मेरा आँगन

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Thursday, April 11, 2024

173-क्रिकेट की कला

 विजय जोशीपूर्व ग्रुप महाप्रबंधकभेल

 

क्रिकेट एक विशिष्ट खेल हैजिसमें न केवल एकाग्रता बल्कि खेल कला का अदभुत समायोजन हैयही कारण है अंतिम बाल तक रोमांचकारी इस खेल को देखने के लि लोग महीनों पहले से लालायित रहते हैं और कई बार तो अंतिम चरण तक उनकी साँसें थमी रहती हैंखिलाड़ियों के लि भी चुस्तदुरुस्त होने के साथ ही साथ एकाग्र चित्त से हर बाल को खेल पाना एक अनिवार्य शर्त हैलेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि इस में प्रबंधन की दृष्टि से भी अनेक संदेश छुपे हुए हैंइए उन पर एक नज़र डालें:-


1सफलता (Success) : खिलाड़ी पूरे मन से खेलते हुए जब शतक की आखरी बाल को खेलता है, तो सारा मैदान अभिनंदन की मुद्रा में झूम उठता हैजीवन में सफलता भी एक शतक की तरह ही हैइसे प्राप्त करने का भरसक और ईमानदार प्रयास कीजिसंदेश मात्र यह कि सफलता एक शतक है – इसे प्राप्त कीजिए। 

 2समस्या (Problem) : समस्याएँ जीवन का एक अनिवार्य अंग हैइनसे आपको कठिन से कठिन परिस्थितियों से जूझकर पार पाने की क्षमता हासिल होती हैये फेंके जाने वाली फिरकी गेंद के समान हैं इनको पूरे आत्मविश्वास के साथ खेलिसमस्या एक फिरकी या यार्कर है – इसका सामना कीजिए। 

 3असफलता (Failure) :  जीवन में सफलता के साथ ही साथ असफलता की संभावना भी सदैव बनी रहती है और इसके प्रभाव में आकर यदि आपने अपने मनोबल को प्रभावित होने दिया, तो फिर जीवन का प्रयोजन तक समाप्त हो सकता हैअत: इसे जाने दीजिइसकी उपेक्षा कीजियेअसफलता एक बाउंसर है – इसे जाने दीजिए। 

 


4भाग्य (Luck) : भाग्य भी कई बार आदमी का साथ दे जाता हैअत: ऐसे अवसर प्राप्त होने पर उनका पूरा सदुपयोग कीजिए।ऐसे मौकों पर जरा सा भी आलस या गफलत बहुत महँगी पड़ सकती हैबुद्धिमान इंसान हाथ आई किस्मत को कभी नहीं जाने देताइसे फुल टॉस बाल की तरह खेलिए।भाग्य एक फुल टॉस है – इसका पूरा उपयोग कीजि 

 

5- अवसर (Opportunity) : अवसर भी भाग्य का समानार्थी हैइसका सही समय पर सधा हुआ और सामयिक उपयोग आपके लि सफलता के द्वार खोल देता हैहमारी चिंता या चिंतन इसे ठीक से भुना पाने का होना चाहिए।एक फ्री हिट बॉल के समान ही इसे पूरे साहस के साथ खेलिए।अवसर एक फ्री हिट है – इसे कभी मत चूकि  

 यही है क्रिकेट की कला को जीवन रण में साहस और सम्मान के साथ खेल पाने का सहीसामयिक और सार्थक सूत्र

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Thursday, August 31, 2023

172-बाल कविताएँ

 

बाल कविताएँ

लिली मित्रा



 1- मैना

आँखों में सब करती कैद,

मैना रानी   बड़ी   मुस्तैद।

 

नपे पगों   से चलती डेढ़,

जैसे   फौजी  करे परेड।

 

एक अकेली फिरे दुखी,

दो दिखे तो मिले खुशी।

 

मीठे सुर में  गाती  गान,

पीला अंजन आँख में तान।

 

दल में रहती हैं ये साथ

भूरा, काला इनका गात।

 

कभी घास, कभी बैठी तार,

भिन्न रंग और कई प्रकार।

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2- मियाँ मिट्ठू

 

 

अपने मुँह बनते

मियाँ मिट्ठू

लेकर तारीफों

के पिट्ठू।

 

मुस्कान बहुत ही

मुख पर आए,

जब होते अपनी

बातों पे लट्टू।

 

अपने मुँह बनते

मियाँ मिट्ठू,

लेकर तारीफों

के पिट्ठू।

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3- अड़ियल टट्टू

 

भोंदू भाई  अड़ियल टट्टू,

अपनी ज़िद के बने हैं रट्टू।

 

रत्ती भर ना   हड़ियाँ ठेलें ,

दिनभर सोए , बड़े निखट्टू।

 

अड़ जाएँ जब बात पे अपनी,

टस्स से मस्स ना होते गट्टू ।

 

भोंदू भाई अड़ियल टट्टू,

अपनी ज़िद के बने हैं रट्टू।

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4- गिट्टी फोड़

  

 

गिट्टी ऊपर गिट्टी की होड़,

मिलकर खेलें गिट्टी फोड़।

 

            लगा निशाना तान के गेंद,

            छितरे गिट्टी होड़ को तोड़।

 

लपके सारे गेंद की ओर,

बंटी,हरिया,मधू,किशोर।

 

              धर पाया ना भूरा होड़,

              तड़ी गेंद की पाया जोर।

 

गिट्टी ऊपर गिट्टी की होड़,

मिलकर खेले गिट्टी फोड़।

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Wednesday, December 1, 2021

170-स्मार्ट फोन - बच्चों को यूँ ही न थमा दें

 [अनीता सिंह, अँग्रेजी भाषा से पोस्ट ग्रेजुएट है। बेसिक अनुभव व शिक्षा विशाखापत्तनम व मुंबई में हुई है । कानपुर महानगर में महिलाओं के लिए कम्प्यूटर की बेसिक लर्निंग स्कूल फेमिनेट को सन 2002 से कई वर्षों तक संचालित करती रही हैं। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अंतर्गत क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी भारत सरकार कानपुर में मेरी तैनाती के दौरान महिला एवं बाल कल्याण से जुड़े तमाम कार्यक्रमों में सजग सहभागिता रही है । भारत के तमाम दूरस्थ स्थलों का भ्रमण अनुभव है । वर्तमान में समाज एवं साहित्य सेवा में संलग्न हैं । महिला एवं परिवार कल्याण तथा शिशु विकास पर उनके रोचक और अछूते विषयो से संबन्धित आलेखों की नयी श्रंखला में आप उनके अनुभव से जुड़े तमाम विश्लेषण पर जरूरी मुद्दे से जुड़ी जानकारी प्राप्त करेंगे ।-वधेश सिंह पूर्व अधिकारी भारतीय सूचना सेवा भारत सरकार । ]

स्मार्ट फोन - बच्चों को यूँ ही न थमा दें- अनीता सिंह

बच्चों को व चीज नहीं देनी चाहिए, जो उन्हें अच्छी लगती हो; बल्कि व चीज देनी चाहिए, जो उनके लिए अच्छी हो । आज इसी मुद्दे पर बात करना है । आजकल स्मार्ट फोन शिशुओं से लेकर बड़े बच्चे तक धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रहें हैं । इसका कोई विकल्प भी नहीं; बल्कि कोरोना काल में छोटे छोटे बच्चों की न लाइन क्लासेज में यह जरूरी होता गया ।


