मेरा आँगन

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Friday, October 30, 2015

दीवाली



प्रकृति दोशी

फिर से दीवाली आई
संग लेकर खुशियाँ आई।
घर- घर हो रही सफाई,
फिर से दीवाली आई।

अपने प्यारे घर में भी,
 होगी लो आज पुताई।
फिर से दीवाली आई।

दादी -मम्मी मिलकर सब
बना रहे हैं मिठाई।
फिर से दीवाली आई।

हम भाई- बहनों ने मिल
रंगोली है बड़ी सजाई।
फिर से दीवाली आई।

खूब बताशे खाएँगे हम
झोली भरकर मिलेगी लाई।
फिर से दीवाली आई।

घर के सब लोगों ने मिल
फुलझड़ी खूब चलाई।
फिर से दीवाली आई।
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14 comments:

Anonymous said...

वाह ... बहुत ही प्यारी कविता है । दीवाली की ढेर सारी शुभकामनायें

Manju Gupta said...

दिवाली की हकीकत बयाँ करती सुंदर कविता
बधाई

सविता अग्रवाल 'सवि' said...

वाह प्रकृति जी दीवाली पर रची सुन्दर कविता .हार्दिक बधाई .

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (31-10-2015) को "चाँद का तिलिस्म" (चर्चा अंक-2146) पर भी होगी।
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
करवा चौथ की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

sushila said...

प्यारी सी बाल कविता के लिए प्रकृति जी को बधाई !

sushila said...

सुंदर रचना के लिए बधाई प्रकृति जी !

Onkar said...


सुन्दर

सुरेन्द्र "मुल्हिद" said...

beautiful...

welcome to my new post: http://raaz-o-niyaaz.blogspot.in/2015/10/blog-post.html

Sudershan Ratnakar said...

सुंदर कविता। शुभकामनाएँ।

Jyotsana pradeep said...

bahut sundar !diwali par batashe si mithi kavita.............prakriti ji bahut bahut- badhai kavita evam dipotsav ki bhi !



Dr.Bhawna Kunwar said...

sundar abhivaykti dheron shubhkamnayen..

Krishna said...

दीपावली का सुन्दर चित्रण...ढेरों शुभकामनाएँ।

ज्योति-कलश said...

बहुत प्यारी कविता ..बहुत-बहुत शुभकामनाएँ !
happy Diwali :)

प्रियंका गुप्ता said...

बहुत प्यारी कविता...ढेरों शुभकामनाएँ...|