तीन कविताएँ
डॉ•रामनिवास ‘मानव’
1-हुई सुबह
उठो मियाँ अब
हुई सुबह,
स्वच्छ धुली अनछुई सुबह।
उठकर चन्दा–तारे अब,
गये घूमने सारे तब।
तुम भी उठो, घूमो–फिरो,
क्यों सोये हो प्यारे अब !
ओस, फूल, खुशियाँ लेकर,
आई है जादुई सुबह।
कौआ कहता रोटी दो,
चाहे छोटी–मोटी
हो।
चिड़िया गुस्से में बैठी,
कहती मेरा गीत सुनो।
अब इनको क्या कहना है,
पूछती छुईमुई सुबह।
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2-मोनू राजा
मोनू राजा आजा,
बैठ बजाएँ बाजा।
मिलकर सुनें कहानी,
राजा था या रानी।
खेलें चोर–सिपाही,
मेटें सभी बुराई।
तितली पकड़ें भागें,
परी–लोक में
जागें।
पीयें दूध–बताशा,
देखें खूब तमाशा।
नहीं किसी को डांटें,
जी–भर खुशियाँ
बांटें।
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3- मोनू का उत्पात
पापाजी का पैन चुराकर,
मूँछ बनाई मोनू ने।
दादाजी का बेंत उठाकर,
पूँछ लगाई मोनू ने।
करने लगे उत्पात अनेक,
उछल–उछल कर
फिर घर में।
किया नाक में दम सभी का,
मोनूजी ने पल–भर में।
मम्मी के समझाने से भी,
न मोनू महाशय माने।
डंडाजी जब दिये दिखाई,
तब आए होश ठिकाने।
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10 comments:
आलसी बच्चों को संदेश देती व बाल मनोवृत्ति दर्शाती कविताएँ बहुत ही सुंदर हैं ,बधाई|
पुष्पा मेहरा
डॉ राम निवास जी तीनों बाल कवितायें प्यारे भावों से पूर्ण हैं बधाई .
Bahut payari hain nanhi kavitayen meri hardik badhai...
सभी बाल बहुत ही सुंदर है, हार्दिक बधाई |
पुष्पा मेहरा
Bahut payari - payari kavitayen hain ... hardik badhai....
सहज, सरल भाषा में लिखी गयी ये तीनों बालकविताएँ निःसंदेह हर बालमन को बड़ी सहजता से छू लेगी | मनभावन रचनाओं के लिए बहुत बधाई...|
बहुत खूब !!!प्रेरणात्मक सृजन!!
बहुत प्यारी कविताएं । मोनू के जैसे मेरे घर में भी एक स्ाात्विक है। उनको अभी पढ़ाती हूँ। हार्दिक बधाई
नन्हे बच्चों को कंठस्त होने वाली लुभावनी प्यारी कवितायें बहुत मधुर हैं
अरे वाह !
अाज बहुत दिनों के बाद अाना हुअा इस ब्लाग पर लेकिन यहाँ अा कर मन खुश हो गया, इतनी प्यारी प्यारी कवितायें और सभी एक से बढ़ कर एक।
सभी को बहुत बहुत बधाई
सादर
मंजु मिश्रा
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