Wednesday, February 15, 2012

मेरी मुनिया

खिलखिलाई
पहाड़ी नदी-जैसी
मेरी मुनिया ।



इन हाइकु को देने का लोभ संवरण नहीं कर पा रहा हूँ-

सुदर्शन रत्नाकर
1
तुम्हारी हँसी
सितार बजा गई
सूने घर में ।
2
धूप
-सी हँसी
आँगन में उतरी
सहला गई ।



14 comments:

  1. भाई साहब यह हाइकु बिलकुल सही लिखा है आपने...मुनिया तो बिलकुल Laughing Doll जैसे है...भगवान करे की हमेशा ही ऐसे खिलखिलाती रहे.....

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  2. *
    धूल सनी वो
    मेरी बेटी तो नहीं
    किसी की तो है
    *
    उमेश मोहन धवन
    कानपुर

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  3. bhaiya bitiya kitni sunder lag rahi hai .kitna sunder hasti hai .lagta hai hajaon ful khiluthe aur bahut se jugnuon ne raoushi bikheri ho .
    bitiya ko sneh aur ashirvad
    rachana

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  4. Papaji aap to aajtak se bhi tej hai. itni jaldi aapko video ka pata bhi chal gaya aur haiku bhi likh dala aapney

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  5. आरोही की हँसी सचमुच नदी जैसी ही बह रही है... यह वीडिओ देख कर मुझे यह पंक्तियाँ याद आ गयी.. "तेरी मुस्कान और बोसा मेरी आँखों में पलते हैं, तू जब हँसती है तो घर में ख़ुशी के दीप जलते हैं... सदा यूँ ही खिलखिलाती, हँसती हंसाती रहे मुनिया... ढेरों आशीष के साथ,

    सादर
    मंजु

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  6. सचमुच मनमोहक हँसी है...मुझे याद है इस हाइकु पर मैंने हाइगा भी बनाया है|
    ढेरों स्नेहाशीष!!!

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  7. मुनिया की मासूम हँसी ... सिखाए दुनिया को निश्छल हँसी हँसना.....मुनिया तुम यूँ ही हंसते रहना ...

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  8. बहुत प्यारी मुनिया ...मनमोहक हंसी

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  9. Lovely ! Very Beautiful !
    Surjit !

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  10. ये मनमोहक हँसी यूं ही बनी रहे। आपका हाइकु बहुत सटीक और सुन्दर है।

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  11. मासूमियत और अपनेपन से भरी हुई रोचक कवितायेँ हैं.प्रकाशित करने के लिए हार्दिक धन्यवाद.

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  12. बना ही गई
    तुम्हारी ये मुस्कान
    नई सी धुन।

    खिलखिलाई
    चाँदनी सी चमकी
    भोली मुस्कान।

    काम्बोज जी, गुडिया बहुत प्यारी लग रही, एक दम नन्हीं परी, गुडिया को तमाम खुशियाँ जीवन में मिले ,वो यूँ ही हँसती,खिलखिलाती रहे यही ईश्वर से प्रार्थना है अनेकों दुआएँ। बहुत प्यारे हाइकु लिखे हैं आपने बहुत २ बधाई।

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