मेरा आँगन

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Saturday, May 18, 2013

नवांकुर


आज नवांकुर  में प्रस्तुत है , बहुमुखी प्रतिभा की धनी अन्वीक्षा श्रीवास्तव , कैलिफ़ोर्निया और कविता में कलम आज़माने वाले ॠतिक काम्बोज
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1-सम्मान
-अन्वीक्षा श्रीवास्तव



2-कविताएँ
-ॠतिक काम्बोज
1-दान
जो नर आत्म-दान से अपना जीवन-घट भरता है,
वही मृत्यु के मुख मे भी पड़कर न कभी मरता है।
 दान कर मनुष्य स्वयं को जीने योग्य है बनाता,
दान करने से मनुष्य का क्या है जाता।
दान करोगे तो तुम्हरा ही मान है,
इसे अगर अह्सान समझोगे
तो तुम्हारा जीना ही बेकार है।
यह न स्वत्व का त्याग है,
यह न कोइ व्यर्थ आदान-प्रदान है,
बल्कि स्वर्गलोक मे जाने का यह सबसे आसान काम है।।
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2-प्रकृति के पेड़ पौधे 

पेड़ –पौधे सब कहते रहते
हम जीवन तुमको है देते
फ़िर भी हर दिन काट हमे
इतना कष्ट क्यो तुम हमको देते
बारिश लाते ,छाँव बिछाते
सब के रहने का आशियाना बसाते
फ़िर भी तुम हो हमे काटते
फिर भी तुम हो हमे सताते
क्सिजन वह कहाँ से आएगी
फल सब्जियाँ भी समाप्त हो जाएँगी
और काटोगे अगर तुम हमें
तो कल तुम्हे हमारी ही याद आएगी
अब भी है कहते हम तुमको
प्रकृति हरी- भरी बनाओ
काटो न तुम हम सबको
हरियाली तुम हर जगह फैलाओ
ताज़ा हो जाएगी वह चाय की चुस्की
जो तुम्हे है सर्दियो में पसन्द
और छा जाएगी फ़ुलवारी ,
जब आ जाएगा वसन्त



फिर प्यारी –प्यारी धूप खिलेगी
सबको एक प्यारी ज़िन्दगी मिलेगी
चहक उठेंगे पक्षी गगन में
जब हरियाली धरा पर झूम उठेगी
घूमना ठण्डी-ठण्डी हवा मे तुम
संग खाते सेब, केले और अंगूर
पर चाहिए अगर ऐसी ही ज़िन्दगी
तो न कर देना प्रकृति की हरियाली दूर
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3- माँ
माँ का आँचल, माँ का प्यार
जिसने पाया , यह सुखी संसार
माँ, नहीं जाने कोई तेरी माया
तूने ही यह जीवन बनाया
धूप -छाँव में चलती रहती
फिर भी उफ़ तक करती
सारे कष्ट सह हमें खुश रखती
हम गलती करे माँ डाट पिलाती
माँ अगले ही क्षण प्यार जताती
जब बच्चो को दर्द सताए
तब माँ का दर्द दुगुना हो जाए
माँ सुबह जल्दी उठ जाती
बड़े प्यार से हमें जगाती
बच्चो हो जाओ तैयार
करना है छुट्टियों का काम
माँ पढ़ते- पढ़ते हो गए बोर
छुट्टियों मे छाया मस्ती का दौर
आओ मिलकर सब चले
अपनी नानी - दादी की ओर
हे लोगो पत्थर न पूजो
पूजो माँ को बारमबार
यही है असली स्वर्ग का द्वार
यही है माँ का प्यार
यही है माँ का प्यार
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17 comments:

sushila said...

बाल प्रतिभाओं को असीम स्नेह और शुभकामनाएँ !
अपनी रचनात्मकता को नित नए आयाम दें ।

मंजुल भटनागर said...

प्रकृति के पेड़ पौधे एक सुन्दर कविता है ,हमारे बच्चे पर्यावरण को जाने ,और जाने की धरती को संभाल कर रखना है यह धरोहर है आने वाले कल की .बधाई सभी सुन्दर कविताओ के लियें मंजुल भटनागर

भावना सक्सैना said...

