मेरा आँगन

मेरा आँगन

Wednesday, April 1, 2009

बस्ते से बाहर कॉपी –पेंसिल



बस्ते से बाहर कॉपी पेंसिल

लेखक :श्री पंकज चतुर्वेदी

चित्रांकन :श्री मेहुल

मूल्य : 40 रुपये , पृष्ठ : 16 (कवर सहित)

प्रकाशक : रूम टू रीड इंडिया पब्लिकेशंस

ई-18 ए ईस्ट ऑफ़ कैलाश नई दिल्ली ११००६५

'बस्ते से बाहर कॉपी पेंसिल' पुस्तक नई कल्पना को सँजोकर लिखी है । जो आम तौर पर बाल साहित्य लिखा जा रहा है , यह पुस्तक पुस्तक उससे हटकर है ।बस्ते में बन्द कॉपी और पेंसिल में विवाद होता है । बस्ता परेशान हो उठा ।उसने दोनों को बस्ते से बाहर निकलकर दौड़ लगाने के लिए कहा । जो सबसे तेज़ दौड़ेगा , वही अव्वल माना जाएगा। दोनों का अपना-अपना अहंकार है ।दोनों बस्ते से बाहर निकल कर दौड़ पड़ते हैं और आँधी में फँस जाते हैं। कॉपी जब उड़ने लगी तो पेंसिल उस पर सवार होकर उसे बचा लेती है। साथ ही चाँदनी रात का मज़ा भी लेती है । जान बचाने पर कॉपी पेंसिल को धन्यवाद देती है।

परोक्ष रूप में साथ-साथ रहने एवं सामंजस्य का निर्वाह करने को महत्त्व प्रदान किया गया है ।बाल-मन की उड़ान को पंकज जी ने कथासूत्र में बाँधकर प्रस्तुत किया है ।लेखक इस कार्य में सफल हुआ है कि बच्चों के परिवेश की कहानी उनसे सर्वाधिक निकट होती है ।यह पुस्तक प्रकाशन के –'शिक्षा वह माध्यम है जिसका उपयोग वे जीवन भर करते हैं।' उद्देश्य को एवं स्वस्थ चिन्तन को विकसित करने में सक्षम है । चित्रांकन कहानी के अनुरूप एवं प्रभावशाली है ।


रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'




No comments: