मेरा आँगन

मेरा आँगन

Monday, November 27, 2017

144

बाल कविताएँ : डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा
1
हवा चली है सर-सर-सर
बादल आए मटकी भर

पानी बरसा झर-झर-झर
भीग गए चिड़िया के पर 

काँप रही है थर-थर-थर
उसका भी बनवा दो घर

रहे चैन से जी भरकर
देखे आँखें मटका कर । 
2
साइकिल के हैं  पहिए दो
तीन सहेलियाँ अब क्या हो

मोनू जी ले आए कार 
हैं गाड़ी में पहिए चार ।

बिट्टू का है सुन्दर नाच 
देख रहे हैं बच्चे पाँच ।

झूठी बातें कभी मत कह
तभी मिलेंगे लड्डू छह ।

नानी कहें कहानी सात 
सुनते बीती पूरी रात ।

बाक़ी रह गया पढ़ना पाठ
उट्ठक-बैठक होंगी आठ।

सारे दिन बस करते शोर
नौ बच्चे पढ़ने के चोर ।

आ गई विद्यालय की बस 
उसमें भी हैं खिड़की दस ।
 3
 गाँव गए थे चुन्नू जी 
मिले वहाँ पर मुन्नू जी 
दोनों ने मिल किया कमाल 
गली, खेत में खूब धमाल 
बाग़ों में घूमे दिनभर
बातें करते चटर-पटर
तोड़ रहे थे कच्चे आम
चुन्नू जी गिर पड़े धड़ाम 
कान पकड़कर बोले राम !
कभी करूँ न ऐसा काम ।।
 4
मूँछें 
चाचा जी की प्यारी मूँछें 
लगती कितनी न्यारी मूँछें 
खूब मरोड़ें दिन भर इनको
ओ हो हो बेचारी मूँछें 
ज़रा न झुकतीं सतर नुकीली
भैया बड़ी करारी मूँछें
मैं भी ऐसी मूँछ लगाऊँ 
चाचा जी जैसे बन जाऊँ । 

-0-

11 comments:

Anita Manda said...

वाह, बहुत कमाल।

सुनीता काम्बोज said...

बहुत प्यारी ,सरस बाल रचनाएँ । हार्दिक बधाई प्रिय सखी ।

Surendra shukla" Bhramar"5 said...

बहुत सुन्दर भाव सार्थक अभिव्यक्ति बधाई
जय श्री राधे
भ्रमर ५

ज्योति-कलश said...

इस प्रेरक उपस्थिति के लिए आप सभी का हृदय से आभार !

यहाँ स्थान देने के लिए आदरणीय काम्बोज भाई जी के प्रति भी बहुत बहुत आभारी हूँ |

सादर
ज्योत्स्ना शर्मा

Jyotsana pradeep said...

बहुत प्यारी-प्यारी रचनाएँ हैं सखी,बहुत मज़ा आया हमें..
आपको हार्दिक बधाई!!

Kamlanikhurpa@gmail.com said...
This comment has been removed by the author.
Kamlanikhurpa@gmail.com said...

प्यारी सी भोली सी बाल कविताएँ ।
गाते गाते जीवन मूल्य की सीख देती
गिनती भी याद कराती कविताएँ

ज्योत्सनाजी के ज्योति कलश से रसधार बह निकली है
बहुत बहुत बधाई

सविता अग्रवाल 'सवि' said...

डॉ ज्योत्सना जी बच्चों का मन मोहने वाली प्यारी बाल कवितायें हैं| बधाई स्वीकारें |

ज्योति-कलश said...

आ. सविता जी , कमला जी ,ज्योत्स्ना जी इन उत्साहवर्धक प्रतिक्रियाओं के लिए हृदय से आभारी हूँ , लेखन में रस इन्हीं से आता है ,यूँ ही बरसाते रहिएगा :)

सादर
ज्योत्स्ना शर्मा

Vibha Rashmi said...

प्रिय ज्योत्सना जी की चारों बाल कविताएँ बच्चों के मन को मोहनेवालीं हैं । मधुर कविताओं के लिए उन्हें बधाई ।

प्रियंका गुप्ता said...

आँखों के आगे बचपन एक बार फिर साकार हो उठा...हार्दिक बधाई...|