मेरा आँगन

मेरा आँगन

Saturday, July 13, 2013

सुनहरी सुबह




पंछियों ने चहककर कहा-
उठो, जागो, प्यारे बच्चो कि तुम्हे स्कूल बुला रहा है |

चुपके से ठंडी हवा ने कपोलों को छूकर कहा-
खिड़कियाँ खोलो जरा, देखो तुम्हें नजारा बुला रहा है
वो देखो बादलों की रजाई में दुबका सूरज भी कुनमुनाकर जाग उठा है
तुम भी आलस छोडो प्यारे बच्चो कि तुम्हे स्कूल बुला रहा है |

पलकें उठाकर तो देखो अपनी बगिया को
रंग बिरंगी यूनिफार्म में सजकर तितलियाँ भी पराग लेने चल पड़ीं हैं
तुम भी चल पड़ो बस्ता लेकर कि तुम्हें स्कूल बुला रहा है |

पन्ने फडफड़ाकर कब से तुम्हें जगा रही है तुम्हारी प्यारी कॉपी
कह रही, संग चलूंगी मैं भी, छोड़ न देना मुझे घर पे अकेली |
अरे रे ..मचल उठी है नन्हीं कलम भी , हाथों में आने को बेकल
लुढ़क ना जाए रूठकर उसे थाम लो तुम
लिख डालो नई इबारत कि तुम्हें स्कूल बुला रहा है |

आओ कि बाहें फैलाकर खड़ा है विद्यालय प्रांगण
हँसा दो अपनी खिलखिलाहट से कि गूँजे दिशाएँ
आओ कि पेड़ों ने तुम्हारी राहों में फूल बिखराए है
नन्हे हाथों से तुमने रोपे थे जो पौधे
प्यास उनकी बुझा दो कि तुम्हे स्कूल बुला रहा है |

देखो तो ज़रा , द्वार पे खड़ा सुरक्षा- प्रहरी
तुम्हारे स्वागत में, मूँछों में मुस्कराया है |
तोतली मीठी बोली में काका सुनकर मन उसका हरषाया है |
बाँध लो सबको पावन रिश्तों में कि तुम्हें स्कूल बुला रहा है |

आशीष तुम्हे देने को कब से खड़ी माँ शारदा वागेश्वरी
वीणा के तारों को सुर दो कि तुम्हें स्कूल बुला रहा है |
नन्ही उँगलियों से थामकर कलम को
चल पड़ो सृजन पथ पर कि तुम्हें स्कूल बुला रहा है |

चले आओ प्यारे बच्चो कि तुम्हें स्कूल बुला रहा है |



कमला निखुर्पा 
प्राचार्य,
के.वि.क्रमांक २ सूरत 

9 comments:

sushila said...

सुन्दर भावों और प्रवाह के साथ बहुत ही खूबसूरत रचना । स्वयं को हर शब्द में पाया .....मेरे भाव आपकी कलम से .....कह सकती हूँ ना कल्पना जी ?

Subhash Chandra Lakhera said...

जहां कमला जी जैसे प्राचार्य होंगे वहां के बच्चों की सुबह तो सुनहरी होगी ही ! इतनी सुन्दर उद्देश्यपूर्ण रचना के लिए बधाई !

Krishna said...

बहुत सुन्दर रचना....कमला जी हार्दिक बधाई!

Dr.Anita Kapoor said...

सुन्दर उद्देश्यपूर्ण रचना के लिए बधाई !

सुरेन्द्र "मुल्हिद" said...

beautiful

Kamlanikhurpa@gmail.com said...

सबका आभार ..तहे दिल से शुक्रिया

Kamlanikhurpa@gmail.com said...

हाँ सुशीलाजी आप अवश्य कह सकती है ... आखिर हम सबके अन्दर एक नन्हा बालक हमेशा खेलता रहता है ... अपने स्कूल को मिस करता रहता है ..

प्रियंका गुप्ता said...

बहुत प्यारी रचना...स्कूल जाने को प्रेरित कर दे हर बच्चे को...|
बहुत बधाई...|

प्रियंका गुप्ता

Rachana said...

आशीष तुम्हे देने को कब से खड़ी माँ शारदा वागेश्वरी
वीणा के तारों को सुर दो कि तुम्हें स्कूल बुला रहा है |
नन्ही उँगलियों से थामकर कलम को
चल पड़ो सृजन पथ पर कि तुम्हें स्कूल बुला रहा है |

चले आओ प्यारे बच्चो कि तुम्हें स्कूल बुला रहा है |
are wah kya baat hai apne din yad agaye kyuki jab bachche na ho school me to bahut bura lagta tha

sunder kavita
rachana