मेरा आँगन

मेरा आँगन

Sunday, November 25, 2007

टालूराम

नवीन सागर

करना है दस दिन में काम
हाँ! हाँ!
बोले टालूराम।

हमने कहा समझ लो काम
बोले कभी समझ लेंगे
हमने कहा करोगे कब
वो जब चाहोगे तब
पर पहले समझोगे तो!
बोले तभी समझ लेंगे।

जैसे–तैसे समझा काम
दसवें दिन हम उनका नाम
पूछ–पूछ के मार तमाम
लौटे जब थककर के शाम
घर के आगे टालूराम
बोले भैया जै जै राम!
हमने कहा हो गया काम?
फौरन बोले कैसा काम!
हमने कहा अरे वो काम,
बोले अच्छा–अच्छा वो
भूल रहा हूँ क्या था काम!
हमने याद दिलाया काम
बोले दिल से टालूराम
कर देंगे हाँ
कर देंगे।

फिर से दस दिन गुजर गए
गुजर गए दस दिन फिर से
हम गुस्से में भरे हुए
उनके आगे खड़े हुए
हमने कहा हो गया काम!
बोले दस दिन तो हो लें
हमने कहा हो चुके हैं
बोले अभी और होंगे
और हँस पड़े टालूराम।

उनके जाने कितने काम
इसी तरह से किए तमाम!