जाह्नवी लाटियान,कक्षा 5
(वेंकटेश्वर ग्लोबल स्कूल,सैक्टर-13 रोहिणी, नई दिल्ली)
मेरी माँ है सबसे न्यारी
।
मैं हूँ उसकी राजदुलारी
।
मैं उनकी आँखों का तारा।
उन जैसा कोई मुझे न प्यारा।
मेरा हौसला सदा बढ़ाती।
मुझको अच्छे से है पढ़ाती।
मुझे देती वह अच्छा ज्ञान।
सदा रखूँगी मैं उनका मान।
दिन-रात वो करती काम।
करती नहीं पल भर आराम।
मेरे जगने से पहले उठ जाती।
मेरे सोने के बाद सो पाती।
देखा नहीं उन्हें करते
आराम।
करती रहती वो सदा काम।
आती उनमें कहाँ से शक्ति।
करती हूँ मैं माँ की भक्ति।
उनके जैसा और न दूजा।
क्यों न करूँ मैं उनकी
पूजा।
मेरी माँ है सबसे न्यारी।
मैं हूँ उसकी राजदुलारी।
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