कमला निखुर्पा
बोल रे बादल, बादल बोल।
तुम गरजो तो नाचे
मोर
गूगल से साभार |
जो हम गरजें तो
मचता शोर
टीचरजी हम पर
गुर्राती
कित्ता समझाएँ
वो समझ ना पाती।
खुल जाती हम सबकी
पोल ।
बोल रे बादल, बादल बोल।
छप-
छपाछप कूदा-फाँदी
भीगे- भिगोए हम सब साथी
करें गुदगुदी नटखट बूँदें
कितने मजे का है ये
खेल
न खिड़की से झाँको
चुन्नू मुन्नू
बाहर आ
दरवाजे खोल।
बोल रे बादल बादल बोल।
ये तेरी नाव ,वो
मेरी नाव
बिन माँझी पतवार के
बह चली रे अपनी नाव
कागज की नैया
मुन्नू खिवैया
सब चिल्लाएं हैय्या
हो हैय्या !!
इन खुशियों का है
कोई मोल ??
बोल रे बादल बादल
बोल।
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12 comments:
बहुत ही प्यारी बालकविता।बधाई।
वाह …. बहुत ही सुन्दर कविता है … बच्चों की कविता बच्चों सी ही नटखट अौर प्यारी है
badal se bachhon ki tulana karate hue varsha se sambandhit anubhutiyon
ko jeeti kavita bahut manohari hai.kamla ji badhai.
pushpa mehra.
अहा! बादलों के मौसम में कित्ती प्यारी कविता. बधाई.
वाह वाह अति सुन्दर बाल कविता ...बोल बादल बोल ...लाजवाब
बहुत बहुत बधाई आपको
बूँदों में भीगते बचपन की यादों को ताज़ा करती बहुत सुन्दर रचना....बधाई आपको!
aapki rachna lota le gayi palbhar ko bachpan men bahut achhi lagi is bahanae kuchh der bachpan ji liya hardik badhai...
वर्षा में बाल मन की मस्ती में भिगोती बहुत सुन्दर कविता !
हार्दिक बधाई !!
बचपन की वर्षा याद आ गयी , ऊधम-मस्ती ...सब मन को भिगो गए...
सुंदर, प्यारी कविता... कमला जी !
बहुत-बहुत बधाई!
~सादर
अनिता ललित
कच्ची सी तुकबंदी मेरी .. पकी प्रेम की आँच में ... कविता बन गई |
बधाई आप सबको ...जो इतना समय देते हैं मेरी अनगढ़ रचना को पढ़ने और सराहने के लिए
वाह...वाह ! आनंद आ गया|
मेरी बहुत बधाई...|
सुन्दर रचना....बधाई
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