डॉ• ज्योत्स्ना शर्मा
भैया बहुत सताए मुझको
चोटी खींच रुलाए मुझको ।
गुड़िया मेरी छीने भागे
पीछे खूब भगाए मुझको ।
मेरी पुस्तक ,रंग उसके हैं
खेलें कैसे, ढंग उसके हैं
क्या खाना है, क्या पहनाऊँ
नए- नए हुड़दंग उसके हैं ।
फिर भी तुमको क्या बतलाऊँ
प्यार उसी पर आए मुझको ।
मेरा प्यारा न्यारा भैया ,
कभी दूर ना भाए मुझको ।
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बहुत प्यारी कविता...भाई-बहन का प्यार जिसमे समाया संसार!
ReplyDeletebahut sundar bhav .
ReplyDeleteshubhkamnayen .
बहुत ही प्यारी कविता एकदम बच्चों की ही तरह मासूम और प्यारी !
ReplyDeleteबधाई !
aanand aaya bhaiya mere ghr me bhi yahi hota rahta hai
ReplyDeletesunder
rachana
बाल मन का आपसी प्यार, बहुत प्यारी कविता, बधाई.
ReplyDeletebachon see piyari kavita !
ReplyDeleteBachpan ki yaad dila gayi ye pyari si rachna...
ReplyDeleteबहुत प्यारी कविता
ReplyDeletethis is utterly beautiful...
ReplyDeleteअच्छी रचना,
ReplyDeleteबहुत सुंदर
real very sweet view
ReplyDeleteA beautifully written poetry that reminds me the childhood days...kudos to you.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर कविता ....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर कविता ....
ReplyDeleteभोली-भाली प्यारी सी कविता।
ReplyDeleteऐसा ही तो होता है भाई-बहन का मधुर-मज़ेदार सा रिश्ता...। एक प्यारी कविता के लिए बधाई...।
ReplyDeleteप्रियंका
प्यारी से सरल कविता भाव
ReplyDeleteइस स्नेह के लिए बहुत आभार !
ReplyDeleteसादर ..
ज्योत्स्ना शर्मा