Wednesday, November 14, 2012

माँ कहती है-



डॉ• ज्योत्स्ना शर्मा

सब मुझको "मीठी" कहते हैं 
,
माँ कहती है कम बतियाओ ।

मेरी फ्राक बड़ी है सुन्दर
 
माँ कहती है मत इतराओ ।






पापा कहते परी हूँ उनकी ,

माँ कहती है मुँह धो आओ । 


बच्चे कहते आओ खेलें ,

माँ कहती है -पढने जाओ ।


प्यारी सखी  से हुई लड़ाई

माँ कहती है- भूल भी जाओ । 


मेरी गुड़िया सोई न अब तक ,

माँ कहती है- अब सो जाओ । 


आँख में आँसू देखे- बोले 
,
गले लगा लूँ पास तो आओ ।
-0-


6 comments:

  1. ज्योत्सना जी की रचनाएँ हर विधा में छू जाती हैं। बहुत ही सुंदर अभिव्यक्‍ति !

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  2. ज्योत्स्ना शर्माSunday, 20 January, 2013

    ह्रदय से आभार ..महेंद्र श्रीवास्तव जी एवं सुशीला जी
    सादर
    ज्योत्स्ना

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  3. सुन्दर अभिव्यक्ति सुन्दर सरल भाव .बेहतरीन पंक्तियां हृदय को छू लेती हैं आभार .......

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  4. ज्योत्सनाजी आपकी प्यारी रचना हमें बचपन में ले गयीं ... बस अब आप बालपत्रिका का प्रकाशन कर हमें अपना सदस्य बना लीजिए ...

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  5. bikhare huye aksharon ka sangathhan aur Yug-Chetana ko prerak pratikriya ke liye bahut-bahut dhanyawaad !

    saadar
    jyotsna sharma

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