नयी उम्र के माता पिता को उनके बच्चों को लेकर लालन पालन में उनके मानसिक विकास की तमाम समस्याएँ ,तब और बढ़ जाती है जब वे एकल परिवार हैं। आजकल बुजुर्गों या छोटे भाई बहनो के बिना न्यूक्लियस फेमली सेट अप में अधिकतर शहरी लोग रह रहे हैं । पति दिन भर कार-रोजगार के सिलसिले में बाहर रहते हैं, जबकि घर पर बची अकेली होम मेकर पत्नी बच्चों की आया और शिक्षिका दोनों भूमिकाओ को एक साथ निभा रही होती है । इसलिए यह मेट्रो और महानगरों के निवासियों की आम समस्या है । बच्चों को तमाम प्रकार से सक्रिय रखने की बाध्यता के चलते माताएँ बहुत आसानी से मोबाइल स्क्रीन में बाल चित्रों– गीतों या कार्टून फिल्मों के माध्यम से बच्चों को बहलाना शुरू कर देती हैं । बस न दिक्कतों की शुरुआत यहीं से होती है ।  

वैसे भी छोटे बच्चों को सकारात्मक रूप से व्यस्त रखना और उनकी उछल कूद तथा सक्रियता को सही दिशा देना माता पिता या अभिभावकों के लिए हमेशा से चुनौतीपूर्ण रहा है । लेकिन जब इन नन्हे बच्चों को आप टोकते हैं, उनको उनकी गतिविधियों के प्रति “नो - नो” कहकर उनमें निराशा जगाते हैं । तब स्थित और भी विपरीत हो जाती है दो वर्ष का बच्चा हो या उससे थोड़ा बड़ा, उसके सीखने की जिज्ञासा उम्र के साथ बढ़ती है, तब यह बर्ताव सही नहीं है । पाँच वर्ष से आठ वर्ष के बच्चों को “नहीं नहीं”, “ऐसा बच्चे नहीं करते”, “ओह ये मत कर”, “अरे लोग क्या सोचेंगे , वेरी बैड”, “यू आर गुड बेबी” , “नो यू आर नाऊ नॉट आ चाइल्ड” आदि कहकर कभी डांटे, कभी बहलाएँ, कभी रुकावट पैदा करें । तब यह तो और भी अनुचित है । इससे बचना चाहिए ।

बाल मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि यह सभी बातें बच्चों के कोमल मनो-मस्तिष्क में उनकी समस्या का सही हल नहीं है । प्राकृतिक रूप से बच्चों को नया सीखने की इच्छा रहती है, उसी में वे


सही और गलत को पहचान करना शुरू करते हैं तथा अपने मस्तिष्क में इन तथ्यों को यादकर बिठाते जाते हैं । यह वो अवस्था होती है, जब उनमें किसी प्रकार का भय या संकोच नहीं होता है और वे खुश रहना चाहते हैं, अपनी प्रशंशा सुनना चाहते हैं, यहाँ तक कि बड़ों को अपने साथ खेलने या नृत्य करने या मस्ती करने का खुला प्रस्ताव भी देते हैं । फिर माता पिता क्या करें, चुप होकर सब देखते रहें, उनकी गलत या सही क्रिया कलापों का समर्थन करते हुए क्या अपनी ज़िम्मेदारी से हाथ खड़े कर लें , आखिर वे क्या करें । यह प्रश्न मस्तिष्क में सभी के उभरता है । मै इसका उत्तर देना चाहूँगी कि आप अपनी ज़िम्मेदारी से इस्तीफा न दें , बल्कि इस समस्या के हल पर मनोवैज्ञानिक परिणामों की मदद लेना शुरू करें ।

हमें सबसे पहले बच्चों की  सक्रियता उनकी जिज्ञासा उनकी पसंद और उनकी अरुचि को समझना होगा । उसी के अनुरूप खुद माता पिता या अभिभावक के रूप में अपने व्यवहार और सलाह को न्याय संगत , वातावरण संगत और बच्चे के स्वास्थ्य संगत बनाना होगा, ताकि उन्हे सही दिशा मिल सके । वस्तुतः हमें इस पर गंभीर और सजग होने की जरूरत है ।

स्मार्ट फोन आज के समय जरूरत की महत्त्वपूर्ण घरेलू  डिवाइस है । हम विभिन्न कार्यों के लिए स्मार्ट फोन पर व्यस्त रहते हैं । इसी स्मार्ट फोन को लोग बच्चों को खिलौने की तरह पकड़ा भी दे रहे हैं । इसलिए सबसे पहले जरूरी है कि आप अपने स्मार्ट फोन पर उसकी सेटिंग इस प्रकार से रखें कि छोटे बच्चे यदि उसे थामे हुए पूरे घर में चहल कदमी कर रहे हों, तब कोई ऐसा बड़ा नुकसान न हो कि जिसकी वजह से आप तकलीफ में पड़ जाएँ । इसके लिए सबसे पहले स्मार्ट फोन के अंदर अपने ईमेल एकाउंट , फेसबुक , व्हाट्सेप आदि सोशल मीडिया सहित आन लाइन पेमेंट की सभी सुविधाओं को पासवर्ड से सुरक्षित करें । फोटो गैलरी , कैमरा आदि को भी लॉक करें ताकि कभी ये स्मार्ट फोन बच्चों के हाथों से छूट कर बालकनी आदि से बाहर गिरे, तब आपके महत्त्वपूर्ण संदेशों और वालेट आदि का दुरुपयोग कभी न हो सके । बच्चों को निर्धारित कमरे – लॉबी में रहने को ही  कहते रहें, ताकि कभी वे वाशरूम के टैप या बकेट के पानी से आपके स्मार्टफोन को नहलाना न शुरू कर दें । ऐसी स्थित से निपटने के लिए बच्चों के खिलौनो में भी स्मार्ट फोन आ रहे हैं । उन्हे ही छोटे बच्चों को गिफ्ट करें । और अपने स्मार्ट फोन को देने से परहेज रखें ।

बच्चों को बहलाने या उन्हे खाना खिलाने में उनको राइम्स या कार्टून फिल्मे दिखाने से बचें, इसकी जगह टेलीविज़न के किड्स चैनल का उपयोग करें,  यदि फिर भी आपकी अपनी सहूलियत यदि स्मार्ट फोन से बन रही है तब आप आन लाइन राइम्स या कार्टून प्ले करने के बजाय पहले से निर्धारित पसंद को डाउन लोड करके रख लें और उसकी को प्ले करें । यह देखने में आया है कि न लाइन प्ले करने में कई बार विज्ञापन और गंदे अरुचिकर फिल्में या वीडियोज़ भी प्ले हो जाते हैं , जिनका बच्चों के कोमल मन में गलत प्रभाव पड़ सकता है । नलाइन गेम्स में बच्चों को पहुँचने का रास्ता खुद न बनें उसकी जगह गेम्स खिलौनो की शॉप में से लेकर आएँ, ताकि बच्चों के स्किल में बढ़ोत्तरी भी हो और समाल स्क्रीन को लगातार देखने से उनकी आँखों पर कोई दुष्प्रभाव भी न पड़े ।  

-    अनीता सिंह [9450213555 ]

Tuesday, November 30, 2021

169

 प्रेस नोट : पेड़ों की छाँव तले 81 वीं गोष्ठी के अंतर्गत 7वीं  बाल राष्ट्र गान- कविता प्रतियोगिता सम्पन्न


आज़ादी के 75वें अमृत महोत्सव के अवसर पर एक शाम राष्ट्र गीतों के नाम 



“भारत हृदय हमारा है, पृथ्वी में सबसे प्यारा है ...”.

