मेरा आँगन

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Tuesday, November 4, 2008

चिटकू : सुरेखा पाणंदीकर



चित्रांकन :मृणाल मित्र ;अनुवाद : मनमोहन पुरी
पृष्ठ :24 ;मूल्य :20 रुपए
प्रकाशक :चिल्ड्रन्स बुक ट्र्स्ट नेहरू हाउस ,4 बहादुरशाह ज़फ़र मार्ग
नई दिल्ली-110002

चिटकू”बालकथा का मुख्यपात्र चिटकू चूहा है , जो बहुत छोटा और चंचल है।अपनी चंचलता के कारण सूँ-सूँ करता पनीर की गन्ध सूँघता इधर –उधर दौड़ता है और मुन्नू कि प्लेट तक पहुँच जाता है। भागने पर मुन्नू की हॉकी स्टिक की चोट से उसकी दुम का एक सिरा अलग हो जाता है । चिटकू की माँ उसे अकेले बाहर जाने से मना करती है। माँ की बात को वह बहुत जल्दी भूल जाता है और लड्डू खाने के लोभ पर नियंत्रण नहीं कर पाता है; जिससे वह लड्डुओं के ढेर में दब जाता है । चुहिया माँ उसे किसी तरह बाहर निकालती है । एक बार फिर चिटकू बिल्ली के पंजे में फँस जाता है और भाग्य से किसी प्रकार बच जाता है । कहानी में रोचकता शुरू से आखिर तक बनी हुई है । छोटे बच्चों के मानसिक स्तर के अनुसार लिखी गई कहानियाँ बहुत कम हैं ।यह पुस्तक इस कमी की पूर्ति करने में सहायक है ।
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रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’’

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