प्रियंका गुप्ता
[वह कविता मैने तब लिखी थी जब मैं आठवीं में पढ़ती थी ।]
ओ मम्मी, ये कैसा युग है
कितने रावण जनम रहे हैं
राम कहाँ हैं बोलो मम्मी
लव-कुश यूँ जो बिलख रहे हैं
पिछ्ली बार तो हम ने मम्मी
खाक किया था रावण को
फिर किसने है आग लगाई
घर घर यूँ जो दहक रहे हैं
क्यों मम्मी खामोश हो गई
कण-कण आज पुकार रहे हैं
हर बच्चे को राम बनाओ
फिर चाहे कितने ही रावण
जन्मे इस धरती पर मम्मी
हम उनका दस शीश कुचलने को
लो वानर सेना बना रहे हैं.
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