“देश का कर्ज चुकाने को हम अपना फर्ज निभाते हैं...”. ने प्रभावित किया 


पेड़ों की छांव तले संस्था के अंतर्गत “आजादी के रंग- बच्चों के संग” शीर्षक से बाल राष्ट्र गान एवं देशभक्ति कविता वाचन  प्रतियोगिता सम्पन्न हुई । आज़ादी के 75वें अमृत महोत्सव के अवसर पर  आन लाइन और वास्तविक दोनों रूपों से पिछले तीन दिनो से वृहत स्क्रीनिंग को कवयित्री आरती स्मित ,पल्लवी मिश्रा , गीता गंगोत्री एवं शशि किरण ने पूर्ण समर्पण के साथ किया । राजकीय प्राथमिक विद्यालय की प्रधानाचार्या श्रीमती शादाब कमर ने पूर्व की भांति सहयोग किया ।


राष्ट्रीय स्तर की इस प्रतियोगिता में राजकीय प्राथमिक विद्यालय वैशाली , बुद्धविहार वसुंधरा के साथ स्थानीय एवं अन्य प्रदेशों बिहार , झारखंड , महाराष्ट्र और कोलकाता  के 15 वर्ष से कम उम्र के विद्यार्थियों ने इसमें बढ़ चढ़  कर  कई चक्रों में हिस्सा लिया । 


वैशाली के वैभव भट्ट के स्वरचित गीत “देश का कर्ज चुकाने को हम अपना फर्ज निभाते हैं” को प्रथम स्थान मिला जबकि बोकारो स्टील सिटी झारखंड की मुक्ता सिंह को बुंदेले हरबोलों के मुख हमने सुनी कहानी के लिए तथा जफिया दिल्ली को ये काश मेरी ज़िंदगी में सरहद की कोई शाम आए एवं महाराष्ट्र से यशस्वी दहिया को उनके गीत जिसे देश से प्यार नहीं है जीने का अधिकार नहीं है के लिए संयुक्त रूप से दिवतीय स्थान मिला । 


दिल्ली की स्वाती यादव कक्षा 4 के साथ औरंगाबाद से  शामिल श्रद्धा विजय परदेशी कक्षा 6 को व कोलकाता से जुड़ी डी पीएस स्कूल की कक्षा 5 की विद्यार्थी अक्षरा अनुपमा को संयुक्त रूप से तीसरा स्थान मिला । 


जबकि राजकीय प्राथमिक विद्यालय वैशाली को उनकी विशिष्ट नाट्य प्रस्तुतियों, फ़ैन्सी ड्रेस और रिकार्ड नृत्य के लिए अलग से पुरस्कृत किया गया है । 


फिनाले के रूप में प्रमुख  कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पधारे प्रख्यात बाल साहित्यकार डॉ दिविक रमेश ने बाल रचना पाठ के इस सातवें आयोजन को सफल बताते हुए कहा कि देशभक्ति और आजादी पर लिखी गईं रचनाएँ राष्ट्र चरित्र निर्माण के लिए महत्वपूर्ण हैं । उन्होंने कहा कि देश की माटी , समाज, फूल आदि पर लिखी कविताएं भी देशभक्ति की कविताएं हैं । बच्चों की प्रस्तुतियों की सराहना की और उनके भविष्य को उज्ज्वल कहा ।

 अध्यक्षता करते हुए विख्यात बाल साहित्यकार रामेश्वर काम्बोज हिमांशु ने मलिन बस्तियों में कविता बनाओ कविता सिखाओ के तर्ज पर और ज्यादा काम करने के सुझाव दिये साथ ही  “तुम क्यों आए जंगल में आए ”  शीर्षक से कविता पाठ कर पर्यावरण के प्रति चिंता व्यक्त की ।  


संयोजक अवधेश सिंह ने देश गान पढ़ा  “भारत है घर आँगन अपना / ये राष्ट्र नहीं ये है सपना / यहाँ मिलजुल कर सब रहते हैं / सुख –दुख मिलकर ही सहते हैं / कहीं कोई नहीं बटवारा है / भारत हृदय हमारा है / पृथ्वी में सबसे प्यारा है ॥ 


इस दौरान उपस्थित बाल रचनाओं की वरिष्ठ कवयित्री आरती स्मित ने “गूगल भैया” शीर्षक से कोरोना से आजादी दिलाने वाली कहानी पढ़ी , कवयित्री शशि किरण ने मोर्चे पर घर से दूर तैनात फौजी के बच्चे की अनुभूति को “मेरे पापा” शीर्षक से व्यक्त किया । 


– अवधेश सिंह, संयोजक-अध्यक्ष “पेड़ों की छाँव तले फाउंडेशन , वैशाली

Sunday, November 14, 2021

168-सुनहरी भोर

डॉ. आरती स्मित की कहानी निम्नलिखित लिंक पर सुनिए-

सुनहरी भोर 


Sunday, October 10, 2021

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आरती स्मित की कहानी-सुनने के लिए नीचे दिए गए लिंक को क्लिक कीजिए-



Saturday, April 10, 2021

166-तितली रानी

 

तितली रानी

                                          प्रियंका गुप्ता

               


 
तितली रानी
, तितली रानी

 पास हमारे आ‌ओ न ,

पंख फैलाकर उड़ती कैसे

हमको भी सिखला‌ओ न ,

                 नीले, पीले, लाल , हरे क‌ई

                 रंगों में भरमा‌ओ  ,

                 जीवन का हर रंग समाया

                


तुमने अपने तन-मन में

  सतरंगों की बौछारों में

  हमको भी नहला‌ओ न ,

  मस्ती से तुम रहती कैसे

 यह गुण हमें सिखा‌ओ न ,

 तितली रानी, तितली रानी

                 पास हमारे आ‌ओ न ।

 

एम.आ‌ई.जी -292, कैलाश विहारआवास विकास योजना सं- एक,

                                 कल्याणपुर, कानपुर-208017 (उ.प्र)

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Tuesday, April 6, 2021

162- कपास का फूल

 कपास का फूल 

चक्रधर शुक्ल 

 

धुनिया  मुझको  धुनता  है


मुझे
  जुलाहा  बुनता   है 

 

सज -धज के  जब आता हूँ,

सब पर  मैं  छा  जाता  हूँ 

 

जाड़ा   दूर  भगाता  हूँ    ,

सबके  मन  को भाता हूँ

 


मैं
  बाती  बन  जाता  हूँ   ,

थाली  में   सज जाता  हूँ

 

सबके  मैं   अनुकूल   हूँ  ,

मैं - कपास का  फूल  हूँ 

 

Sunday, February 21, 2021

Friday, February 5, 2021

160-कविता पाठ

शान्तनु काम्बोज का कविता-पाठ [ नीचे दिए गए वीडियो को क्लिक कीजिए]



Monday, February 1, 2021

आदर्श प्रश्न पत्र-विषय : हिंदी ऐच्छिक कक्षा: 12वीं

 

आदर्श प्रश्न पत्र CBSE 2021 पैटर्न के अनुसार

 

