1-जल
सपना मांगलिक
जल जीवन है,जल ही धन है
जल बिन धरती उजड़ा वन है
जहाँ देखो वहाँ जल की माया
बिन जल असंभव अन्न ,पेड़, छाया
मचे त्राहि-त्राहि जल बिन क्षण -क्षण
हो पशु -पक्षी या फिर कोई जन
जल वाष्प बदरा बन छाये
बिन जल सावन सोचो क्या बरसाए ?
गरमी भीषण जीवन कहीं ना
धरा है गहना ,और जल नगीना
मैला कचरा बहाकर जल में
सोचो जरा क्या पाओगे?
जब जल ही ना होगा तब बोलो
तुम भी कहाँ जी पाओगे ?
ना करो व्यर्थ जल को बच्चो
करो संरक्षण धरा पर इसका
जल हो रहा अब यहाँ पर कम है
जल जीवन है जल ही धन है
जल बिन धरती उजड़ा वन है
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एफ-६५९ कमला नगर आगरा २८२००५
फोन-९५४८५०९५०८ ईमेल –sapna8manglik@gmail.com
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2-प्रेम गणित -
सपना मांगलिक
प्रेम से करो हल बच्चो
नफरत के तुम सभी सवाल
भूलकर गलती दूजों की
करो ख़त्म तुम सभी बवाल
सुनो प्रेम को जोड़ो अबसे
नफरत को दो तुम घटा
कर गुणा स्नेह का दिल से
ईर्ष्या को दो शून्य दस बटा
शेष में रखो फिर प्रेम को ही तुम
बाकी दो सबकुछ फिर हटा
देखना इस प्रेम गणित का जादू
कितना देगा फिर तुम्हें मजा
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एफ-६५९ कमला नगर आगरा २८२००५
फोन-९५४८५०९५०८ ईमेल –sapna8manglik@gmail.com
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7 comments:
सपना जी आपने अपनी कवितायों में जल और प्रेम की महत्ता बहुत सुन्दर और सरल शब्दों में
बतायी है जो बच्चों के लिए या उन लीगों के लिए जो जल और प्रेमआपको हार्दिक बधाई | भाव को समझ नहीं पातें हैं |
सविता अग्रवाल"सवि"
बहुत सुन्दर कवितायेँ!
सपना जी शुभकामनायें!!
बहुत सुन्दर कविताएं.....सपना जी बधाई।
बहुत ही प्यारी एवं सार्थक कविताएँ -बच्चों को ही नहीं... बड़ों को भी सीखनी चाहिए ...
हार्दिक बधाई सपना मांगलिक जी !
~सादर
अनिता ललित
bal rachnayen bahut payari hain bahut bahut badhai...
सुन्दर ,सार्थक सन्देश देती कविताओं के लिए बहुत बधाई !
बच्चो को बहुत अच्छी शिक्षा दी है...और बहुत सार्थक भी...| हार्दिक बधाई...|
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