मेरा आँगन

मेरा आँगन

Friday, January 27, 2017

137-सस्वर कविताएँ


डॉ पूर्णिमा राय

1-हुआ सवेरा  
2-जीवन की मुस्कान किताबें
3-पुष्प की अभिलाषा
4-बरसो राम धड़ाके से
5-चाँद का कुर्ता
6.पैसा पास होता तो
6.जीवन की ही जय है
8-फूल और काँटा
9-.एक बूँद
10-.तितली

11.चन्दा मामा दूर के
12. कुछ काम करो

7 comments:

Pushpa mehra said...


पूर्णिमा जी आपको यू ट्यूब पर विभिन्न नये और पुराने कवियों की कविताओं का अपने मधुर कंठ से सस्वर पाठन करने हेतु बहुत-बहुत बधाई, काम्बोज भाई जी की किताबों का महत्व बताती कविता अच्छी लगी,आपसे जुड़ी निजी चित्रमय अभिव्यक्ति भी सुंदर है |

पुष्पा मेहरा

सुनीता शर्मा 'नन्ही' said...

आदरणीय हिमांशु भाईसाहब जी की प्रेरणा से भरपूर बाल रचना हो या सुप्रसिद्ध साहित्यकारों की बाल साहित्य में सहयोव नि:संदेह प्रशंसनीय हैं कितु यह भी सत्य है कि लिखित रचना से अधिक मौखिक रचना दिलों में अपनी छाप छोड़ती है यह तो हम सभी अच्छी तरह जानते हैं । डॉ पूर्णिमा जी ने रोचक शैली में सभी रचनाएँ प्रस्तुत किये हैं । आपको बधाई ।

Dr.Purnima Rai said...

Meri vaani kahe kahani...
Respected Sir,
I am very thankful to you,...
Regards...Dr.Purnima Rai..

सुनीता काम्बोज said...

बहुत सरहानीय कार्य ...शानदार प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई

Krishna said...

बहुत ख़ूबसूरत रचनाएँ। पूर्णिमा राय जी के मधुर स्वर और मोहक अंदाज़ में रचनाओं की बहुत उम्दा प्रस्तुति। सभी रचनाकारों एवं पूर्णिमा जी को हार्दिक बधाई।

ज्योति-कलश said...

सुन्दर कविताओं की बहुत ही सुन्दर ,सरस प्रस्तुति ..
रचनाकारों और पूर्णिमा जी को हार्दिक बधाई !

बहुत शुभ कामनाओं के साथ
ज्योत्स्ना शर्मा

प्रियंका गुप्ता said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति...ढेरों बधाई....|