विषय : हिंदी ऐच्छिक   कक्षा: 12वीं                                                 पूर्णांक: 80  समय: 3 घंटे

 

नोट:- इस प्रश्न पत्र में दो खंड हैं  'क' और 'ख' खंड 'क' में प्रश्न 1 से 6 तक सभी वस्तुपरक प्रश्न हैं और खंड 'ख' में 7 से 14 तक सभी वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए है।

 

खंड 'क' वस्तुपरक प्रश्न

 

प्रश्न-1  निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के लिए सही विकल्प चुनकर उत्तर पुस्तिका में लिखिए-        1×10

 

जब कोई आदमी भाषा बोलता है , तो साथ में उसके संस्कार भी बोलते हैं। यही कारण है कि भाषा शिक्षक का दायित्व बहुत गुरुतर और चुनौतीपूर्ण है। परम्परागत रूप में शिक्षक की भूमिका इन तीन कौशलों - बोलना, पढ़ना और लिखना तक सीमित कर दी गई है। केवल यांत्रिक कौशल किसी जीती-जागती भाषा का उदाहरण नहीं हो सकते हैं। सोचना और महसूस करना , दो ऐसे कारक हैं ; जिनसे भाषा सही आकार पाती है। इनके बिना भाषा गूँगी एवं बहरी है, इनके बिना भाषा संस्कार नहीं बन सकती, इनके बिना भाषा युगों-युगों का लम्बा सफ़र नहीं तय कर सकती; इनके बिना कोई भाषा किसी देश या समाज की धड़कन नहीं बन सकती। केवल सम्प्रेषण ही भाषा नहीं है। दर्द और मुस्कान के बिना कोई भाषा जीवन्त नहीं हो सकती। सोचना भी केवल सोचने तक सीमित नहीं। सोचने में कल्पना का रंग न हो , तो क्या सोचना। कल्पना में भाव का रस न हो, तो किसी भी भाषा का भाषा होना बेकार। भाव, कल्पना और चिन्तन भाषा को उसकी आत्मा प्रदान करते हैं।

 

भाषा-शिक्षक ख़ुद ही पूरे समय बोलता रहे, यह शिक्षण की सबसे बडी कमज़ोरी है। प्रायः यह देखने में आता है कि बहुत से बच्चों को वर्ष में एक बार भी भाषा की कक्षा में बोलने का अवसर नहीं मिल पाता है। बिना बोले भाषा का परिष्कार एवं संस्कार कैसे हो सकता है? बच्चों के आसपास का संसार बहुत बड़ा एवं व्यापक है। दिन भर बहुत कुछ बोलने वाले वाले बच्चों को कक्षा में मौन धारण करके बैठना पड़ता है। यह किसी यातना से कम नहीं। बच्चों के भी अपने कच्चे-पक्के विचार हैं। उन्हें अभिव्यक्त करने का अवसर मिलना चाहिए। अभिव्यक्ति का यह अवसर ही भाषा को माँजता और सँवारता है। "ख़ामोश पढ़ाई ज़ारी है" की स्थिति भाषा के लिए शुभ संकेत नहीं है। हमें इस प्रवृत्ति में बदलाव लाना पड़ेगा। दुनिया के अधिकतर झगड़े भाषा के ग़लत प्रयोग, ग़लत हाव-भाव के कारण पैदा होते हैं। बिगड़े सम्बन्ध भाषा के सही प्रयोग से सुलझ भी जाते हैं। 90 प्रतिशत अंक पाने वाले बहुत से बच्चे भी कमज़ोर अभिव्यक्ति के चलते अपनी बात सही ढंग से नहीं कह पाते। अतः आज के परिप्रेक्ष्य में यह आवश्यक है कि बच्चों को बोलने का भरपूर मौका दिया जाए; तभी अभिव्यक्तिकौशल में निखार आएगा। छोटी कक्षाओं से ही इस दिशा में बल दिया जाना चाहिए। संवाद, समूह-गान, एकालाप, कविता पाठ, कहानी -कथन, दिनचर्या-वर्णन के द्वारा बच्चों की झिझक दूर की जा सकती है।

 

 1:-भाषा शिक्षक के दायित्व को गुरुतर और चुनौतीपूर्ण क्यों बताया गया है?

(क) भाषा-शिक्षक छात्रों को संस्कारित करता है।

(ख) भाषा-शिक्षक छात्रों को भाषा का ज्ञान देता है।

(ग) भाषा-शिक्षक छात्रों को बोलना, पढ़ना और लिखना सिखाता है।

(घ) उपर्युक्त सभी कथन सत्य हैं।

 

2:-भाषा सही आकार कब पाती है?

 

(क) जब बच्चा बोलना शुरू कर दे  (ख) जब बच्चा सोचना और महसूस करना शुरू कर दे।

(ग) जब बच्चा लिखना शुरू कर दे      (घ) जब बच्चा प्रश्न पूछना शुरू कर दे

 

3:-सोचने और महसूस करने का भाषा पर क्या असर पड़ता है?

 

(क) इससे भाषा सही आकार पाती है।

(ख) इससे भाषा गूँगी-बहरी नहीं रहती।

 (ग) इससे भाषा युगों तक का लंबा सफर तय करती है।

 (घ)उपर्युक्त सभी कथन सत्य हैं।

 

 4:-सोचने में क्या होना आवश्यक है?

(क) कल्पना का रंग

(ख) भाषा का रंग

(ग) अपना अभिमान

(घ) अपनी प्रतिष्ठा की चाह

 

 5:- शिक्षण की सबसे बड़ी कमजोरी क्या है?

(क) कक्षा में बच्चों का बोलना

(ख)कक्षा में चुप्पी छाए रहना

(ग)केवल शिक्षक का ही बोलते रहना

(घ) छात्रों का बार-बार प्रश्न पूछना

 

 6:-भाषा का परिष्कार और संस्कार कैसे होता है?

(क)कक्षा में विभिन्न विषयों पर बोलने से

(ख) कक्षा में चुप रहने से

(ग) गृह कार्य नियमित रूप से करने से

(घ) खेल-कूद में नियमित रूप से भाग लेने से

 

 7:-भाषा के लिए क्या शुभ संकेत नहीं है?

(क) बच्चे का कक्षा में बोलना

(ख)कक्षा में खामोश होकर बैठना (ग)बच्चे का खेल-कूद में भाग लेना (घ) बच्चों का आपस में भाग लेना

 

8:-बोलने का मौका दिए जाने से बच्चे का कौन-से कौशल का विकास होता है?

(क) अभिव्यक्ति कौशल

(ख) नेतृत्त्व कौशल

(ग) संगीत कौशल

(घ) इनमें से कोई नहीं

 

9:-छोटी कक्षाओं में बच्चों को अभिव्यक्ति का अवसर किस प्रकार दिया जा सकता है?

