Saturday, December 7, 2019

151



बाल गीत
ज्योत्स्ना प्रदीप

1- चीनू भैया

चीनू  भैया सोये - सो
उठकर देखो रोये - रो

कहते टीचर डॉटेगी
नंबर मेरे काटेगी ।

कर सके  नहीं  तैयारी
आज परीक्षा है भारी ।

दीदी बोली ,"चुप हो जाओ ,
कुछ  पढ़ा दूँ ,पास तो आओ "!

2-सरदी आई

सरदी आई, सरदी आई ।
लेकर अपने संग रज़ाई 

मोनू  माँगे टोपा नीला ।
सीमा का स्वेटर रँगीला 

मूँगफली  के दिन फिर आ
गाजर का हलवा भी खा

मम्मी   मेवा  बना रही है ।
तिल, बादाम मिला रही है ।

पापा जब भी घर को आते ।
काजू वाला तिलकुट लाते ।

पापा   माँगे   चाय   निराली
कड़क बनी हो अदरक वाली।

दादा -दादी  काँपे थर - थर
कमरे में रख दो तुम हीटर ।
-0-
3-अक्कू का बर्थडे

सबसे लवली- लवली डे
अक्कू  का  हैप्पी बर्थ डे ।

टॉम- जैरी वाला  है  केक
गिफ्ट  मिलते हैं उसे अनेक ।

छोले - पूरी और रसगुल्ले
खाना -गाना, हो  हल्ले -गुल्ले 

गोलगप्पे  हैं ,वड़ा, समोसा
सांभर,चटनी ,इडली - डोसा ।

ऊपर  से , टॉफी -चाकलेट
"मुझको बख़्शो "बोला रे पेट!
-0-
4-गुब्बारे

गुब्बारे  प्यारे  गुब्बारे
लगते कितनें ये न्यारे 

लाल -लाल सोनू लाया
मोनू को पीला भाया ।
आरव नीला ले आया
हरा जिया के मन छाया ।

नभ में उड़ते हैं सारे
गुब्बारे प्यारे गुब्बारे ।

पापा जब भी आते हैं
गुब्बारे संग लाते हैं ।
हम तो खूब फुलाते हैं
कमरे में लटकाते है ।

खेल-खेल के न हारे ।
गुब्बारे प्यारे गुब्बारे ।


सब  रंग  के  गुब्बारे  लाता
जन्म-दिवस जिसकाभी आता
टाफी से भरा एक मटका
मोटा लाल  गुब्बारा लटका

फट कर ,टाफी  बरसा रे
गुब्बारे प्यारे  गुब्बारे।
-0-

6 comments:

  1. ज्योत्स्ना जी बचपन याद दिला दिया, बहुत अच्छी रचनाएँ, आपको बधाई!

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  2. वाह, चारों रचनाएं मनभावन। बधाई

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  3. बचपन की स्मृतियों को साकार करता 'सरदी आई'अन्य बालगीत भी बच्चों के मनोभावो के अनुकूल मनभावन
    बधाई ज्योत्सना जी।

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  4. प्यारी बाल कविताएं । बधाई

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  5. बहुत सुंदर बाल गीत।बधाई ज्योत्सना जी।

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  6. ज्योत्स्ना जी ने कितने प्यारे प्यारे बाल गीत लिखे हैं. मेरा मन भी बच्चों-सा खिल गया. बहुत बधाई आपको.

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