मेरा आँगन

मेरा आँगन

Tuesday, November 14, 2017

142

सुनीता काम्बोज के 4  बालगीत
1
बन्दर की आई सरकार
शेर गया है अबकी हार

बैठा बन्दर
बड़ा कलन्दर
खुश होता है
अंदर- अंदर

नाचे गाए
खुशी मनाए
जो जीता अब
वही सिकन्दर

चूहा अब है थानेदार
बन्दर की आई सरकार

हौले- हौले
मनवा डोले
खड़ी गिलहरी
खिड़की खोले

शेर चला है
मुँह लटकाए
अब बेचारा
कैसे  बोले

लगता है जैसे बीमार
बन्दर की आई सरकार

राज मिला है
काज मिला है
बन्दर को अब
ताज मिला है

कूद रहा है
डाली- डाली
खुशियों का पल
आज मिला है

उसके गुण गाए अखबार
बन्दर की आई सरकार

बजी बधाई
जनता आई
बन्दर जी की
हुई सगाई

बने बराती
घोड़ा- हाथी
कोयल गाती
ज्यों शहनाई

जंगल में जैसे त्योहार
बन्दर की आई सरकार
           -०-
2
 साइकिल मेरी छोटी-सी है
दिखती बड़ी कमाल
सीधी -सीधी चलती लेकिन
कभी बदलती चाल


पहिये इसके काले हैं ये
नीली है कुछ लाल
धोकर इसको मैं चमकाता
रखूँ सदा सँभाल

 दादा जी ये जन्मदिवस पर
लाए थे उपहार
इसमें मुझको दिखता अपने
दादा जी का प्यार
   -०-
3

दादा जी एक पैसा दो
गोल-गोल हो ऐसा दो

टॉफ़ी लेकर आऊँगा
चूस-चूसकर खाऊँगा

मैं तो अच्छा बच्चा हूँ
सीधा -साधा सच्चा हूँ


रोज किताबें पढ़ता हूँ
नहीं किसी से लड़ता हूँ

बात हमारी मानो जी
छोटा बच्चा जानो जी
      -०-
4
बन्दर झूले डाली-डाली
उसके पीछे भागा माली

माली बोला -नीचे आओ
 मत पेड़ों के पात गिराओ

बन्दर बोला मेरी मर्जी
दौड़ा –दौड़ा आया दर्जी’

बन्दर बात नहीं अब माने
दर्जी ताली लगा बजाने

बन्दर को फिर गुस्सा आया
उसने अपना फोन मिलाया

फोन लगा था जाकर थाने
थानेदार लगा मुस्काने

बन्दर बोला मत मुस्काओ
पहले मेरी रपट लिखाओ
            -०-


21 comments:

नीलाम्बरा.com said...

वाह, हार्दिक बधाई

Vibha Rashmi said...

चारों बाल कविता पढ़ते हुए मैं तो अपने बचपन में ही पहुँच गई थी । बहुत मधुर । बाल दिवस की शुभकामनाएँ ।

Satya sharma said...

बहुत प्यारी - प्यारी बालकविताएँ । बहुत सुंदर
बालदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

Satya sharma said...

बहुत प्यारी - प्यारी बालकविताएँ । बहुत सुंदर
बालदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

Pushpa mehra said...


सुंदर बाल कविताओं हेतु सुनीता जी बधाई |

पुष्पा मेहरा

Shashi Padha said...

अरे वाह! कितनी प्यारी-प्यारी कवितायेँ | बचपन याद आ गया |

शुभाशीष,

शशि पाधा

Sudershan Ratnakar said...

चारों बाल कविताएँ बहुत सुंदर। बधाई सुनीता।

ज्योति-कलश said...

वाह वाह वाह्ह !! बहुत प्यारी कविताएँ !!

बड़ा आनन्द आया पढ़कर !!
खूब बधाई सुनीता जी :)

सविता अग्रवाल 'सवि' said...

वाह बहुत प्यारी कवितायें बचपन की यादों को ताज़ा कर गयी | बहुत बहुत बधाई सुनीता जी |

Unknown said...

Very nice

सुनीता काम्बोज said...
This comment has been removed by the author.
सुनीता काम्बोज said...

आदरणीय भैया जी मेरी बाल रचनाओं को पतंग ब्लॉग पर स्थान देंने के लिए सादर धन्यवाद । प्रिय कविता जी,आदरणीया विभा दी,प्रिय सत्या जी, आदरणीया पुष्पा जी, आदरणीया शशि जी,आदरणीया सुदर्शन जी ,आदरणीया ज्योत्स्ना जी ,आदरणीया सविता जी आप सबके के आशीष और स्नेह के लिए ह्रदय से धन्यवाद । यह स्नेह पाकर मन आनन्दित हो गया । आपके इन शब्दों ने मेरा आत्मविश्वास बढ़ाया है । बहुत- बहुत शुक्रिया सादर

Santosh Garg said...

कमाल का लिखिती हैं आप सुनीता जी

Santosh Garg said...

लिखती हैं

Santosh Garg said...

लिखती हैं आप

Krishna said...

बहुत सुंदर बाल कविताएँ सुनीता जी...बहुत-बहुत बधाई।

प्रियंका गुप्ता said...

वाह! मज़ा आ गया | बचपन की मीठी यादें ताज़ा हो गई...| ढेरों बधाई...|

Anita Manda said...

सहज, सरल, सुंदर!!

नफे सिंह कादयान said...

बहुत सुंदर।

Jyotsana pradeep said...

बहुत सुन्दर रचनाएँ लिखी हैं सखी ,आनंद आ गया ...
बहुत बधाई आपको !!

Vibha Rashmi said...

बहुत प्यारी बाल कविताएँ ।पढ़कर बचपन याद आ गया । खूब आनंद आया । बधाई प्रिय सुनीता ।