डॉ• ज्योत्स्ना शर्मा
सब मुझको "मीठी" कहते हैं
,
माँ कहती है कम बतियाओ ।
मेरी फ्राक बड़ी है सुन्दर
माँ कहती है कम बतियाओ ।
मेरी फ्राक बड़ी है सुन्दर
माँ कहती है मत इतराओ ।
पापा कहते परी हूँ उनकी ,
माँ कहती है मुँह धो आओ ।
बच्चे कहते आओ खेलें ,
माँ कहती है -पढने जाओ ।
प्यारी सखी से हुई लड़ाई
माँ कहती है- भूल भी
जाओ ।
मेरी गुड़िया सोई न अब तक ,
माँ कहती है- अब सो जाओ ।
आँख में आँसू देखे- बोले
,
गले लगा लूँ पास तो आओ ।
गले लगा लूँ पास तो आओ ।
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बहुत सुंदर
ReplyDeleteबढिया
ज्योत्सना जी की रचनाएँ हर विधा में छू जाती हैं। बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति !
ReplyDeleteह्रदय से आभार ..महेंद्र श्रीवास्तव जी एवं सुशीला जी
ReplyDeleteसादर
ज्योत्स्ना
सुन्दर अभिव्यक्ति सुन्दर सरल भाव .बेहतरीन पंक्तियां हृदय को छू लेती हैं आभार .......
ReplyDeleteज्योत्सनाजी आपकी प्यारी रचना हमें बचपन में ले गयीं ... बस अब आप बालपत्रिका का प्रकाशन कर हमें अपना सदस्य बना लीजिए ...
ReplyDeletebikhare huye aksharon ka sangathhan aur Yug-Chetana ko prerak pratikriya ke liye bahut-bahut dhanyawaad !
ReplyDeletesaadar
jyotsna sharma