(क) कविता पाठ के द्वारा

(ख) समूह गान के द्वारा

(ग)कहानी कथन के द्वारा

(घ) उपर्युक्त सभी कथन सत्य हैं

 

10:-इस गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक होगा-

(क) हिंदी भाषा

(ख)अभिव्यक्ति और माध्यम

(ग) भाषा का संस्कार

(घ) कक्षा में शांति

 

 

अथवा

 

परमेश्वर का यह समस्त विश्व ही महामंदिर है। इतना सारा यह पसारा उसी घट घट-व्यापी प्रभु का घर है, उसी लामकाँ का मकान है। पहले उस मनमोहन को अपने अंदर के मंदिर में दिल भर देख लो, फिर दुनिया के एक-एक जर्रे में उस प्यारे को खोजते चलो। सर्वत्र उसी प्रभु का सुंदर मंदिर मिलेगा, जहाँ-तहाँ उसी का सलोना घर दिखेगा। तब अविद्या की ‍अँधेरी रात बीत गई होगी। प्रेम के आलोक में तब हर कहीं भगवान के मंदिर-ही-मंदिर दिखाई देंगे। यह बहस ही न रहेगी कि उस राम का वास इस घर में है या उसमें। हमारी आँखों में लगन की सच्ची पीर होगी, तो उसका नूर हर सूरत में नज़र आएगा, कोने-कोने से साँवले गोपाल की मोहिनी बाँसुरी सुनाई देगी। हाँ, ऐसा ही होगा, बस आँखों पर से मजहबी तअस्सुब का चश्मा उतारने भर की देर है।

 

यों तो ऐसा सुंदर मंदिर कोई भी भावुक भक्त एक आनंदमयी प्रेमकल्पना के सहारे अपने हृदय-स्थल पर खड़ा कर सकता है या अपने प्रेमपूर्ण हृदय को ही विश्व-मंदिर का रूप दे सकता है। पर क्या ही अच्छा हो, यदि सर्वसाधारण के हितार्थ सचमुच ही एक ऐसा विशाल विश्व मंदिर खड़ा किया जाए। क्यों न कुछ सनकी सत्यप्रेमी नौजवान इस निर्माण-कार्य में जुट-जाएँ। इससे निस्संदेह संशय, अविश्वास और अनिश्वरता का दूषित वायुमंडल हट जाएगा और सूखे दिलों से भी फिर एक बार प्रेम-रस का स्रोत फूट पड़ेगा।

 

यह विश्व-मंदिर होगा कैसा? एक अजीब-सा मकान होगा वह। देखते ही हर दर्शक की तबीयत हरी हो जाएगी। रुचि वैचित्र्य का पूरा ख्याल रखा जाएगा। भिन्नताओं में अभिन्नता दिखाने की चेष्टा की जाएगी। नक्शा कुछ ऐसा रहेगा, जो हर एक की आँखों में बस जाए। किसी एक खास धर्म-संप्रदाय का न होकर वह मंदिर सर्व धर्म संप्रदायों का समन्वय-मंदिर होगा। वह सबके लिए होगा, सबका होगा। वहाँ बैठकर सभी सबके मनोभावों की रक्षा कर सकेंगे, सभी-सबको सत्य, प्रेम और करुणा का भाग दे सकेंगे।

 

चित्र उस मंदिर में ऐसे-ऐसे भावपूर्ण अंकित किए जाएँगे कि पाषाण-हृदय दर्शक को भी उनसे सत्य और प्रेम का कुछ-न-कुछ संदेश मिला करेगा। किसी चित्र में राज-राजेश्वर राम गरीब गुह को गले लगाए हुए दिखाई देंगे, तो कहीं वे भीलनी के हाथ से उसके जूठे बेर चखते मिलेंगे। कहीं सत्यवीर हरीशचंद्र, रानी शैव्या से वत्स रोहिताश्व का आधा कफन दृढ़ता से माँगता होगा। कहीं त्रिलोकेश्वर कृष्ण एक दीन दरिद्र अतिथि के धूल-भरे पैरों को अपने प्रेम अश्रुओं से पखारते मिलेंगे और कहीं वही योगेश्वर वासुदेव घबराए हुए पार्थ को अनासक्तियोग का संदेश दे रहे होंगे और भी वहाँ ऐसे ही अनेक चित्र देखने को मिलेंगे। भगवान बुद्ध एक वेश्या के हाथ से भिक्षा ग्रहण कर रहे होंगे। कहीं घिनौने कोढ़ियों के घाव धोते हुए दयालु ईसा का सुंदर चित्र देखने को मिलेगा और किसी चित्र में वही महात्मा संसार के पापों को अपने रक्त से धोने के लिए सूली पर चढ़ता हुआ दिखाई देगा। प्रियतमा सूली को चूमने वाला मस्त मंसूर भी वहीं मुसकराता हुआ नजर आएगा। कहीं दर्द दीवानी मीरा अपने प्यारे सजन का चरणोदक समझ कर जहर का प्याला प्रेम से पी रही होगी और किसी चित्र में निर्बल सूर की बाँह झटक कर वह नटखट नंदनंदन वहीं कहीं लुका-छिपा खड़ा होगा।

 

 

1:-ईश्वर का मंदिर कैसा है?

(क) अद्भुत

(ख)विशाल

(ग) पूरा विश्व ही ईश्वर का मंदिर है

(घ) उपर्युक्त सभी कथन सत्य है

 

2:-घट-घट व्यापी का क्या अर्थ है?

(क) हर प्राणी के हृदय में निवास करने वाला ईश्वर

(ख) घड़े में रहने वाला

(ग)सभी देहधारियों का पिता

(घ) सभी धर्मों को मानने वाले

 

3:-हर प्राणी के हृदय में ईश्वर की अनुभूति होने पर क्या होगा?

(क) सभी धनी बन जाएँगे

(ख) कोई रोगी नहीं रहेगा

(ग)अविद्या की अँधेरी रात समाप्त हो जाएगी

(घ) इनमें से कोई नहीं

 

4:-लेखक की कल्पना का ऐसा विश्व मंदिर कब संभव है?

(क) जब सभी धर्मों के लोग एक साथ आए

(ख)जब कुछ सनकी सत्य प्रेमी नौजवान इसके निर्माण में जुट जाए

(ग)जब सभी धर्मों के प्रतीक चिह्न इसमें चित्रित किए जाए

(घ) जब अच्छी भवन- सामग्री और अच्छे कारीगर इसके लिए नियुक्त किए जाए

 

5:-'मजहबी तअस्सुब' का क्या अर्थ है

(क) असहिष्णुता

(ख)पक्षपात

(ग) घृणा

(घ) उपर्युक्त सभी

 

6:-हम किसे विश्व मंदिर का स्थान दे सकते हैं?

(क) अपने प्रेमपूर्ण हृदय को

(ख)अपने घर को

(ग) अपने विद्यालय को

(घ)अपने परिवार को

 

7:-उस मंदिर में कैसे चित्र अंकित किए जाएँगे?

(क) प्राचीन सभ्यताओं के चित्र

(ख)राम का गुह को गले लगाते हुए

(ग) भीलनी के जूठे बेर खाते श्रीराम

(घ) 'ख' और 'ग' कथन सत्य है

 

8:-त्रिलोकेश्वर श्रीकृष्ण ने किस अतिथि के पैरों को आँसुओ से धोया था?

(क) परशुराम के

(ख)गुरु कृपाचार्य के

(ग) गुरु संदीपन के

(घ) सुदामा के

 

9:-मीरा ने अपने प्रियतम का चरणोदक समझकर क्या पी लिया था?

