खिलखिलाई
पहाड़ी नदी-जैसी
मेरी मुनिया ।
इन हाइकु को देने का लोभ संवरण नहीं कर पा रहा हूँ-
सुदर्शन रत्नाकर
1
तुम्हारी हँसी
सितार बजा गई
सूने घर में ।
2
धूप -सी हँसी
आँगन में उतरी
सहला गई ।
सितार बजा गई
सूने घर में ।
2
धूप -सी हँसी
आँगन में उतरी
सहला गई ।
भाई साहब यह हाइकु बिलकुल सही लिखा है आपने...मुनिया तो बिलकुल Laughing Doll जैसे है...भगवान करे की हमेशा ही ऐसे खिलखिलाती रहे.....
ReplyDelete*
ReplyDeleteधूल सनी वो
मेरी बेटी तो नहीं
किसी की तो है
*
उमेश मोहन धवन
कानपुर
bhaiya bitiya kitni sunder lag rahi hai .kitna sunder hasti hai .lagta hai hajaon ful khiluthe aur bahut se jugnuon ne raoushi bikheri ho .
ReplyDeletebitiya ko sneh aur ashirvad
rachana
Papaji aap to aajtak se bhi tej hai. itni jaldi aapko video ka pata bhi chal gaya aur haiku bhi likh dala aapney
ReplyDeleteBhut Khub Papaji
ReplyDeleteआरोही की हँसी सचमुच नदी जैसी ही बह रही है... यह वीडिओ देख कर मुझे यह पंक्तियाँ याद आ गयी.. "तेरी मुस्कान और बोसा मेरी आँखों में पलते हैं, तू जब हँसती है तो घर में ख़ुशी के दीप जलते हैं... सदा यूँ ही खिलखिलाती, हँसती हंसाती रहे मुनिया... ढेरों आशीष के साथ,
ReplyDeleteसादर
मंजु
rabb kare aiween he hassdi rave....
ReplyDeleteसचमुच मनमोहक हँसी है...मुझे याद है इस हाइकु पर मैंने हाइगा भी बनाया है|
ReplyDeleteढेरों स्नेहाशीष!!!
मुनिया की मासूम हँसी ... सिखाए दुनिया को निश्छल हँसी हँसना.....मुनिया तुम यूँ ही हंसते रहना ...
ReplyDeleteबहुत प्यारी मुनिया ...मनमोहक हंसी
ReplyDeleteLovely ! Very Beautiful !
ReplyDeleteSurjit !
ये मनमोहक हँसी यूं ही बनी रहे। आपका हाइकु बहुत सटीक और सुन्दर है।
ReplyDeleteमासूमियत और अपनेपन से भरी हुई रोचक कवितायेँ हैं.प्रकाशित करने के लिए हार्दिक धन्यवाद.
ReplyDeleteबना ही गई
ReplyDeleteतुम्हारी ये मुस्कान
नई सी धुन।
खिलखिलाई
चाँदनी सी चमकी
भोली मुस्कान।
काम्बोज जी, गुडिया बहुत प्यारी लग रही, एक दम नन्हीं परी, गुडिया को तमाम खुशियाँ जीवन में मिले ,वो यूँ ही हँसती,खिलखिलाती रहे यही ईश्वर से प्रार्थना है अनेकों दुआएँ। बहुत प्यारे हाइकु लिखे हैं आपने बहुत २ बधाई।