Thursday, March 22, 2018

146-पानी



28 comments:

  1. सारगर्भित एवं चिंतनीय, हार्दिक बधाई

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  2. बहुत आभार कविता जी। आज व्यस्त रहने के कारन पोस्त लगाने में विलम्ब हुआ।

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  3. अति सुंदर सार्थक रचना...हार्दिक बधाई।

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  4. bhut sarthak rchna bahut bahut badhai...

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  5. कृष्णा जी ,भावना जी बहुत आभार

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  6. बहुत ही सुन्दर ढंग से पानी से सम्बन्धित मुहावरों का प्रयोग सिखाया जा सकता है इस कविता के माध्यम से । "माटी पानी और हवा" में माटी मे जो सहजता और प्रवाह है वो मिट्टी कहने मे बाधित होता है । वैसे भी अापकी रचना मे कोई भी बदलाव अापकी अनुमति के बिना नहीं किया जाना चाहिये था

    खैर जो भी है कविता बहुत सुन्दर है, बहुत बहुत बध़ाई

    सादर
    मंजु

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  7. पुस्तक का नाम मैंने 'माटी पानी और हवा ' रखा था , जिसको सरकारी विद्वानों ने माटी की जगह मिट्टी कर दिया। इस कविता में पूछते को पूँछते कर दिया और दुनिया को दुनियाँ, जो गलत हैं। on 146-पानी

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  8. वाह क्या पानी का गुणगान किया
    पानी को ही आपने पानी पिला दिया
    पानी देख रहा खुद को अब तो पानी मे
    पानी को सिर के ऊपर से गुजार ढिया। सविता
    बहुत बढ़िया लगी पानी पर कविता भैया😊😊😊🙏

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  9. सुंदर ,सार्थक सृजन के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय ।🙏🙏🙏👏👏👏👏

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  10. सोचा नहीं था कि पानी के विभिन्न अर्थों एवं प्रयोगों को एक ही स्थान पर इतनी सुन्दरता से प्रकट किया जा सकता है | पानी की महिमा का सुन्दर वर्णन | बहुत-बहुत बधाई आपको |
    पूर्वा शर्मा

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  11. सुंदर सार्थक सृजन
    सच पानी बिना कुछ नही ।
    बधाई भइया

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  12. सुंदर सार्थक सृजन
    सच पानी बिना कुछ नही ।
    बधाई भइया

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  13. सुंदर ,सार्थक सृजन के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय !!

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  14. पानी की गुणवत्ता तो पारखी ही जानते हैं और मुहावरों का यूँ पानीमयी समावेश अदभुत ,दुर्लभ व मनन योग । दिली दाद आपको आदरणीय सर जी सादर अभिनंदन 💐💐

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  15. दोनों अर्थों में पानी के महत्व को रेखांकित करती शानदार अर्थगर्भी कविता, बधाई!

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  16. बहुत बढ़िया सृजन

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  17. बहुत सुंदर, पानी के साथ जीवनके हर रंग को आपने बड़ी ख़ूबसूरती से समेटा है!

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  18. पानीदार मुहावरों के साथ बहुत सुंदर रचना !सरल, सहज ग्राह्य ...अनुपम सृजन के लिए हार्दिक बधाई।

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  19. सभी गुणिजन का बहुत -बहुत आभार। आप सबकी सराहना मेरी शक्ति है। काम्बोज

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  20. पानी के मुहावरों का कविता में सुन्दर व सहज प्रयोग ने कविता को सारगर्भित व सार्थक फना दिया है । हृदयतल से बधाई हिमांशु भाई ।

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  21. मुहावरों के माध्यम से पानी का महत्व दर्शाती कविता पढ़ कर मुझे कविवर रहीम दास जी का निम्न
    दोहा याद आ गया :

    ' रहिमन पानी राखिये,बिन पानी सब सून|
    पानी बिना न उबरे,मोती मानुस चून ||'
    पुष्पा मेहरा

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  22. बहुत बढ़िया सार्थक सृजन ..👌👌 हार्दिक बधाई भैया

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  23. बहुत ही सुंदर एवं सार्थक कविताएँ ! हार्दिक बधाई भैया जी!!!

    ~सादर
    अनिता ललित

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  24. बेहद खूबसूरत ..कमाल की रचना है आद.भैया जी, बहुत - बहुत बधाई आपको !

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  25. बहुत ही सुन्दर रचना...| बच्चों को मानो खेल खेल में कितनी गंभीर बात भी सिखा दी और साथ ही इतने मुहावरों से भी इस तरह परिचित करवाया कि उन्हें हमेशा याद रह जाएगा |
    बहुत बहुत बधाई और आभार भी...एक बार फिर हमे बचपन में ले जाकर कुछ सिखाने के लिए...|

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  26. बहुत सुंदर कविता सर... पानी पर प्रचलित मुहावरों का अति सुंदर और सटीक प्रयोग हुआ

    बधाई

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  27. बहुत सुंदर कविता सर... पानी पर प्रचलित मुहावरों का अति सुंदर और सटीक प्रयोग हुआ

    बधाई

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