मेरा आँगन

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Thursday, March 22, 2018

146-पानी



28 comments:

नीलाम्बरा.com said...

सारगर्भित एवं चिंतनीय, हार्दिक बधाई

सहज साहित्य said...

बहुत आभार कविता जी। आज व्यस्त रहने के कारन पोस्त लगाने में विलम्ब हुआ।

Krishna said...

अति सुंदर सार्थक रचना...हार्दिक बधाई।

नीलाम्बरा.com said...

सारगर्भित, बधाई

Dr.Bhawna Kunwar said...

bhut sarthak rchna bahut bahut badhai...

सहज साहित्य said...

कृष्णा जी ,भावना जी बहुत आभार

Manju Mishra said...

बहुत ही सुन्दर ढंग से पानी से सम्बन्धित मुहावरों का प्रयोग सिखाया जा सकता है इस कविता के माध्यम से । "माटी पानी और हवा" में माटी मे जो सहजता और प्रवाह है वो मिट्टी कहने मे बाधित होता है । वैसे भी अापकी रचना मे कोई भी बदलाव अापकी अनुमति के बिना नहीं किया जाना चाहिये था

खैर जो भी है कविता बहुत सुन्दर है, बहुत बहुत बध़ाई

सादर
मंजु

सहज साहित्य said...


पुस्तक का नाम मैंने 'माटी पानी और हवा ' रखा था , जिसको सरकारी विद्वानों ने माटी की जगह मिट्टी कर दिया। इस कविता में पूछते को पूँछते कर दिया और दुनिया को दुनियाँ, जो गलत हैं। on 146-पानी

सविता मिश्रा 'अक्षजा' said...

वाह क्या पानी का गुणगान किया
पानी को ही आपने पानी पिला दिया
पानी देख रहा खुद को अब तो पानी मे
पानी को सिर के ऊपर से गुजार ढिया। सविता
बहुत बढ़िया लगी पानी पर कविता भैया😊😊😊🙏

सुनीता काम्बोज said...

सुंदर ,सार्थक सृजन के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय ।🙏🙏🙏👏👏👏👏

Anonymous said...

सोचा नहीं था कि पानी के विभिन्न अर्थों एवं प्रयोगों को एक ही स्थान पर इतनी सुन्दरता से प्रकट किया जा सकता है | पानी की महिमा का सुन्दर वर्णन | बहुत-बहुत बधाई आपको |
पूर्वा शर्मा

Dr. Sushma Gupta said...

सुंदर सार्थक सृजन
सच पानी बिना कुछ नही ।
बधाई भइया

Dr. Sushma Gupta said...

सुंदर सार्थक सृजन
सच पानी बिना कुछ नही ।
बधाई भइया

Jyotsana pradeep said...


सुंदर ,सार्थक सृजन के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय !!

सुनीता शर्मा 'नन्ही' said...

पानी की गुणवत्ता तो पारखी ही जानते हैं और मुहावरों का यूँ पानीमयी समावेश अदभुत ,दुर्लभ व मनन योग । दिली दाद आपको आदरणीय सर जी सादर अभिनंदन 💐💐

कथाकार said...

दोनों अर्थों में पानी के महत्व को रेखांकित करती शानदार अर्थगर्भी कविता, बधाई!

रश्मि शर्मा said...

बहुत बढ़िया सृजन

सीमा जैन भारत said...

बहुत सुंदर, पानी के साथ जीवनके हर रंग को आपने बड़ी ख़ूबसूरती से समेटा है!

ज्योति-कलश said...

पानीदार मुहावरों के साथ बहुत सुंदर रचना !सरल, सहज ग्राह्य ...अनुपम सृजन के लिए हार्दिक बधाई।

सहज साहित्य said...

सभी गुणिजन का बहुत -बहुत आभार। आप सबकी सराहना मेरी शक्ति है। काम्बोज

Vibha Rashmi said...

पानी के मुहावरों का कविता में सुन्दर व सहज प्रयोग ने कविता को सारगर्भित व सार्थक फना दिया है । हृदयतल से बधाई हिमांशु भाई ।

Pushpa mehra said...


मुहावरों के माध्यम से पानी का महत्व दर्शाती कविता पढ़ कर मुझे कविवर रहीम दास जी का निम्न
दोहा याद आ गया :

' रहिमन पानी राखिये,बिन पानी सब सून|
पानी बिना न उबरे,मोती मानुस चून ||'
पुष्पा मेहरा

Gunjan Garg Agarwal said...

बहुत बढ़िया सार्थक सृजन ..👌👌 हार्दिक बधाई भैया

Anita Lalit (अनिता ललित ) said...

बहुत ही सुंदर एवं सार्थक कविताएँ ! हार्दिक बधाई भैया जी!!!

~सादर
अनिता ललित

Jyotsana pradeep said...

बेहद खूबसूरत ..कमाल की रचना है आद.भैया जी, बहुत - बहुत बधाई आपको !

प्रियंका गुप्ता said...

बहुत ही सुन्दर रचना...| बच्चों को मानो खेल खेल में कितनी गंभीर बात भी सिखा दी और साथ ही इतने मुहावरों से भी इस तरह परिचित करवाया कि उन्हें हमेशा याद रह जाएगा |
बहुत बहुत बधाई और आभार भी...एक बार फिर हमे बचपन में ले जाकर कुछ सिखाने के लिए...|

मंजूषा मन said...

बहुत सुंदर कविता सर... पानी पर प्रचलित मुहावरों का अति सुंदर और सटीक प्रयोग हुआ

बधाई

मंजूषा मन said...

बहुत सुंदर कविता सर... पानी पर प्रचलित मुहावरों का अति सुंदर और सटीक प्रयोग हुआ

बधाई