मेरा आँगन

मेरा आँगन

Thursday, November 15, 2012

आ जा रे चन्दा ! (लोरी)


डॉ सुधा गुप्ता

आ जा रे चन्दा !
मुनिया की आँखों में
निंदिया छाई
रेशम के पंखों पे
बैठ के आई
शहद -भरी लोरी
      सुना जा रे चन्दा !
आ जा रे चन्दा !
मुनिया की आँखों में
      मीठे सपने
घूम-घूम, झूम
      तितली लगी बुनने
जादू -भरी छड़ी
      छुआ जा रे चन्दा !
आ जा रे चन्दा !
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Wednesday, November 14, 2012

माँ कहती है-



डॉ• ज्योत्स्ना शर्मा

सब मुझको "मीठी" कहते हैं 
,
माँ कहती है कम बतियाओ ।

मेरी फ्राक बड़ी है सुन्दर
 
माँ कहती है मत इतराओ ।






पापा कहते परी हूँ उनकी ,

माँ कहती है मुँह धो आओ । 


बच्चे कहते आओ खेलें ,

माँ कहती है -पढने जाओ ।


प्यारी सखी  से हुई लड़ाई

माँ कहती है- भूल भी जाओ । 


मेरी गुड़िया सोई न अब तक ,

माँ कहती है- अब सो जाओ । 


आँख में आँसू देखे- बोले 
,
गले लगा लूँ पास तो आओ ।
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