मेरा आँगन

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Tuesday, August 2, 2011

हम छोटे छोटे बच्चे हैं



मंजु मिश्रा
हम छोटे -छोटे बच्चे हैं
पर काम हमारे अच्छे हैं
हम बच्चे मन के सच्चे हैं
हम जो चाहें कर सकते हैं
हम छोटे छोटे बच्चे हैं
मम्मी पापा दादी -दादा
नानी -नाना चाची -चाचा
प्यार हमें सब करते हैं
हम खुशियों से घर भरते है
हम छोटे छोटे बच्चे हैं 
 चाहें तो हम आसमान में
पंख बिना उड़ सकते हैं
चाहें तो हम सागर की
लहरों पर चल सकते हैं
हम छोटे छोटे बच्चे हैं
-0-




8 comments:

Urmi said...

बहुत सुन्दर और प्यारी कविता है! प्यारे प्यारे नन्हे नन्हे बच्चों के कोमल और नाज़ुक मन की तरह ख़ूबसूरत कविता!

महेन्द्र श्रीवास्तव said...

क्या कहने
बहुत सुंदर

महेन्द्र श्रीवास्तव said...

क्या कहने
बहुत सुंदर

Anju (Anu) Chaudhary said...

waah bahut khub..........man ko bhaa gayi...aapki kavita

SM said...

सुन्दर प्रस्तुति

Anonymous said...

ek zamaane baad aisi masoom rachna padhne ko mili hai..


humara bhi hausla badhaaye:
http://teri-galatfahmi.blogspot.com/

Dinesh pareek said...

मुझे क्षमा करे की मैं आपके ब्लॉग पे नहीं आ सका क्यों की मैं कुछ आपने कामों मैं इतना वयस्थ था की आपको मैं आपना वक्त नहीं दे पाया
आज फिर मैंने आपके लेख और आपके कलम की स्याही को देखा और पढ़ा अति उत्तम और अति सुन्दर जिसे बया करना मेरे शब्दों के सागर में शब्द ही नहीं है
पर लगता है आप भी मेरी तरह मेरे ब्लॉग पे नहीं आये जिस की मुझे अति निराशा हुई है
http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.com/

प्रियंका गुप्ता said...

चाहें तो हम आसमान में
पंख बिना उड़ सकते हैं
चाहें तो हम सागर की
लहरों पर चल सकते हैं


बहुत प्यारी रचना है...मेरी बधाई...।
प्रियंका गुप्ता