Wednesday, May 8, 2019

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कमला  निखुर्पा 




11 comments:

  1. वाह - बहुत ही सुंदर , मनभावन कविता

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  2. अरे वाह...इरेज़र और पेंसिल की लड़ाई ने तो बचपन में दोस्तों के संग छोटी-छोटी बातों पर होने वाली तकरार की याद दिला दी...| आखिर में हम बच्चे भी इसी तरह एक होकर फिर मिल जाते थे |

    खूब मज़ा आया इस बालकविता को पढ़ कर...बहुत बधाई आपको...|

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  3. वाह,बहुत सुंदर बालकों के लिए सहज भाषा मे लिखी गई रोचक एवम प्रेरक कविता।बधाई कमला निखुर्पा जी

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  4. बहुत सुंदर प्रेरणाप्रद बाल कविता...बधाई कमला जी।

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  5. कमला निखुर्पा जी की "शोर मचा जब बसते में" बच्चों की लिखित कविताओं एक श्रेष्ठ कविता है | हमें बाल साहित्य इस प्रकार की रचनाओं से सुसज्जित करना चाहिए | मेरा विश्वास है कि यह कविता सभी के मन को भायेगी | निखुर्पा जी को बहुत सारी बधाई - श्याम त्रिपाठी -हिन्दी चेतना |

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  6. धन्यवाद सबका
    हिमांशु भैया को नमन की उन्होंने मेरी कविता को पतंग की उड़ान के योग्य समझा और स्थान दिया ।

    आपकी टिप्पणियां मेरे लिए अनमोल हैं

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  7. प्रेरणाप्रद तथा मन को लुभाने वाली बाल कविता...बहुत - बहुत बधाई कमला जी!!

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  8. प्रेरणाप्रद तथा मन को लुभाने वाली बाल कविता...बहुत - बहुत बधाई कमला जी!!

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  9. प्रेरणाप्रद तथा मन को लुभाने वाली बाल कविता...बहुत - बहुत बधाई कमला जी!!

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  10. मनभावन बाल कविता है हार्दिक बधाई कमला जी |

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  11. बदलते माहौल में कई बार छोटी-छोटी बातें भी बड़ी प्रेरक सी बन जाती हैं। मेरा ब्लॉग कुछ यादों को सहेजने का ही जतन है। अन्य चीजों को भी साझा करता हूं। समय मिलने पर नजर डालिएगा
    Hindi Aajkal

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