ज्योत्स्ना प्रदीप
1-राष्ट्रीय फूल
प्यारा सपना , जैसे जल का !
श्वेत
, गुलाबी कहीं नील है
घर इसके रे ताल, झील है ।
कीचड़ में भी खिल -खिल जाता
पाठ ये जीवन का सिखलाता ।
राष्ट्रीय फूल यही हमारा
मनमोहक ये प्यारा- प्यारा ।
2-हरी भरी सब्ज़ियाँ
रस-भरी सब्ज़ियाँ ।
आलू ,पालक,शलगम, गाजर
गोभी ,मूली , मटर ,टमाटर
।
धोकर माँ जब इन्हें पकाती
भैया को भी खूब सुहाती ।
करे न कोई आनाकानी
मज़े -मज़े से खाती रानी ।
3-राष्ट्रीय वृक्ष
नीचे बैठो इसके भैया ।
माँगे तुमसे कब मीठा जल !
हवा बहाए शीतल -शीतल ।
भू का ये वरदान सुखद है
पेड़ों में राजा बरगद है ।
वृक्ष ये बरगद का है प्यारा
राष्ट्रीय वृक्ष है यह हमारा ।
4- लोई
मेरी बिल्ली का नाम है लोई
आ जाती है जब माँ सोई ।
वो उजली, गोरी- गोरी है
उसकी मज़ेदार चोरी है ।
चुप से वो घर में आती है
दही,दूध चट कर जाती है ।
5- चींटी
चींटी देखो कितनी छोटी
सीधे- सीधे जाती है
सीधे -सीधे आती है ।
जब वो खाना पाती है
सबको पास बुलाती है ।
चीनी,टॉफी ढोती है
कभी नहीं ये सोती है ।
रहती है अपने दल में
घर में चाहे ,जंगल में ।
नहीं लगा मन दंगल में
श्रम करती है पलपल में ।
मेहनत इसको प्यारी है
हाथी पर भी भारी है !
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