रीवास्तव



2-कविताएँ
-ॠतिक काम्बोज
1-दान
जो नर आत्म-दान से अपना जीवन-घट भरता है,
वही मृत्यु के मुख मे भी पड़कर न कभी मरता है।
 दान कर मनुष्य स्वयं को जीने योग्य है बनाता,
दान करने से मनुष्य का क्या है जाता।
दान करोगे तो तुम्हरा ही मान है,
इसे अगर अह्सान समझोगे
तो तुम्हारा जीना ही बेकार है।
यह न स्वत्व का त्याग है,
यह न कोइ व्यर्थ आदान-प्रदान है,
बल्कि स्वर्गलोक मे जाने का यह सबसे आसान काम है।।
-0-
2-प्रकृति के पेड़ पौधे 

पेड़ –पौधे सब कहते रहते
हम जीवन तुमको है देते
फ़िर भी हर दिन काट हमे
इतना कष्ट क्यो तुम हमको देते
बारिश लाते ,छाँव बिछाते
सब के रहने का आशियाना बसाते
फ़िर भी तुम हो हमे काटते
फिर भी तुम हो हमे सताते
क्सिजन वह कहाँ से आएगी
फल सब्जियाँ भी समाप्त हो जाएँगी
और काटोगे अगर तुम हमें
तो कल तुम्हे हमारी ही याद आएगी
अब भी है कहते हम तुमको
प्रकृति हरी- भरी बनाओ
काटो न तुम हम सबको
हरियाली तुम हर जगह फैलाओ
ताज़ा हो जाएगी वह चाय की चुस्की
जो तुम्हे है सर्दियो में पसन्द
और छा जाएगी फ़ुलवारी ,
जब आ जाएगा वसन्त



फिर प्यारी –प्यारी धूप खिलेगी
सबको एक प्यारी ज़िन्दगी मिलेगी
चहक उठेंगे पक्षी गगन में
जब हरियाली धरा पर झूम उठेगी
घूमना ठण्डी-ठण्डी हवा मे तुम
संग खाते सेब, केले और अंगूर
पर चाहिए अगर ऐसी ही ज़िन्दगी
तो न कर देना प्रकृति की हरियाली दूर
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3- माँ
माँ का आँचल, माँ का प्यार
जिसने पाया , यह सुखी संसार
माँ, नहीं जाने कोई तेरी माया
तूने ही यह जीवन बनाया
धूप -छाँव में चलती रहती
फिर भी उफ़ तक करती
सारे कष्ट सह हमें खुश रखती
हम गलती करे माँ डाट पिलाती
माँ अगले ही क्षण प्यार जताती
जब बच्चो को दर्द सताए
तब माँ का दर्द दुगुना हो जाए
माँ सुबह जल्दी उठ जाती
बड़े प्यार से हमें जगाती
बच्चो हो जाओ तैयार
करना है छुट्टियों का काम
माँ पढ़ते- पढ़ते हो गए बोर
छुट्टियों मे छाया मस्ती का दौर
आओ मिलकर सब चले
अपनी नानी - दादी की ओर
हे लोगो पत्थर न पूजो
पूजो माँ को बारमबार
यही है असली स्वर्ग का द्वार
यही है माँ का प्यार
यही है माँ का प्यार
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