सभी कविताएँ सुंदर और संवेदनशील हैं...
ऋतिक व अन्वीक्षा को बधाई व ढेरों शुभकामनाएँ

उमेश महादोषी said...

बच्चों के यह ब्लॉग देखकर अच्छा लगा। असीम शुभकामनाएँ ! ये बच्चे निरंतर आगे बढ़ते रहें, ढेर सारा आशीष!

महेन्द्र श्रीवास्तव said...

बहुत सुंदर
शुभकामनाएं

ऋता शेखर 'मधु' said...

ऋतिक व अन्वीक्षा को बधाई व ढेरों शुभकामनाएँ!!

Manju Gupta said...

सभी को हार्दिक बधाई .पंतग के बाल गोपालों की उड़ानों ने साहित्य में धमाल मचा दिया .

मंजू गुप्ता

वाशी , नवी मुंबई

भारत .

मंजू गुप्ता said...

बाल गोपालों की साहित्यिक उड़ानों को बधाई .

manju gupta said...

बाल गोपालों की साहित्यिक उड़ानों को बधाई .

Krishna said...

बहुत सुन्दर कविताएं!
अन्वीक्षा वा ऋतिक को बहुत शुभकामनाएं!

Rachana said...

beta aapne to badon badon ki chhutti kar di hai .itne pyare pyare shbdon ka prayog kiya hai ki man khush ho gaya .aapto bahut hi achchha likh lete hai .bhagvan aapko sada khush rakhe .
bhaiya Anviksha ko yahan sthan dene ke liye abhar aap sabhi ka sneh hai jo Anviksha ko ye puraskar mila hai
dhnyavad
Rachana

हरकीरत ' हीर' said...

बहुत अच्छी कवितायेँ लिखी बच्चों ने ...ऋतिक आपका बेटा है ...?

ज्योत्स्ना शर्मा said...

प्रिय ऋतिक और अन्वीक्षा की सुन्दर भावनाओं से भरी रचनाएँ मन मोह लेने वाली हैं ...निरंतर प्रगति की और अग्रसर हों ऐसी शुभकामनाओं के साथ
ज्योत्स्ना शर्मा

प्रियंका गुप्ता said...

सबसे पहले तो अन्वीक्षा और ऋतिक को बहुत बधाई और शुभकामनाएँ...|
छोटे से ऋतिक की कविताओं का आकाश तो बहुत विस्तृत है...| अच्छा महसूस हुआ ये देख कर कि उसके बालमन में भी कितनी सजगता और भावुकता है...| आज की पीढी के लिए ऐसे ही बच्चे आशा जगाए रखते हैं...|
दोनों बच्चों के उज्जवल भविष्य की बहुत शुभकामनाएँ...|

प्रियंका

Kamlanikhurpa@gmail.com said...

प्यारी अन्वीक्षा! और होनहार ऋतिक! तुम दोनों को ढेरों बधाई के साथ मैं कहना चाहूंगी -

इस उपवन के फूल हों तुम ,
यूँ ही खिलते रहना |
अपनी सृजन सुगंध से,
जग कों सुरभित करना |
फहरे दिशि-दिशि और संसृति में,
कीर्ति-ध्वजा तुम्हारी,
जग करे तुम्हारा अभिनन्दन,
यही शुभकामना हमारी |
बस यही कामना हमारी |

हमारी मनोकामना पूरी करोगे ना बेटा ?????


Dr.Bhawna Kunwar said...

Itnane chhote bachchhon ki itani gahan,gahan gambheer soch padhkar garv hua, meri hardik badhai oe shubhkamnayen...

सारिका मुकेश said...

इतनी प्यारी रचना लिखने वाले कलमकारों प्रिय ऋतिक व प्रिय अन्वीक्षा को हमारी और से ढेर सारी बधाई व ढेरों शुभकामनाएँ और उनसे परिचय कराने हेतु आपका ह्रदय से आभार!!