देश हमारा है
-रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
आँखों का तारा है ,प्राणों से प्यारा है ।
सब देशों से अच्छा , ये देश हमारा है ॥
इसका तन कुन्दन है ,
पावन मन चन्दन है।
साँसों में फूलों की
डूबी हर धड़कन है ॥
षड् ॠतुओं ने आकर फिर रूप सँवारा है ।
नयनों से रहा बरस।
केशों से लिपटी है
अमावस –निशा बरबस ।
अगणित नदियाँ इसकी ममता की धारा हैं।
मिट्टी में छुपी सुगन्ध,
मुट्ठी में पौरुष बन्द ।
नित मुकुट हिमालय से
झरता रहा मकरन्द ।
सागर ने हाथों से पदरज को पखारा है।
भाषा व वेश अनेक ,
प्राण हैं फिर भी एक ।
विश्व-पट पर गौरव का ,
लिखा है हमने लेख ।
गुण सदियों से इसके गाता जग सारा है ।
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भाषा व वेश अनेक ,
प्राण हैं फिर भी एक ।
विश्व-पट पर गौरव का ,
लिखा है हमने लेख ।
बच्चों को सिखाने के लिये बहुत ही सुन्दर कविता... यदि अापकी अनुमति हो तो मै अपने विद्यार्थियों को सिखाउँगी
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