मेरा आँगन

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Tuesday, November 18, 2008

लौट के बुद्धू घर को आए


लौट के बुद्धू घर को आए:डॉ सरोजिनी प्रीतम
पृष्ठ : 32 , मूल्य :25 रुपए।
प्रकाशक: चिल्ड्रन बुक ट्रस्ट नेहरू हाउस ,
4 बहादुरशाह ज़फ़रमार्गनई दिल्ली-110002
हास परिहास के क्षेत्र में बच्चों के लिए बहुत कम लिखा गया है ; वह भी कविता में। डॉ सरोजिनी प्रीतम की यह पुस्तक इस कमी को पूरा करती है।यह एक नितान्त बुद्धू कहे जाने वाले बालक की अक़्लमन्दी तक पहुँचने की यात्रा है ।कवयित्री ने ने विभिन्न कविताओं को एक सूत्र में रोचक घटनाओं के एक सूत्र में पिरोया है ।इस प्रकार 22 कविताएँ मिलकर कथा को रोचकता प्रदान करती हैं।
इनमेंसे कुछ रोचक कविताएँ हैं:-
1. मैंने तो बस खाया चाँटा
2. कौन है बन्दर
3. बुद्धू का पिंजरा
4. बिल्ली ने जब रस्ता काटा
5. लौट के बुद्धू घर को आए
6. गंजे सिर पर ओले बरसे
7. असली मास्टर नकली मास्टर
8. फिर बुद्धू ने बस्ता फेंका
कविताओं के साथ चित्रों का संयोजन उन्हें और भी प्रभावशाली बना देता है ।यह पुस्तक छोटे बच्चों को ज़रूर पसन्द आएगी
-रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’

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