मेरा आँगन

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Sunday, July 10, 2011

त्रिलोक सिंह ठकुरेला की बाल कविताएँ

त्रिलोक सिंह ठकुरेला
जन्म तिथि :01–10–1966
जन्म स्थान :नगला मिश्रिया (हाथरस), उत्तर प्रदेश
साहित्य सृजन :विभिन्न पत्रपत्रिकाओं में, कविता, दोहे, गीत, नवगीत, हाइकु, कुण्डलियां, बालगीत, लघुकथा एवं कहानी प्रकाशित
प्रकाशित कृति :नया सवेरा (बालगीत संग्रह)
संकलन :सृजन संगी, निर्झर, कारवाँ, फूल खिलते रहेंगे,
देषभक्ति की कविताएँ (काव्य संकलन),नवगीत : नई दस्तकें (नवगीत संकलन)
हाइकु–2009 (हाइकु संकलन), कई संकलनों में लघुकथाएँ
सम्मान : कई सम्मान प्राप्त
संप्रति:उत्तर पश्चिम रेलवे में इंजीनियर
सम्पर्क:बंगला संख्या एल – 99,रेलवे चिकित्सालय के सामने, आबूरोड –307026 (राजस्थान)
मोबाइल :09460714267
      trilokthakurela@yahoo.com
त्रिलोक सिंह ठकुरेला की कुछ बाल कविताएँ ।ये कविताएँ इनके नए संग्रह  'नया  सवेरा' से ली गई हैं ।
1-नया सवेरा लाना तुम

टिक टिक करती घडि़याँ कहतीं
मूल्य समय का पहचानो ।
पल पल का उपयोग करो तुम
यह संदेश मेरा मानो  ।।

जो चलते हैं सदा, निरन्तर
बाजी जीत वही पाते ।
और आलसी रहते पीछे
मन मसोस कर पछताते ।।

कुछ भी नहीं असम्भव जग में ,
यदि मन में विश्वास अटल ।
शीश झुकायेंगे पर्वत भी ,
चरण धोयेगा सागर -जल।।

बहुत सो लिये अब तो जागो ,
नया सवेरा लाना तुम ।
फिर से समय नहीं आता है ,
कभी भूल मत जाना तुम ।।


2-मीठी बातें

मीठे  मीठे बोल सुनाती ,
फिरती डाली  डाली ।
सब का ही मन मोहित करती
प्यारी कोयल काली  ।।

बाग बाग में , पेड़ पेड़ पर,
मधुर सुरों में गाती ।
रूप नहीं , गुण प्यारे सबको
सबको यह समझाती ।।

मीठी  मीठी बातें कहकर
सब कितना सुख पाते ।
मीठी-मीठी बातें सुनकर
सब अपने हो जाते ।।

कहती कोयल प्यारे बच्चो !
तुम भी मीठा बोलो ।
प्यार भरी बातों से तुम भी
सब के प्यारे हो लो ।।


3-सीख

वर्षा आई , बंदर भीगा ,
लगा काँपने थर थर थर ।
बया घोंसले से यूँ बोली
भैया क्यों न बनाते घर ।।

गुस्से में भर बंदर कूदा ,
पास घोंसले के आया ।
तार तार कर दिया घोंसला
बड़े जोर से चिल्लाया ।।

बेघर की हो भीगी चिडि़या ,
दे बन्दर को सीख भली ।
मूरख को भी क्या समझाना,
यही सोच लाचार चली ।।

सीख उसे दो जो समझे भी ,
जिसे जरूरत हो भरपूर ।
नादानों से दूरी अच्छी ,
सदा कहावत है मशहूर ।।
-0-

5 comments:

Anju (Anu) Chaudhary said...

तीनो ही कविताये ...बेहद खूबसूरत ...मन को भा गई .............आभार

ज्ञानचंद मर्मज्ञ said...

सुकवि त्रिलोक सिंह की बालोपयोगी सुन्दर कवितायें पढ़वाने के लिए आभार !

SAURAV RANA said...

these poems are very much intresting and knowledgable....thnx to my dear Mr. TRILOK SINGH THAKURELA.



SAURAV RANA
HATHRAS(U.P.)

SAURAV RANA said...

THESE POEMS ARE VERY INTRESTING AND KNOWLEDGEBLE...THANKS TO MR. TRILOK SINGH THAKURELA.



SAURAV RANA
HATHRAS(U.P.)

महेन्द्र श्रीवास्तव said...

सभी कविताएं एक से बढकर एक
शुभकामनाएं