खिलखिलाई
पहाड़ी नदी-जैसी
मेरी मुनिया ।
इन हाइकु को देने का लोभ संवरण नहीं कर पा रहा हूँ-
सुदर्शन रत्नाकर
1
तुम्हारी हँसी
सितार बजा गई
सूने घर में ।
2
धूप -सी हँसी
आँगन में उतरी
सहला गई ।
सितार बजा गई
सूने घर में ।
2
धूप -सी हँसी
आँगन में उतरी
सहला गई ।