बाल गीत
ज्योत्स्ना प्रदीप
1- चीनू भैया
चीनू
भैया सोये - सोए
उठकर देखो रोये - रोए ।
कहते टीचर डॉटेगी
नंबर मेरे काटेगी ।
कर सके नहीं तैयारी
आज परीक्षा है भारी ।
दीदी बोली ,"चुप हो जाओ ,
कुछ
पढ़ा दूँ ,पास तो आओ "!
2-सरदी आई
सरदी आई, सरदी आई ।
लेकर अपने संग रज़ाई ।
मोनू
माँगे टोपा नीला ।
सीमा का स्वेटर रँगीला ।
मूँगफली
के दिन फिर आए।
गाजर का हलवा भी खाए ।
मम्मी
मेवा बना रही है ।
तिल, बादाम
मिला रही है ।
पापा जब भी घर को आते ।
काजू वाला तिलकुट लाते ।
पापा
माँगे चाय निराली
कड़क बनी हो अदरक वाली।
दादा -दादी
काँपे थर - थर
कमरे में रख दो तुम हीटर ।
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3-अक्कू का बर्थडे
सबसे लवली- लवली डे
अक्कू
का हैप्पी बर्थ डे ।
टॉम- जैरी वाला है केक
गिफ्ट
मिलते हैं उसे अनेक ।
छोले - पूरी और रसगुल्ले
खाना -गाना, हो हल्ले -गुल्ले ।
गोलगप्पे
हैं ,वड़ा, समोसा
सांभर,चटनी ,इडली - डोसा ।
ऊपर
से , टॉफी -चाकलेट
"मुझको बख़्शो "बोला रे पेट!
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4-गुब्बारे
गुब्बारे
प्यारे गुब्बारे
लगते कितनें ये न्यारे ।
लाल -लाल सोनू लाया
मोनू को पीला भाया ।
आरव नीला ले आया
हरा जिया के मन छाया ।
नभ में उड़ते हैं सारे
गुब्बारे प्यारे गुब्बारे ।
पापा जब भी आते हैं
गुब्बारे संग लाते हैं ।
हम तो खूब फुलाते हैं
कमरे में लटकाते है ।
खेल-खेल के न हारे ।
गुब्बारे प्यारे गुब्बारे ।
सब
रंग के गुब्बारे
लाता
जन्म-दिवस जिसकाभी आता
टाफी से भरा एक मटका
मोटा लाल
गुब्बारा लटका
फट कर ,टाफी बरसा रे
गुब्बारे प्यारे गुब्बारे।।
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ज्योत्स्ना जी बचपन याद दिला दिया, बहुत अच्छी रचनाएँ, आपको बधाई!
ReplyDeleteवाह, चारों रचनाएं मनभावन। बधाई
ReplyDeleteबचपन की स्मृतियों को साकार करता 'सरदी आई'अन्य बालगीत भी बच्चों के मनोभावो के अनुकूल मनभावन
ReplyDeleteबधाई ज्योत्सना जी।
प्यारी बाल कविताएं । बधाई
ReplyDeleteबहुत सुंदर बाल गीत।बधाई ज्योत्सना जी।
ReplyDeleteज्योत्स्ना जी ने कितने प्यारे प्यारे बाल गीत लिखे हैं. मेरा मन भी बच्चों-सा खिल गया. बहुत बधाई आपको.
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