धनेश के बच्चे ने उड़ना सीखा
लेखक: दिलीप कुमार बरूआ ,अनुवाद : पंकज चतुर्वेदी ,चित्रांकन:पार्थ सेनगुप्ता
खरगोश और कछुए की दौड़
लेखक: किरण तामूली ,अनुवाद : पंकज चतुर्वेदी ,चित्रांकन:समरज्योति दास
प्रथम संस्करण: 2010 , मूल्य : 16 रुपये , पृष्ट :20 (आवरण सहित)
प्रकाशक: नेशनल बुक ट्रस्ट ,इण्डिया , नेहरू भवन ,5 इंस्टीट्यूशनल एर्या फेज़-दो , वसन्तकुंज , नई दिल्ली-110070
धनेश के बच्चे ने उड़ना सीखा में धनेश ( कठफोड़वा)पक्षी की जीवन शैली को कहानी के माध्यम से प्रस्तुत किया है । अण्डे देने के समय किस प्रकार धनेश बीट से मादा के आवास को सुरक्षित कर देता है, यह जानकारी बहुत रोचक है । साथ ही अण्डे देने और उन्हें सेने के समय नर धनेश किस निष्ठा से मादा के पोषण ध्यान रखता है, सचमुच बहुत महत्त्वपूर्ण है ।
खरगोश और कछुए की दौड़ पुस्तक में पुरानी कहानी को नए सन्दर्भों में प्रस्तुत किया गया है । दौड़ में फिर कछुआ ही जीतता है । अधिक खाने के कारण खरगोश हार जाता है । औसे अवसर पर अन्य जंगली जानवरों की उपस्थिति कथा को और अधिक रोचक बना देती है ।
पुस्तकें सजीव एवं उत्कृष्ट चित्रों से सुसज्जित है । चित्रांकन कथा को सरस बनाने और छोटे बच्चों का मन मोहने में हर दृष्टि से सक्षम हैं । पंकज जी के अनुवाद में मूल जैसा कथा-प्रवाह दृष्टिगोचर होता है।
इन दोनों पुस्तकों की पाण्डुलिपियाँ असमिया बाल पत्रिका “मौचक” के सहयोग से जोरहाट में आयोजित कार्यशाला में तैयार की गई थीं ।
-प्रस्तुति- रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
1 comment:
बहुत बढ़िया है ये...
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'पाखी की दुनिया में' पुरानी पुस्तकें रद्दी में नहीं बेचें, उनकी जरुरत है किसी को....
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