रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
1-गैया
हरी
दूब है गैया खाती
सबको
पीठा दूध पिलाती ।
बने
दूध से दही-मलाई
तरह
-तरह की खूब मिठाई ।
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2-गीत
ढोल
बजा मेढक का ढम-ढम
भालू
बना बाँसुरी वाला ।
अच्छे
साथी मिले गधे को
गीत
सुनाता गड़बड़झाला ।
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3-सर्कस
देखो
सर्कस का यह खेल
हाथी,
घोड़ा ठेलमपेल ।
झूला
झूल उछल हवा में
कुछ
देखो छलाँग लगाते।
बन्दर
, चीता, जोकर आते
सब
हैं अपने खेल दिखाते।
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4-नेवले की जीत
समझ
नेवले को छोटा
नाग
झपट पड़ा ।
बहुत
निडर था नेवला
डटकर
खूब लड़ा ।
नेवले
की जीत हुई
हारा
नाग बड़ा ।
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5-सवारी
आसमान
पर जहाज उड़े
जिधर
चाहता उधर मुड़े॥
छुक-छुक
करके आती रेल
दूर-दूर
तक जाती रेल ।
लम्बी
सड़क बहुत इठलाती
मोटर
इस पर दौड़ लगाती ।
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