मेरा आँगन

मेरा आँगन

Monday, April 22, 2019

148

चलो कुछ  रचनात्मक किया जाए। फुर्सत  के पल और  रंगों से बात 






























1 -दर्शिल 




































2 -आरोही काम्बोज 








3 -आर्या  काम्बोज 




Sunday, April 21, 2019

147-बालगीत

ज्योत्स्ना प्रदीप
1-इन्द्रधनुष

इन्द्रधनुष कितना प्यारा
रंगों की  हो जैसे धारा
सात रंग का रथ जैसे
रंग भरा इक पथ जैसे ।
देखो-देखो बिन पैसे
रंगों की प्यारी धारा ।।
मन को खूब लुभाता है
इसको कौन चलाता है ।
दिख ना कोई पाता है
मन अपना इस पर वारा ।।
सब बालक हैं कितने खुश
चलो-चलो जी इन्द्रधनुष ।
प्रीतमीतआरवआयुष
नभ चमका देखो सारा ।।
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2-प्यारा गाँव

कोयल गाये कू-कू कू,
तोते लो बतियाते हैं ।
टॉमी करता भौं-भौं भौं
पक्षी सब चहचहाते हैं ।
बंदर करता खो-खो खो
सारस करता क्रे-क्रे क्रे ।
मेंढक करता टर्र टर्र
बकरी करती में-में में ।
पूसी की म्याऊँ म्याऊँ,
कौवा करता काँव-काँव ।
दादी कहती अच्छा गाँव
सबसे अच्छे होते गाँव ।
-0-
3-प्यारी चिड़िया

बालकनी में आती चिड़िया
मीठा गाना गाती चिड़िया ।
तिनका-तिनका लाती चिड़िया
अपना नीड़ बनाती चिड़िया ।
इक-इक दाना लाती चिड़िया
बच्चों को खिलाती चिड़िया ।
-0-
4-बाघ

सभी जानवर लगते प्यारे
चिड़िया घर में बाघ दहाड़े ।
मैडम जी समझाती हैं
बाघ की कम अब जाति है ।
ये चौकन्नाफुर्तीला है
रंग कत्थईपीला है ।
जानवरों में न्यारा है
राष्ट्रीय पशु हमारा है ।
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5-छोटा मेंढक

मेंढक कितना छोटा है
पेट ज़रा पर मोटा है ।
करता है पेटू टर्र टर्र
भर जाता है ज़ब पोखर ।
पोखर में कागज़ की नाव
मेंढक का देखो न चाव ।
गोल-गोल आँखें मटकाता
देखो मेंढक नाव चलाता ।
-0-
6-इक गिलहरी

एक गिलहरी आती है
बालकनी में आती है ।
टहनी से लो उतर गई
दाँतों से कुछ कुतर गई ।
आँखे भी मटकाती है
एक गिलहरी आती है ।
छूना चाहें जब उसको
भाग भाग वह जाती है ।
दाने कितने डालो पर
हाथ नहीं वह आती है ।
कुछ बीजों को खाती है
कुछ मिट्टी में छुपाती है ।
अनजाने भोली भाली
कितने पेड़ उगाती है ।
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