रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
जन्म दिन वह याद है आया
पेड़ भेंट में मैंने पाया ।
आँगन में वह पेड़ लगाया
पानी उसको रोज पिलाया ।
पानी पीकर निकली डाली
डाली पर छाई हरियाली ।
हरियाली ने बौर सजाया
खुशबू से आँगन महकाया ।
आँगन में गाती मतवाली
कुहू -कुहू कर कोयल काली ।
महका बौर आम भी आए
हम सबने मिल-जुलकर खाए ।
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बहुत बढ़िया कविता है!
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शीर्षक बिल्कुल नए रूप में निखरकर सामने आया है!
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सबसे प्यारा लगता है : अपनी माँ का मुखड़ा!
very good poem. i landed here first time. blog is fantastic
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बहुत बेहतरीन कविता!
ReplyDeleteआम के मौसम में आम की याद दिलाती हुई सुन्दर बालकविता |
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