(क) अमृत

(ख)  विष

(ग)  घृत

(घ) दुग्ध

 

10:-इस गद्यांश का उचित शीर्षक बताइए-

(क)विश्व मंदिर

(ख) राम मंदिर

(ग)स्वर्ण मंदिर

(घ)सूर्य मंदिर

 

 

 

 

प्रश्न 2:-निम्नलिखित काव्यांश को ध्यान से पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के सही उत्तर का चयन कीजिए-   1×8

 

माँ, मैं बीमार हूँ

बीमार ही होती हैं लड़कियाँ

मैं नहीं रहूँगी;

लेकिन, फिर भी जीवित रहूँगी-

गुलाबों की क्यारी में

तुलसी-चौरे में ।

 

इन गुलाबों की क़लम

बरसों पहले लगाई थी मैंने,

कलियाँ, अपनी आँखों के पपोटे

खोलने को व्याकुल हैं,

ये कल फूल बनकर मुस्कराएँगी।

कल मैं न रहूँगी;

पर मेरी मुस्कान

तुम्हें पँखड़ियों में दुबकी मिलेगी

 

तुलसी-चौरे को मैं लीपती थी

तुम साँझ को दिया जलाती थीं

सवेरे कच्चे दूध से नहलाती थीं

 

जब तुम साँझ को

तुलसी-चौरे पर दिया जलाओगी

मेरी सूरत तुम्हारी आँखों में

तैर जाएगी

मद्धिम बाती-सा जलता हुआ

मेरा ज़र्द शरीर

भोर तक रोशनी करता रहेगा

इस तरह मैं तुलसी-चौरे में छुपकर

मुस्कुराती रहूँगी

तेरी गीली आँखें पोंछ दूँगी

माँ, तुम रोना नहीं !

 

लड़कियाँ तो बीमार होती ही रहती हैं,

लड़कियाँ तो मरती ही रहती हैं,

अपने लगाए पौधे

छोड़ जाती हैं-याद के लिए बस

पौधे छोड़ जाती हैं लड़कियाँ !

 

1:-इस कविता में यह क्यों कहा कि 'बीमार ही होती है लड़कियाँ'

(क) लड़कियों की समाज मे उपेक्षा होती है।

(ख) कुछ लोग लड़को की अपेक्षा लड़कियों को पौष्टिक भोजन नहीं देते।

(ग)समाज में ऐसी धारणा है कि लड़का वंश को आगे बढ़ाता है।

(घ) सभी कथन सत्य है।

 

2:-'कलियाँ, अपनी आँखों के पपोटे खोलने को व्याकुल' यहाँ ' पपोटे' का क्या अर्थ है?

(क) पंखुड़ी

(ख) पत्ती

(ग) कोपल

(घ) पलक

 

3:- कच्चे दूध से किसको नहलाया जाता था?

(क) तुलसी को

(ख) देवता को

(ग) गुलाब के पौधे को

(घ) तुलसी चौरे को

 

4:- कन्या, तुलसीचौरे में छुपकर क्यों मुस्कराना चाहती है?

(क) उसे तुलसीचौरा से मोह है

(ख) उसे मृत्यु के बाद तुलसी के रूप में घर में ही रहना है

(ग) वह अपने माता -पिता को हर हाल में प्रसन्न देखना चाहती है

(घ) उसे दूध से नहाना पसंद है

 

5:-'लड़कियाँ तो बीमार होती ही रहती हैं,' इस पंक्ति में किस भाव की अभिव्यक्ति हुई है?

(क) लड़कियों की सहनशीलता की   (ख) समाज में लड़कियों की उपेक्षा की

(ग) लड़कियो के प्रति सहानुभूति की

(घ) लड़कियों के प्रति  दया भाव की

 

6:- लड़कियाँ अपनी याद के लिए क्या छोड़ जाती है

(क) पौधे

(ख) पत्तियाँ

(ग) फूल

(घ) पेंटिंग

 

7:-लड़की के चले जाने पर उसकी मुस्कान कहाँ मिलेगी?

 

(क)फूलों की पंखुड़ियों में

(ख) तुलसी चौरा में

(ग)अपने लगाए गुलाब के पौधे में  (घ)अपने घर के आँगन में

 

8:-'लड़कियाँ तो बीमार होती ही रहती हैं,' इस पंक्ति में किस भाव की अभिव्यक्ति हुई है?

(क)उपेक्षा

(ख)दया

(ग)करुणा

(घ)उपर्युक्त सभी

 

अथवा

 

 

नदी भूल गई थी कि

साथ रहकर भी जब किनारा

उसकी शान्ति को न समझा

तो उसकी लहरों की ध्वनि

वह क्या समझेगा?

आज अचानक नदी बोल पड़ी

ओ किनारे !यदि तुम क्रूर हो

समय के जैसे

तो मैं भी प्रबल जलधारा हूँ

अपने वेग से तुम्हारी सीने पर

अमिट हस्ताक्षर करूँगी

कुछ भी हो जाए; हठ है मेरा कि

इन चट्टानों पर गहरी 'नदी' लिखूँगी।

किनारे को लगा कि

नदी की ध्वनि से

उसका अस्तित्व संकट में है।

इसलिए उसने नदी को बाँधकर समझा दिया

कि वह चुप ही रहे तो अच्छा है;

किन्तु जिसका अस्तित्व वेग से ही हो

वह चुप कैसे रह सकती थी?

आज फिर नदी की अंतर्ध्वनि

लहरों की तीव्र ध्वनि में बदल गई

और उसने फिर से उसकी वेगवती धाराओं ने

किनारे की चट्टानों को काटकर

'नदी' लिखना आरम्भ कर दिया

मैं देख सकती हूँ कि

नदी के हस्ताक्षर गहरे हो रहे हैं;

क्योंकि उसने विकटतम परिस्थिति में भी

बहने की सौगन्ध ले ली है,

इसीलिए किनारा स्तब्ध है।

वह अपने छोर संकुचित कर रहा है

लहरें और भी अधिक तीव्र ध्वनि से

'नदी' लिख रही हैं, फिर भी

नदी संस्कार नहीं भूली

किनारे के साथ ही बह रही है।

उसके हस्ताक्षर और संस्कारों को

एक दिन किनारा स्वयं ही स्वीकार करेगा।

निश्चित रूप से क्रूर समय भी

'नदी' के अस्तित्व को प्रमाणित करेगा।

अंत में इतना कहना है कि

नदी की चुप्पी आपदा का संकेत है

इसलिए, ओ किनारे! नदी को निर्बाध बहने दो।

ताकि तुम भी सुरक्षित रह सको। .

 

1:-नदी ने क्या भूल की?

(क) कि किनारा साथ रहकर भी उसकी शांति को नहीं समझ पाया तो उसकी लहरों की ध्वनि को क्या समझेगा

(ख) कि किनारों में नदी को बाँधने की शक्ति है

(ग)नदी के किनारे बहुत क्रूर होते हैं

(घ) किनारे नदी की प्रबल जलधारा से नहीं डरते

 

2:-किनारों ने अपना अस्तित्व संकट में देखकर क्या किया?

(क) उनने नदी की महत्ता को समझकर स्थान दे दिया

(ख) किनारों ने नदी को बाँध दिया

(ग) किनारों ने अपने छोर को संकुचित कर लिया

(घ) किनारों ने नदी को स्वछंद होकर बहने दिया

 

3:-नदी का अस्तित्व किस्में है?

(क)वेग में

(ख) सूख जाने में

(ग)प्रलय में

(घ) किनारों से बँधने में

 

4:-नदी के हस्ताक्षर गहरे क्यों हो रहे हैं?

