Sunday, September 23, 2012

भैया बहुत सताए मुझको


डॉ ज्योत्स्ना शर्मा


भैया बहुत सताए मुझको
चोटी खींच रुलाए मुझको ।
गुड़िया मेरी छीने भागे
पीछे खूब भगाए मुझको ।

मेरी पुस्तक ,रंग उसके हैं
खेलें कैसे, ढंग उसके हैं
क्या खाना है, क्या पहनाऊँ
नए- नए हुड़दंग उसके हैं ।

फिर भी तुमको क्या बतलाऊँ
प्यार उसी पर आए मुझको  ।
मेरा प्यारा न्यारा भैया  ,
कभी दूर ना भाए मुझको ।
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18 comments:

  1. बहुत प्यारी कविता...भाई-बहन का प्यार जिसमे समाया संसार!

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  2. बहुत ही प्यारी कविता एकदम बच्चों की ही तरह मासूम और प्यारी !
    बधाई !

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  3. aanand aaya bhaiya mere ghr me bhi yahi hota rahta hai
    sunder
    rachana

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  4. बाल मन का आपसी प्यार, बहुत प्यारी कविता, बधाई.

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  5. Bachpan ki yaad dila gayi ye pyari si rachna...

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  6. बहुत प्यारी कविता

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  7. A beautifully written poetry that reminds me the childhood days...kudos to you.

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  8. बहुत सुन्दर कविता ....

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  9. बहुत सुन्दर कविता ....

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  10. भोली-भाली प्यारी सी कविता।

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  11. ऐसा ही तो होता है भाई-बहन का मधुर-मज़ेदार सा रिश्ता...। एक प्यारी कविता के लिए बधाई...।
    प्रियंका

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  12. प्यारी से सरल कविता भाव

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  13. ज्योत्स्ना शर्माSunday, 20 January, 2013

    इस स्नेह के लिए बहुत आभार !
    सादर ..
    ज्योत्स्ना शर्मा

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