बाल कविताएँ
लिली मित्रा
आँखों में सब करती कैद,
मैना रानी बड़ी मुस्तैद।
नपे पगों से चलती डेढ़,
जैसे
फौजी करे परेड।
एक अकेली फिरे दुखी,
दो दिखे तो मिले खुशी।
मीठे सुर में गाती गान,
पीला अंजन आँख में तान।
दल में रहती हैं ये साथ
भूरा, काला इनका गात।
कभी घास, कभी बैठी तार,
भिन्न रंग और कई प्रकार।
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2- मियाँ मिट्ठू
अपने मुँह बनते
मियाँ मिट्ठू
लेकर तारीफों
के पिट्ठू।
मुस्कान बहुत ही
मुख पर आए,
जब होते अपनी
बातों पे लट्टू।
अपने मुँह बनते
मियाँ मिट्ठू,
लेकर तारीफों
के पिट्ठू।
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3- अड़ियल टट्टू
भोंदू भाई अड़ियल टट्टू,
अपनी ज़िद के बने हैं रट्टू।
रत्ती भर ना हड़ियाँ ठेलें ,
दिनभर सोए , बड़े निखट्टू।
अड़ जाएँ जब बात पे अपनी,
टस्स से मस्स ना होते गट्टू ।
भोंदू भाई अड़ियल टट्टू,
अपनी ज़िद के बने हैं रट्टू।
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4- गिट्टी फोड़
गिट्टी ऊपर गिट्टी की होड़,
मिलकर खेलें गिट्टी फोड़।
लगा निशाना तान के गेंद,
छितरे गिट्टी होड़ को तोड़।
लपके सारे गेंद की ओर,
बंटी,हरिया,मधू,किशोर।
धर पाया ना भूरा होड़,
तड़ी गेंद की पाया जोर।
गिट्टी ऊपर गिट्टी की होड़,
मिलकर खेले गिट्टी फोड़।
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बहुत सुंदर बाल कविताएँ। हार्दिक बधाई। सुदर्शन रत्नाकर
ReplyDeleteबच्चों को लुभाती बहुत खास बाल कविताएँ । हार्दिक बधाई लिली मित्रा जी ।
ReplyDeleteविभा रश्मि
बहुत सुंदर कविताएँ... हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteवाह! बहुत सुंदर कविताएं। हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteबहुत मनभावन बाल कविताएँ, मेरी बधाई
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