डॉ.अर्पिता अग्रवाल
1.सवेरा
सूरज जागा रथ को हाँका,
चंदा मामा सोने भागा,
मुर्गों ने फिर बाँग लगाई,
बस्ती ने भी ली अँगड़ाई
झोंका तभी हवा का आया,
चिड़ियों ने मिल गाना गाया,
भोर उजाला लेकर आई
जागो, उठकर दौड़ो भाई।
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2 .सूरज की सवारी
सूर्य की सवारी आई,
सतरंगी
उजास है लाई ।
नील रंग बिखरा अलबेला।
रंग-बिरंगा बाग़ सजाओ,
खिलो-खिलाओ हँसो हँसाओ।
खुशबू की मटकी भर लाओ
सारी दुनिया को महकाओ ।
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11 comments:
डॉ अर्पिता जी 'सवेरा' और 'सूरज की सवारी' दोनों ही कवितायें बहुत सुन्दर रचना हैं बधाई स्वीकारें |
सुंदर बाल कविताएँ , खुशबू की मटकी - वाह ।
बधाई ।
रमेश कुमार सोनी , बसना
दोनों कविता बहुत ही प्यारी
अर्पिता जी हार्दिक शुभकामनाएँ
मनभावन रचना के लिए बधाई अर्पिता जी!
बहुत ही सुंदर बाल कविताएं ... अर्पिता जी को बहुत बहुत बधाई 💐💐
दोनों बाल कविताएँ मनमोहक बहुत सुंदर हैं। बधाई अर्पिता जी।
चंदा मामा सोने भागा,
मुर्गों ने फिर बाँग लगाई,
बस्ती ने भी ली अँगड़ाई
bahut khoob bachchon ke liye pyari kavitayen
badhayi
rachana
बहुत प्यारी बाल रचनाएँ...बधाई अर्पिता जी।
बहुत प्यारी बाल कविताएं । बधाई डॉ अर्पिता ।
दोनों कविताएँ बहुत प्यारी हैं. सुन्दर लेखन के लिए बधाई अर्पिता जी.
दोनों बाल-कविताएँ बहुत ही प्यारी!
हार्दिक बधाई अर्पिता जी!
~सादर
अनिता ललित
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