(क)क्योंकि नदी में पानी बढ़ रहा है

(ख)लोगों ने नदी से रेत निकाल लिया है

(ग) क्योंकि किनारे संकुचित होने से नदी का वेग बढ़ रहा है, नदी अपने साथ मिट्टी बहाकर ले जा रही है

(घ)नदी पर बाँध बना दिया गया है

 

5:-किनारे संकुचित होने का क्या कारण है?

(क) भू माफियाओं द्वारा नदी की भूमि पर कब्जा करना

(ख)नदी का सूख जाना

(ग) नदी की भूमि पर खेती करना

(घ) नदी का निर्बाध बहना

 

6:-किनारा स्तब्ध क्यों है?

(क) नदी की विद्रूपता देखकर

(ख)अपना संकुचित रूप देखकर

(ग) नदी के अस्तित्व को देखकर

(घ) नदी के विकटतम परिस्थितियों में भी बहने की सौगंध की बात जानकर

 

7:-किनारों की सुरक्षा किसमें है?

(क) नदी को वेगवती बनाने में

(ख)नदी के गहरा हो जाने में

(ग)नदी के उथला हो जाने में

(घ)नदी के निर्बाध होकर बहने में

 

8:-नदी का संस्कार क्या है?

(क) वेगवती होकर बहना

(ख)किनारों के साथ बहना

(ग)किनारे तोड़कर बहना

(घ) गहरी होकर बहना

 

अभिव्यक्ति और माध्यम

 

प्रश्न-3-निम्नलिखित में से निर्देशानुसार सही विकल्प का चयन कीजिए:-                     1×5

 

। :- निम्नलिखित में से जनसंचार का सबसे पुराना माध्यम कौन-सा है?

 

(क) प्रिंट माध्यम

(ख) रेडियो

(ग) टेलीविजन

(घ) इंटरनेट

 

2:-रेडियो माध्यम को इनमें से कौन-सा माध्यम कहा जाता है?

 

(क) एक रेखीय माध्यम

(ख)द्वि रेखीय माध्यम

(ग) प्रिंट माध्यम

(घ) दृश्य माध्यम

 

 3:- इंटरनेट पत्रकारिता आजकल बहुत लोकप्रिय है क्योंकि-

 

(क)इससे दृश्य एवं प्रिंट दोनों माध्यमों का लाभ मिलता है।

(ख)इससे खबरें बहुत तीव्र गति से पहुँचाई जाती हैं।

(ग)इससे खबरों की पुष्टि तत्काल होती है।

(घ)इससे न केवल खबरों का संप्रेषण, पुष्टि, सत्यापन ही होता है बल्कि खबरों के बैकग्राउंडर तैयार करने में तत्काल सहायता मिलती है।

 

 

4:-पीत पत्रकारिता का दूसरा नाम क्या है?

 

(क) खोजी पत्रकारिता

(ख)पेज-थ्री पत्रकारिता

(ग) स्टिंग ऑपरेशन

(घ)उपर्युक्त सभी

 

 

5 :-रेडियो समाचार की भाषा ऐसी हो-

(क) जिसमें आम बोलचाल के शब्दों का प्रयोग हो।

(ख)जो समाचारवाचक आसानी से पढ़ सके।

(ग)जिसमें आम बोलचाल की भाषा के साथ-साथ सटीक मुहावरों का इस्तेमाल हो।

(घ)जिसमें सामासिक और तत्सम शब्दों की बहुलता हो।

 

पाठ्यपुस्तक

 

प्रश्न 4:-निम्न लिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर, नीचे दिए गए प्रश्नों के विकल्पों में से सही विकल्प का चयन कीजिए-              1×5

 

अरुण यह मधुमय देश हमारा।

जहाँ पहुँच अनजान क्षितिज को मिलता एक सहारा।।

सरल तामरस गर्भ विभा पर, नाच रही तरुशिखा मनोहर।

छिटका जीवन हरियाली पर, मंगल कुंकुम सारा।।

लघु सुरधनु से पंख पसारे, शीतल मलय समीर सहारे।

उड़ते खग जिस ओर मुँह किए, समझ नीड़ निज प्यारा।।

बरसाती आँखों के बादल, बनते जहाँ भरे करुणा जल।

लहरें टकरातीं अनन्त की, पाकर जहाँ किनारा।।

हेम कुम्भ ले उषा सवेरे, भरती ढुलकाती सुख मेरे।

मदिर ऊँघते रहते जब, जगकर रजनी भर तारा।।

 

1:-प्रस्तुत गीत किस पुस्तक से लिया गया है?

(क)स्कन्ध गुप्त नाटक से

(ख) चंद्रगुप्त नाटक से

(ग)अजातशत्रु से

(घ)ध्रुवस्वामिनी नाटक से

 

 2:-'मधुमय' का प्रयोग किसके लिए हुआ है?

(क) भारतवर्ष के लिए

(ख)मदिरा के लिए

(ग) सूर्य की लालिमा के लिए

(घ) हेम कुम्भ के लिए

 

 3:-'जीवन- हरियाली' में अलंकार बताइए-

(क)उत्प्रेक्षा

(ख) अन्योक्ति

(ग)रूपक

(घ) उपमा

 

 4:-भारतीयों की आँखों में अतिथियों के प्रति कैसा भाव रहता है?

(क)करुणा का

(ख) क्रोध का

(ग) उपेक्षा का

(घ) ग्लानि का

 

 5:-"हेम कुम्भ ले उषा सवेरे, भरती ढुलकाती सुख मेरे।" इस पंक्ति में किस अलंकार का प्रयोग हुआ है?

(क) मानवीकरण

(ख)अन्योक्ति

(ग)उपमा

(घ)रूपक

 

प्रश्न 5:-निम्न लिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर, नीचे दिए गए प्रश्नों के विकल्पों में से सही विकल्प का चयन कीजिए-              1×5

 

ये लोग आधुनिक भारत के नए ‘शरणार्थी’ हैं, जिन्हें औद्योगीकरण के झंझावात ने अपनी घर-जमीन से उखाड़कर हमेशा के लिए निर्वासित कर दिया है। प्रकृति और इतिहास के बीच यह गहरा अंतर है। बाढ़ या भूकंप के कारण लोग अपना घर-बार छोड़ कर कुछ अरसे के लिए जरूर बाहर चले जाते हैं, किंतु आफत टलते ही वे दोबारा अपने जाने-पहचाने परिवेश में लौट भी आते हैं। विकास और प्रगति के नाम पर जब इतिहास लोगों को उन्मूलित करता है, तो वे फिर कभी अपने घर वापस नहीं लौट सकते। आधुनिक औद्योगीकरण की आँधी में सिर्फ मनुष्य ही नहीं उखड़ता, बल्कि उसका परिवेश और आवासस्थल भी हमेशा के लिए नष्ट हो जाते हैं।

 

 1:- आधुनिक भारत के नए शरणार्थी किसे कहा गया हैं?

(क)पाकिस्तान से आए लोगों को  (ख)रोहिंग्या शरणार्थियों को

(ग)औद्योगीकरण के कारण अपनी ज़मीन से उजड़े लोगों के लिए

(घ)प्राकृतिक आपदा पीड़ित लोगों के लिए

 

 2:-यह गद्यांश किस पाठ से लिया गया है?

(क)दूसरा देवदास

(ख) प्रेमघन की छाया-स्मृति

(ग)जहाँ कोई वापसी नहीं

(घ)सुमिरिणी के मनके

 

 3:-विकास और प्रगति के नाम पर विस्थापित हुए लोगों की सबसे बड़ी विडंबना क्या है?

(क) उन्हें सरकार से सहायता नहीं मिलती

(ख)वे अपने रिश्तेदारों से सदा के लिए दूर हो जाते हैं

(ग)वे कभी अपने पुराने स्थान पर नहीं लौट सकते

(घ)वे दूसरे दर्जे के नागरिक बन जाते है

 

 4:-औद्योगीकरण के कारण विस्थापित मनुष्य को क्या झेलना पड़ता है?

(क) आवास स्थल का नष्ट होना (ख)परिवेश का उजड़ जाना

(ग)आर्थिक रूप से पिछड़ जाना   (घ) उपर्युक्त सभी

 

 5:-इस पाठ के लेखक कौन है?

(क) हजारी प्रसाद द्विवेदी

(ख)रामचंद्र शुक्ल

(ग)चंद्रधर शर्मा 'गुलेरी'

(घ) निर्मल वर्मा

 

पूरक पाठ्यपुस्तक

 

प्रश्न 6:-पूरक पाठ्यपुस्तक अंतराल के आधार पर दिए गए प्रश्नों के उत्तर के रूप में सही विकल्प का चयन कीजिए-                 1×7 अंक

 

1:- 'सूरदास की झोपड़ी' प्रेमचंद की किस रचना का भाग है?

(क) गोदान

(ख) गबन

(ग) निर्मला

(घ) रंगभूमि

 

2:-'सूरदास की झोपड़ी' कहानी का मुख्य पात्र कौन है?

 

(क) प्रेमचंद

(ख) जगधर

t(ग) भैरो

(घ) सूरदास

 

3:- 'प्रभाष जोशी' जी ने 'अंतराल' पूरक पुस्तक के लिए कौन-सा पाठ लिखा?

 

 (क)सूरदास की झोपड़ी

(ख) आरोहण

(ग) बिस्कोहर की माटी

(घ)अपना मालवा खाऊ-उजाडू सभ्यता में

 

4:-'आरोहण' कहानी में किस प्रदेश का वर्णन है।

(क) मध्यप्रदेश का

(ख)उत्तराखंड का

(ग) सिक्किम का

(घ)नागालेंड का

 

5:- बिस्कोहर की माटी किसकी आत्मकथा का अंश है?

 

(क)मुंशी प्रेमचंद

(ख)प्रभाष जोशी

(ग)विश्वनाथ त्रिपाठी

(घ)संजीव

 

6:-आरोहण कहानी किस प्रकार की कहानी है?

(क) पर्वतारोहण की कहानी

(ख)पहाड़ी क्षेत्र में रहने वाले लोगों की कहानी

(ग)कोयला खदान में काम करने वाले मजदूरों की कहानी

(घ) यह एक प्रेम कहानी है

 

7:-बच्चे द्वारा माँ का दूध पीना केवल दूध पीना ही नहीं बल्कि---------

(क) बच्चे के सारे संबंधों का जीवन चरित होता है

(ख) बच्चे के व्यक्तित्व के विकास का मार्ग प्रशस्त करना है-

(ग) बच्चे को संस्कारित करना है-

(घ) उपर्युक्त सभी कथन सत्य हैं-

 

 

खंड 'ख' वर्णनात्मक

कार्यालयी हिंदी और रचनात्मक लेखन

 

 

प्रश्न 7:- निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर रचनात्मक लेख लिखिए:-               5 अंक

 

(क) कोरोना आपदा का प्रभाव।

(ख) हमें चलते जाना है।

(ग) मन के हारे हार है,मन के जीते जीत

प्रश्न 8:-अपने शहर में उत्पन्न पानी की समस्या की ओर ध्यान आकर्षित कराते हुए किसी समाचार-पत्र के सम्पादक को पत्र लिखिए।

 

अथवा

कोरोना महामारी के बाद लोगों के असहाय-निरुपाय जीवन के बारे में बताते हुए अपने मित्र को पत्र लिखिए-                          5 अंक

 

प्रश्न 9:-निम्न लिखित प्रश्नों के उत्तर 40-50 शब्दों में लिखिए:-      

(क) प्रिंट माध्यम की दो विशेषताएँ और दो कमियाँ बताइए:-  3 अंक

अथवा

कहानी के महत्त्वपूर्ण तत्त्व बताइए

(ख) कहानी का नाट्यरूपान्तरण करते समय किस बात पर बल देना चाहिए-  2 अंक

               अथवा

कविता किस प्रकार लिखी जाती है?   2 अंक

 

प्रश्न 10:--निम्न लिखित प्रश्नों के उत्तर 40-50 शब्दों में लिखिए:-

(क) समाचार किस शैली में लिखा जाता है, समाचार लिखते समय किन- किन बातों का ध्यान रखना चाहिए-3 अंक

         अथवा

विशेष लेखन किसे कहते है, विशेष लेखन के लिए क्या-क्या आवश्यक है?

                             

(ख) आलेख किसे कहते है?    2अंक

                     अथवा

फीचर किसे कहते हैं? समाचार और फ़ीचर में क्या अंतर है?

प्रश्न 11:-निम्न लिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर 50-60 शब्दों में दीजिए-        3×2 अंक

(क) देवसेना की हार व निराशा के क्या कारण थे?

(ख) कवि ने लोगों के आत्मनिर्भर, मालामाल और गतिशील होने के लिए किन तरीकों की ओर संकेत किया है? अपने शब्दों में लिखिए।

(ग) वन में भरत-राम के मिलन का वर्णन कीजिए-

प्रश्न 12:-निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर 50-60 शब्दों में लिखिए-           2×2 अंक

(क)तोड़ो कविता में 'पत्थर' और 'चट्टान'  शब्द किसके प्रतीक हैं?

(ख) फाल्गुन मास में जायसी की विरहणी नायिका की वेदना अनुभूति का वर्णन कीजिए-

(ग) विद्यापति की नायिका के प्राण तृप्त न हो पाने का कारण अपने शब्दों में लिखिए-

 प्रश्न 13:-निम्न लिखित प्रश्नों में से किन्ही दो के उत्तर 50-60 शब्दों में दीजिए-               3×2 अंक

(क)लेखक रामचंद्र शुक्ल जी का हिंदी-साहित्य के प्रति झुकाव किस प्रकार बढ़ता गया?

(ख)"बालक बच गया। उसके बचने की आशा है, क्योंकि वह लड्डू की पुकार जीवित वृक्ष के हरे पत्तों का मधुर मर्मर था, मरे काठ की अलमारी की सिर दुखानेवाली खड़खड़ाहट नहीं" कथन के आधार पर बालक की स्वाभाविक प्रवृत्तियों का उल्लेख कीजिए-

(ग)संवदिया की क्या विशेषताएँ हैं और गाँव वालों के मन में संवदिया की क्या अवधारणा है?

प्रश्न 14:-निम्न लिखित प्रश्नों में से किन्ही दो के उत्तर 30-40 शब्दों में दीजिए-               2×2 अंक

(क) बचपन में लेखक के मन में भारतेंदु जी के संबंध में कैसी भावना जगी रहती थी?

(ख)संवदिया 'डटकर खाता है और अफर कर सोता है' से क्या आशय है?

(ग) आधुनिक भारत के नए शरणार्थी किन्हें कहा गया है?

-0-

 

स्वराज सिंह, हिंदी प्रवक्ता,GBSSS SU ब्लॉक पीतमपुरा