मेरा आँगन

मेरा आँगन

Sunday, September 17, 2017

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ज्योत्स्ना प्रदीप 
1-राष्ट्रीय  फूल 

फूल कमल का, फूल कमल का 
प्यारा सपना , जैसे जल का !

श्वेत , गुलाबी कहीं नील है 
घर इसके रे ताल, झील है । 

कीचड़ में भी खिल -खिल जाता 
पाठ ये जीवन का  सिखलाता ।

राष्ट्रीय फूल  यही हमारा
मनमोहक ये प्यारा- प्यारा ।

2-हरी भरी सब्ज़ियाँ 


हरी- भरी सब्ज़ियाँ 
 रस-भरी सब्ज़ियाँ ।

आलू ,पालक,शलगम, गाजर
गोभी ,मूली , मटर ,टमाटर ।

धोकर माँ जब इन्हें  पकाती 
भैया को भी खूब सुहाती । 

करे  न कोई आनाकानी 
मज़े -मज़े से खाती  रानी ।

3-राष्ट्रीय वृक्ष


पेड़  घना है ,ठंडी छैया
नीचे बैठो इसके  भैया ।

माँगे तुमसे कब मीठा जल !
हवा बहा  शीतल -शीतल ।

भू  का ये वरदान सुखद है  
पेड़ों में  राजा बरगद है ।

वृक्ष ये बरगद का है प्यारा 
राष्ट्रीय वृक्ष  है यह हमारा ।

 4- लोई 

मेरी  बिल्ली का नाम है  लोई 
आ जाती  है  जब माँ  सोई  

वो उजली, गोरी- गोरी है  
उसकी मज़ेदार  चोरी है  ।

चुप से वो घर में  आती है  
दही,दूध चट कर जाती है । 

 5- चींटी

चींटी देखो कितनी  छोटी 
कभी नहीं होती है  मोटी  ।

सीधे- सीधे जाती है 
सीधे -सीधे आती है ।

जब वो खाना पाती है 
सबको पास बुलाती है ।


चीनी,टॉफी ढोती है 
कभी नहीं ये सोती है ।

रहती है अपने दल में  
घर में चाहे ,जंगल में ।

नहीं लगा मन दंगल में 
श्रम करती है पलपल में ।

मेहनत इसको प्यारी है 
हाथी पर भी भारी है  !

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