मेरा आँगन

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Sunday, December 31, 2017

145

 
सुनीता काम्बोज के दो बालगीत सुनने के लिए निम्नलिखित लिंक को क्लिक कीजिए-

1
  मुझको पंख लगाने दो

2

छोटी चिड़िया मतवाली

Tuesday, November 14, 2017

142

सुनीता काम्बोज के 4  बालगीत
1
बन्दर की आई सरकार
शेर गया है अबकी हार

बैठा बन्दर
बड़ा कलन्दर
खुश होता है
अंदर- अंदर

नाचे गाए
खुशी मनाए
जो जीता अब
वही सिकन्दर

चूहा अब है थानेदार
बन्दर की आई सरकार

हौले- हौले
मनवा डोले
खड़ी गिलहरी
खिड़की खोले

शेर चला है
मुँह लटकाए
अब बेचारा
कैसे  बोले

लगता है जैसे बीमार
बन्दर की आई सरकार

राज मिला है
काज मिला है
बन्दर को अब
ताज मिला है

कूद रहा है
डाली- डाली
खुशियों का पल
आज मिला है

उसके गुण गाए अखबार
बन्दर की आई सरकार

बजी बधाई
जनता आई
बन्दर जी की
हुई सगाई

बने बराती
घोड़ा- हाथी
कोयल गाती
ज्यों शहनाई

जंगल में जैसे त्योहार
बन्दर की आई सरकार
           -०-
2
 साइकिल मेरी छोटी-सी है
दिखती बड़ी कमाल
सीधी -सीधी चलती लेकिन
कभी बदलती चाल


पहिये इसके काले हैं ये
नीली है कुछ लाल
धोकर इसको मैं चमकाता
रखूँ सदा सँभाल

 दादा जी ये जन्मदिवस पर
लाए थे उपहार
इसमें मुझको दिखता अपने
दादा जी का प्यार
   -०-
3

दादा जी एक पैसा दो
गोल-गोल हो ऐसा दो

टॉफ़ी लेकर आऊँगा
चूस-चूसकर खाऊँगा

मैं तो अच्छा बच्चा हूँ
सीधा -साधा सच्चा हूँ


रोज किताबें पढ़ता हूँ
नहीं किसी से लड़ता हूँ

बात हमारी मानो जी
छोटा बच्चा जानो जी
      -०-
4
बन्दर झूले डाली-डाली
उसके पीछे भागा माली

माली बोला -नीचे आओ
 मत पेड़ों के पात गिराओ

बन्दर बोला मेरी मर्जी
दौड़ा –दौड़ा आया दर्जी’

बन्दर बात नहीं अब माने
दर्जी ताली लगा बजाने

बन्दर को फिर गुस्सा आया
उसने अपना फोन मिलाया

फोन लगा था जाकर थाने
थानेदार लगा मुस्काने

बन्दर बोला मत मुस्काओ
पहले मेरी रपट लिखाओ
            -०-


Tuesday, December 6, 2016

136



1-डॉ.गोपाल बाबू शर्मा
1-मुस्काना सीखो

सुन्दर खिले हुए फूलों से,
तुम हँसना-मुस्काना सीखो।
रंग-बिरंगे फूलों जैसा,
जीवन सुघर बनाना सीखो।
सदा दूसरों की राहों में,
खुशी-खुशी बिछ जाना सीखो।
काँटों से घबराना कैसा,
दुख में भी इठलाना सीखो।
अच्छे कामों की खुशबू से,
तुम जग को महकाना सीखो।
यों ही झर जाने में क्या है,
कुछ करके दिखलाना सीखो।
-0-
2-काठ का घोड़ा

यह मत समझो ऐंठा हूँ मैं,
बस घोड़े पर बैठा हूँ मैं।
भले काठ का घोड़ा मेरा
मगर ठाठ का घोड़ा मेरा।
नहीं माँगता दाना-पानी,
फिर भी इस पर रहे जवानी।
एक सीट मैंने हथिया ली,
लेकिन अभी दूसरी ख़ाली।
आना है तो जल्दी आओ,
मेरे पीछे तुम जम जाओ।
है ऐसा अलबेला घोड़ा,
नहीं चाहिए इसको कोड़ा।
जिधर कहोगे उधर मुड़ेगा,
आसमान तक खूब उड़ेगा।
-0-[ जन्म-4 दिसम्बर, 1932, अलीगढ़, विभिन्न विधाओं की तीस से अधिक पुस्तकें प्रकाशित,अलीगढ़ के महाविद्यालय से हिन्दी विभाग के रीडर पद से सेवा निवृत्त]
2-सुनीता काम्बोज
1-तितली बड़ी सयानी

तितली बड़ी सयानी है
ये फूलों की रानी है

नहीं पकड़ में आती है
झट से ही उड़ जाती है

फूलों से बतियाती है
क्यों हमसे डर जाती है

पास हमारे भी आओ
सखा हमारी बन जाओ

तुमको नहीं सताएँगे
आओ गीत सुनाएँगे
-0-
2- मूँगफली ओ मूँगफली

 मूँगफली ओ मूँगफली
कहा चली तू कहाँ चली

सर्दी में तू आती है
गर्मी में छुप जाती है

गर्म रेत में सिकती है
धरती में तू उगती है

सबके मन को भाती है
खोल पहन इतराती है
-0-
1-जब आये भोर

खिले कमल जब आये भोर।
उड़कर पंछी करते शोर।

धीरे-धीरे आती धूप।
झाँक झील में देखे रूप।

उड़-उड़ कौआ ढूँढ़ें छाँव
बैठ नीम पर करता काँव।

चिड़िया ढूँढे रोशनदान
तिनके रखकर गाती गान।

बादल देख नाचते मोर।
गरज-गरज बरखा घनघोर।

देख -देख बच्चों का चाव
तैर रही कागज़ की नाव।

जगमग जुगनू बना कतार
चमके ज्यों हीरों का हार।

नानी करे परी की बात।
आती जब तारों की रात।
-0-
2- ओढ़ लबादा

ओढ़ लबादा बादल वाला
क्यों बैठे हो सूरज भैया
हाड़ कँपाती सर्दी से क्या
तुम ऐंठे हो सूरज भैया।

जल्दी जल्दी घर जाते हो
मम्मी ने क्या डाँट पिलाई
या फिर अच्छा लगता तुमको
सोते रहना ओढ़ रजाई।

भूले रहना रबड़ी कुल्फी
दूध जलेबी खूब मिलेगी।
मीठी-मीठी गुड़ की भेली
चखना तुमको खूब जमेगी।

खिली-खिली सुंदर बगिया में
आओ जरा देर हम खेलें।
धूप गुनगुनी लगे सुहानी
जरा मजे इसके भी ले लें
-0-
4-श्वेता राय
1-नानी

छुट्टी आई छुट्टी आई।
बच्चों में है खुशियाँ छाई।
जायेंगें सब नानी के घर।
खेलेंगें हम सब जी भर कर।
प्यारी प्यारी मेरी नानी।
मुझे सुनाती रोज कहानी।
हलवा पूरी मुझे खिलाती।
खेत बाग की सैर करती।
नीति रीत की बात सिखाती।
दुनियादारी भी समझाती।
कहती करना मत नादानी।
जीवन में तुम बनना ज्ञानी।
पढ़ना लिखना आगे बढ़ना।
मुश्किल से तुम कभी न डरना।
आगे बढ़ कर नाम कमाओ
हम सब का जी तुम हरसाओ।
नानी माँ अनमोल है, नानी ममता रूप।
नानी से मिलता हमें, सरिता ज्ञान अनूप।।
-0-