रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
जब से घर में आई बिल्ली
खा गई दूध –मलाई बिल्ली ।
ताक लगाए बैठी रहती
बन गई चुश्त सिपाही बिल्ली ।।
बिल में चूहे दौड़ लगाते
भूख के मारे बैठ न पाते
बाहर आने से अब डरते
दिन भर उपाय विचारा करते ।
फिर भी घबराते रहते हैं
कर न दे कहीं खिंचाई बिल्ली ।।
हफ़्ते भर में हिम्मत टूटी
बचने की उम्मीद भी छूटी ।
सब बोले-“अब छोड़ो यह घर
दिल से नहीं हट पाता है डर
कहीं और गुज़ारा कर लेंगे”-
सुन मन में मुस्काई बिल्ली ॥
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