भावना कुँअर एक सहृदय कवयित्री हैं ।उनका यह सहृदय रूप उनके यात्रा संस्मरणों में भी मुखरित होता है ।बाल दिवस के अवसर पर उनकी सात कविताएँ दी जा रही हैं ।सभी कविताओं के अलग-अलग रंग हैं ।भाषा की सहजता इनकी कविताओं का विशेष गुण है ।आयु वर्ग के अनुसार विषय का चयन एवं शिल्प का संयोजन कठिन कार्य है ।इसे भावना जी ने बखूबी निभाया है ।
1- रंग-बिरंगे गुब्बारे
रंग बिरंगे-नीले पीले,
हैं गुब्बारे खूब सजीले।
इन्द्रधनुष के रंगों जैसे,
झटपट दे दो अब तुम पैसे।
जो भी चाहो ले लो तुम,
जी भर के फिर खेलो तुम।
रंग बिरंगे-नीले पीले,
हैं गुब्बारे खूब सजीले।
इन्द्रधनुष के रंगों जैसे,
झटपट दे दो अब तुम पैसे।
जो भी चाहो ले लो तुम,
जी भर के फिर खेलो तुम।
2-मतवाली चिड़िया
देखो चिड़िया है मतवाली
रंग-बिरंगे पंखों वाली ।
सोने जैसे पंख लगें
काले मोती खूब सजें।
दौड़-दौड़ कर जाती है
दाना चुन-चुन लाती है।
दिन भर करती मेहनत खूब
लगती नहीं है उसको धूप।
सुन्दरता पर ना इतराती
दिन ढलते ही घर को जाती।
3- चिड़िया के बच्चे
चिड़िया के थे बच्चे चार,
अच्छा था उनका व्यवहार।
माँ को थे वो नहीं सताते,
भूख लगे तो गाना गाते।
मम्मी चिड़िया उड़कर जाती,
अच्छा-अच्छा दाना लाती।
बच्चे मिल-बाँटकर खाते,
इक-दूज़े से चोंच लड़ाते।
4-चंकी बंदर
चंकी बंदर बड़ा शैतान
रोज़ उमेठे सबके कान ।
रामू ने फिर जुगत लगाई,
चंकी की कर दी कुडमाई।
अब चंकी जी मुँह छिपाये,
मेम साहब से कान खिंचाये।
5-सजी प्रकृति
गायें सदा वो मीठा गान।
सूरजचमक रहा है खूब,
मोती -माला पहने दूब।
रंग-बिरंगे कपड़े पहने,
फूलों के भी क्या हैं कहने।
6-मेहनत के रंग
देखो छोटों के व्यवहार
मेहनत से न माने हार।
चीटी होती सबसे छोटी
खुद से बड़ा वज़न ये ढोती।
चुन-चुन चिड़िया तिनका लाती
और घोंसला बड़ा बनाती।
चूहा बिल जो अपना बनाये
ढेरों मिट्टी खोदे जाये।
रेशम का कीड़ा दीवाना
सुन्दर बुनता ताना बाना।
रस फूलों का लेकर आती
मधु मक्खियाँ मधु बनातीं।
दिन भर मकड़ी जाल है बुनती।
मगर आह! न हमको सुनती।
7-बच्चों की पाती
आओ बच्चों जल्दी आओ,
अपनी पाती लेकर जाओ।
पढ़कर इसको रखना याद,
पूरे होंगे सारे ख्वाब।
प्रातः जल्दी उठकर तुम,
सभी बड़ों को करो नमन।
और प्रभु का लेकर नाम,
करो शुरू तुम सारे काम।
सभी बड़ों का आदर करना,
छोटों से भी न तुम लड़ना।
अगर करोगे अच्छे काम,
जग में होगा सबका नाम।
मात-पिता की आज्ञा मानों,
भले बुरे को तुम पहचानों।
फैलाओ ऐसा उज़ियारा,
मिट जाये जग का अँधियारा।
बड़ी लगन से पढ़ना तुम,
मेहनत से न डरना तुम।
पाओगे ऊँचा स्थान
बन जायेगें बिगड़े काम।
झूठ की राह कभी न चलना,
सच के पथ पर आगे बढ़ना।
झूठ का होता है अपमान,
सच को मिलता है सम्मान।
जीवों पर भी दया करो,
कभी न उनका बुरा करो।
वो भी देंगे तुमको प्यार
प्रेममय होगा संसार।
गर तुम पे हो रोटी कम,
करो नहीं कोई भी गम।
साथ बाँटकर इसको खाओ,
जग में सबसे प्यार बढ़ाओ।
वाणी में तुम अमृत घोलो,
कभी किसी से बुरा न बोलो।
बन जायेंगे संगी साथी,
पूरी हो गयी अपनी पाती।
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