चक्रधर शुक्ल की कविताएँ
1-पेड़ लगाओ
मम्मी मैं अपनी बगिया में
बगिया को महकाऊँगा।
बेला, गुलाब, चम्पारानी
जब फूलेंगी, तब देखना
तितली, चिड़ियाँ डाली-डाली
झूलेंगी तब देखना।
वातावरण बनेगा सुन्दर
पर्यावरण
निराला
वन-उपवन हो सघन-
तो होगा, जीवन खुशियों
वाला
मम्मी, मैं अपनी बगिया
में
गाऊँगा, मुस्काऊँगा,
सौ-सौ पेड़ लगाऊँगा।
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2-उपवन नया
बनाया जाए
बच्चों की यह माँग
निरर्थक जाए ना
बस्तों का अब बोझ -
बढ़ाया जाए ना।
होमवर्क इतना दे देते
मम्मी नहीं खेलने देती
पक जाता।
पार्क बड़े लोगों के-
हिस्से में आए ,
आप बताएँ, कहाँ खेलने-
हम जाएँ।
सर जी बोझ-
घटाया जाए
बस्तों का,
उपवन नया
बनाया जाए, बच्चों का।
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3-जू में पानी
टूट गए सब गेट बाँध के
जू में पानी आया,
मगरमच्छ सड़कों पर आए
शेर बहुत घबराया।
चीतल, खरहा और
लोमड़ी
टीले आई, स्याही,
साँप, छछूंदर,
नेवला भागे
भारी हुई तबाही।
बंदर चढ़े पेड़ पर सारे
खों-खों, खों-खों करते
अब जिराफ जी पानी में
गर्दन ना नीची करते।
हाथी जी मस्ती में देखो-
छोड़ रहे फव्वारा
पानी ने चिड़ियाघर का
देखो- क्या हाल बिगाड़ा ?
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स्याही-काँटेदार जीव (साही)
खरहा-खरगोश
-0- चक्रधर शुक्ल,एल0आई0जी0-1, सिंगल स्टोरी,बर्रा-06, कानपुर-208027
मो0नंः 9455511337