पंछियों ने चहककर
कहा-
उठो, जागो, प्यारे
बच्चो कि तुम्हे स्कूल बुला रहा है |
चुपके से ठंडी हवा
ने कपोलों को छूकर कहा-
खिड़कियाँ खोलो जरा,
देखो तुम्हें नजारा बुला रहा है
वो देखो बादलों की
रजाई में दुबका सूरज भी कुनमुनाकर जाग उठा है
तुम भी आलस छोडो
प्यारे बच्चो कि तुम्हे स्कूल बुला रहा है |
पलकें उठाकर तो देखो
अपनी बगिया को
रंग बिरंगी
यूनिफार्म में सजकर तितलियाँ भी पराग लेने चल पड़ीं हैं
तुम भी चल पड़ो बस्ता
लेकर कि तुम्हें स्कूल बुला रहा है |
पन्ने फडफड़ाकर कब से
तुम्हें जगा रही है तुम्हारी प्यारी कॉपी
कह रही, संग चलूंगी
मैं भी, छोड़ न देना मुझे घर पे अकेली |
अरे रे ..मचल उठी है
नन्हीं कलम भी , हाथों में आने को बेकल
लुढ़क ना जाए रूठकर
उसे थाम लो तुम
लिख डालो नई इबारत
कि तुम्हें स्कूल बुला रहा है |
आओ कि बाहें फैलाकर
खड़ा है विद्यालय प्रांगण
हँसा दो अपनी
खिलखिलाहट से कि गूँजे दिशाएँ
आओ कि पेड़ों ने
तुम्हारी राहों में फूल बिखराए है
नन्हे हाथों से
तुमने रोपे थे जो पौधे
प्यास उनकी बुझा दो
कि तुम्हे स्कूल बुला रहा है |
देखो तो ज़रा , द्वार
पे खड़ा सुरक्षा- प्रहरी
तुम्हारे स्वागत में, मूँछों में मुस्कराया है |
तोतली मीठी बोली में
काका सुनकर मन उसका हरषाया है |
बाँध लो सबको पावन
रिश्तों में कि तुम्हें स्कूल बुला रहा है |
आशीष तुम्हे देने को
कब से खड़ी माँ शारदा वागेश्वरी
वीणा के तारों को
सुर दो कि तुम्हें स्कूल बुला रहा है |
नन्ही उँगलियों से
थामकर कलम को
चल पड़ो सृजन पथ पर
कि तुम्हें स्कूल बुला रहा है |
चले आओ प्यारे बच्चो
कि तुम्हें स्कूल बुला रहा है |
कमला निखुर्पा
प्राचार्य,
के.वि.क्रमांक २ सूरत