मेरा आँगन

मेरा आँगन

Sunday, May 3, 2020

156



रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
1-गैया

हरी दूब है गैया खाती
सबको पीठा दूध पिलाती ।

बने दूध से दही-मलाई
तरह -तरह की खूब मिठाई ।
-0--

2-गीत

ढोल बजा मेढक का ढम-ढम
भालू बना बाँसुरी वाला ।

अच्छे साथी मिले गधे को
गीत सुनाता गड़बड़झाला ।
-0-

3-सर्कस

देखो सर्कस का यह खेल
हाथी, घोड़ा ठेलमपेल ।

झूला झूल उछल हवा में
कुछ देखो छलाँग लगाते।

बन्दर , चीता, जोकर आते
सब हैं अपने खेल दिखाते।

-0-

4-नेवले की जीत

समझ नेवले को छोटा
नाग झपट पड़ा ।

बहुत निडर था नेवला
डटकर खूब   लड़ा ।

नेवले की जीत हुई
हारा नाग बड़ा ।

-0-
5-सवारी

आसमान पर जहाज उड़े
जिधर चाहता उधर मुड़े॥

छुक-छुक करके आती रेल
दूर-दूर तक जाती रेल ।

लम्बी सड़क बहुत इठलाती
मोटर इस पर दौड़ लगाती ।
-0-

No comments: