Thursday, November 15, 2012

आ जा रे चन्दा ! (लोरी)


डॉ सुधा गुप्ता

आ जा रे चन्दा !
मुनिया की आँखों में
निंदिया छाई
रेशम के पंखों पे
बैठ के आई
शहद -भरी लोरी
      सुना जा रे चन्दा !
आ जा रे चन्दा !
मुनिया की आँखों में
      मीठे सपने
घूम-घूम, झूम
      तितली लगी बुनने
जादू -भरी छड़ी
      छुआ जा रे चन्दा !
आ जा रे चन्दा !
-0-

6 comments:

  1. क्या बात है...! आज के इस मशीनी युग में लोरियाँ जैसे लुप्त हो गई हैं...उन्हें फिर से इतनी प्यारी लोरी के रूप में हमारे सामने लाने के लिए आभार और बधाई...।
    प्रियंका

    ReplyDelete
  2. सुधा जी आपकी इतनी मधुर लोरी पढ़ मन गद्गद हो गया।

    ReplyDelete
  3. Sudha ji
    बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति .. अति सुन्दर अहसास.... आभार और बधाई..!
    Dr Saraswati Mathur

    ReplyDelete
  4. कितनी प्यारी प्यारी रोली है आप गायें हम सो जाएँ
    सादर
    रचना

    ReplyDelete
  5. सुन्दर रचना है..

    ReplyDelete