मेरा आँगन

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Saturday, December 7, 2019

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बाल गीत
ज्योत्स्ना प्रदीप

1- चीनू भैया

चीनू  भैया सोये - सो
उठकर देखो रोये - रो

कहते टीचर डॉटेगी
नंबर मेरे काटेगी ।

कर सके  नहीं  तैयारी
आज परीक्षा है भारी ।

दीदी बोली ,"चुप हो जाओ ,
कुछ  पढ़ा दूँ ,पास तो आओ "!

2-सरदी आई

सरदी आई, सरदी आई ।
लेकर अपने संग रज़ाई 

मोनू  माँगे टोपा नीला ।
सीमा का स्वेटर रँगीला 

मूँगफली  के दिन फिर आ
गाजर का हलवा भी खा

मम्मी   मेवा  बना रही है ।
तिल, बादाम मिला रही है ।

पापा जब भी घर को आते ।
काजू वाला तिलकुट लाते ।

पापा   माँगे   चाय   निराली
कड़क बनी हो अदरक वाली।

दादा -दादी  काँपे थर - थर
कमरे में रख दो तुम हीटर ।
-0-
3-अक्कू का बर्थडे

सबसे लवली- लवली डे
अक्कू  का  हैप्पी बर्थ डे ।

टॉम- जैरी वाला  है  केक
गिफ्ट  मिलते हैं उसे अनेक ।

छोले - पूरी और रसगुल्ले
खाना -गाना, हो  हल्ले -गुल्ले 

गोलगप्पे  हैं ,वड़ा, समोसा
सांभर,चटनी ,इडली - डोसा ।

ऊपर  से , टॉफी -चाकलेट
"मुझको बख़्शो "बोला रे पेट!
-0-
4-गुब्बारे

गुब्बारे  प्यारे  गुब्बारे
लगते कितनें ये न्यारे 

लाल -लाल सोनू लाया
मोनू को पीला भाया ।
आरव नीला ले आया
हरा जिया के मन छाया ।

नभ में उड़ते हैं सारे
गुब्बारे प्यारे गुब्बारे ।

पापा जब भी आते हैं
गुब्बारे संग लाते हैं ।
हम तो खूब फुलाते हैं
कमरे में लटकाते है ।

खेल-खेल के न हारे ।
गुब्बारे प्यारे गुब्बारे ।


सब  रंग  के  गुब्बारे  लाता
जन्म-दिवस जिसकाभी आता
टाफी से भरा एक मटका
मोटा लाल  गुब्बारा लटका

फट कर ,टाफी  बरसा रे
गुब्बारे प्यारे  गुब्बारे।
-0-

6 comments:

प्रीति अग्रवाल said...

ज्योत्स्ना जी बचपन याद दिला दिया, बहुत अच्छी रचनाएँ, आपको बधाई!

Anita Manda said...

वाह, चारों रचनाएं मनभावन। बधाई

शिवजी श्रीवास्तव said...

बचपन की स्मृतियों को साकार करता 'सरदी आई'अन्य बालगीत भी बच्चों के मनोभावो के अनुकूल मनभावन
बधाई ज्योत्सना जी।

Vibha Rashmi said...

प्यारी बाल कविताएं । बधाई

Sudershan Ratnakar said...

बहुत सुंदर बाल गीत।बधाई ज्योत्सना जी।

डॉ. जेन्नी शबनम said...

ज्योत्स्ना जी ने कितने प्यारे प्यारे बाल गीत लिखे हैं. मेरा मन भी बच्चों-सा खिल गया. बहुत बधाई आपको.