डॉ• ज्योत्स्ना शर्मा
सब मुझको "मीठी" कहते हैं
,
माँ कहती है कम बतियाओ ।
मेरी फ्राक बड़ी है सुन्दर
माँ कहती है कम बतियाओ ।
मेरी फ्राक बड़ी है सुन्दर
माँ कहती है मत इतराओ ।
पापा कहते परी हूँ उनकी ,
माँ कहती है मुँह धो आओ ।
बच्चे कहते आओ खेलें ,
माँ कहती है -पढने जाओ ।
प्यारी सखी से हुई लड़ाई
माँ कहती है- भूल भी
जाओ ।
मेरी गुड़िया सोई न अब तक ,
माँ कहती है- अब सो जाओ ।
आँख में आँसू देखे- बोले
,
गले लगा लूँ पास तो आओ ।
गले लगा लूँ पास तो आओ ।
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6 comments:
बहुत सुंदर
बढिया
ज्योत्सना जी की रचनाएँ हर विधा में छू जाती हैं। बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति !
ह्रदय से आभार ..महेंद्र श्रीवास्तव जी एवं सुशीला जी
सादर
ज्योत्स्ना
सुन्दर अभिव्यक्ति सुन्दर सरल भाव .बेहतरीन पंक्तियां हृदय को छू लेती हैं आभार .......
ज्योत्सनाजी आपकी प्यारी रचना हमें बचपन में ले गयीं ... बस अब आप बालपत्रिका का प्रकाशन कर हमें अपना सदस्य बना लीजिए ...
bikhare huye aksharon ka sangathhan aur Yug-Chetana ko prerak pratikriya ke liye bahut-bahut dhanyawaad !
saadar
jyotsna sharma
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