पुस्तक परिचय
अमर शहीद खुदीराम बोस (जीवनी):पंकज चतुर्वेदी ,पृष्ठ :24 , मूल्य : 11 रुपये ,संस्करण :2010, प्रकाशक : नेशनल बुक ट्र्स्ट ,इण्डिया नेहरू भवन 5 , इन्स्टीट्यूशनल एरिया , फेज़-2 ,वसन्त कुंज , नई दिल्ली-110070
11अगस्त 1908 की सुबह किशोर खुदीराम बोस को फाँसी दे दी गई । अवस्था 19 वर्ष ।किंग्सफोर्ड को बम विस्फोट से मारने का प्रयास किया । उस दिन बग्घी में किंग्सफोर्ड नहीं थे, उनके स्थान पर उनके मित्र की पत्नी और बेटी मारी गई ।मुज़फ़्फ़रपुर के इस काण्ड में खुदीराम को फाँसी की सजा सुनाई गई । मुज़फ़्फ़रपुर जेल के जल्लाद ने खुदीराम को फाँसी का फ़न्दा लगाने से मना कर दिया तो अलीपुर जेल के जल्लाद को बुलाया गया ।1857 के बाद का यह सबसे बलिदानी था । देश प्रेम की भावना इनकी नस-नस में समाई हुई थी ।पंकज चतुर्वेदी ने बहुत ही रोचक और सरल भाषा में खुदीराम बोस के जीवन और त्याग का चित्रण किया है ।यह पुस्तक किशोरों के लिए पठनीय ही नही वरन् संग्रहणीय भी है ।
विपिन चन्द्र पाल (जीवनी):पंकज चतुर्वेदी ,पृष्ठ :24 , मूल्य : 11 रुपये ,संस्करण :2010, प्रकाशक : नेशनल बुक ट्र्स्ट ,इण्डियानेहरू भवन 5 , इन्स्टीट्यूशनल एरिया , फेज़-2 ,वसन्त कुंज , नई दिल्ली-110070
सशस्त्र विद्रोह के हिमायती विपिन चन्द्र पाल ने वन्देमातरम् का नारा लगाने वाले पत्रकारों की पिटाई से व्यथित होकर ‘वन्देमातरम्’ अखबार शुरू करने का निश्चय किया । रवीन्द्र नाथ टैगौर और अरविन्द घोष ने इस कार्य में भरपूर सहयोग किया ।अपनी कलम से विपिनचन्द्र पाल ने आज़ादी के साथ -साथ सामाजिक चेतना जगाने का काम भी किया ।रूढ़ियों का विरोध कलम के द्वारा तो किया ही अपने जीवन में भी उन आदर्शों का पालन किया । सम्पादन के क्षेत्र में इनका विशिष्ट कार्य सदा याद किया जाएगा ।लन्दन से प्रकाशित अंग्रेज़ी पत्र ‘स्वराज ‘ का सम्पादन किया । अंग्रेज़ी मासिक ‘हिन्दू रिव्यू’ की स्थापना की इलाहाबाद से मोती लाल नेहरू द्वारा प्रकाशित ‘डेमोक्रेट’ साप्ताहिक का भी सम्पादन किया । बहुमुखी प्रतिभा के धनी विपिन चन्द्र पाल का जीवन प्रत्येक भारतीय के लिए अनुकरणीय है । इस छोटी -सी पुस्तक में पंकज चतुर्वेदी जी ने इनके जीवन के विभिन्न आयामों को बखूबी सहेजा है ।इस तरह की पुस्तकों की आज के दौर में ज़्यादा ज़रूरत है ।
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Pankaj ji pustak ke liye haardik badhai...thoda sa pustak ke baare men padhkar puri hi pustak padhne ka man ho aaya...jaankaari ke kamboj ka aabhar..
ReplyDeletePankaj ji pustak ke liye haardik badhai...thoda sa pustak ke baare men padhkar puri hi pustak padhne ka man ho aaya...jaankaari ke kamboj ji ka aabhar..
ReplyDeleteबहुत बढ़िया जानकारी मिली पंकज जी के पुस्तक के बारे में! धन्यवाद!
ReplyDeletepustak ke baare mein jaankari dene keliye bahut dhanyawaad Kamboj bhai. nihsandeh bahut hin upyogi aur mahatawapurn pustak hai ye dono. pankaj ji ko badhai.
ReplyDeletepustak bahut hi achchhi hai thoda sa hi padh kar man bhar aaya .
ReplyDeletesach me sangrah ke yogya hai
rachana
स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं। इसके साथ ही सार्थक पुस्तकों की जानकारी के लिये आभार।
ReplyDelete...बाल मन को स्पन्दित करता पंकज जी का लिखा शब्द संस्कार भी अनायास देता है. बच्चों के लिए लिखना आसान नहीं है, उसके लिए लेखक को स्वयं बच्चा बनना पड़ता है. पंकज जी के भीतर के बच्चे ने उनसे यह लिखवा लिया है. उनके लिखे में सहजता है. लिखे से रु-ब-रु कराने के लिए आभार.
ReplyDeletehttp://drrajeshvyas.blogspot.com
...बाल मन को स्पन्दित करता पंकज जी का लिखा शब्द संस्कार भी अनायास देता है. बच्चों के लिए लिखना आसान नहीं है, उसके लिए लेखक को स्वयं बच्चा बनना पड़ता है. पंकज जी के भीतर के बच्चे ने उनसे यह लिखवा लिया है. उनके लिखे में सहजता है.
ReplyDeleteउनके लिखे से रु-ब-रु कराने के लिए आभार.
http://drrajeshvyas.blogspot.com
पुस्तकों की जानकारी उचित समय पर मिली है. पूरी पुस्तकें पढ़ने की इच्छा है.
ReplyDeleteउमेश मोहन धवन
कानपुर
बहुत बढ़िया जानकारी मिली पंकज जी के पुस्तक के बारे में! धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर और प्यारा लेख है बधाई हो आपको आप भी जरुर आये साथ ही यहाँ शामिल सभी ब्लागर साथियो से आग्रह है की मेरे ब्लाग पर भी जरुर पधारे और वहां से मेरे अन्य ब्लाग पर क्लिक करके वह भी जाकर मेरे मित्रमंडली में शामिल होकर अपनी दोस्तों की कतार में शामिल करें
ReplyDeleteयहाँ से आप मुझ तक पहुँच जायेंगे
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MITRA-MADHUR: ज्ञान की कुंजी ......
Kitabon ke liye badhai. Bachchon ke liye aisi kitaben zaroori hoti hain.
ReplyDeleteबधाई ।
ReplyDeletebadhaee...
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