बहुत ही सुन्दर ढंग से पानी से सम्बन्धित मुहावरों का प्रयोग सिखाया जा सकता है इस कविता के माध्यम से । "माटी पानी और हवा" में माटी मे जो सहजता और प्रवाह है वो मिट्टी कहने मे बाधित होता है । वैसे भी अापकी रचना मे कोई भी बदलाव अापकी अनुमति के बिना नहीं किया जाना चाहिये था
खैर जो भी है कविता बहुत सुन्दर है, बहुत बहुत बध़ाई
पुस्तक का नाम मैंने 'माटी पानी और हवा ' रखा था , जिसको सरकारी विद्वानों ने माटी की जगह मिट्टी कर दिया। इस कविता में पूछते को पूँछते कर दिया और दुनिया को दुनियाँ, जो गलत हैं। on 146-पानी
वाह क्या पानी का गुणगान किया पानी को ही आपने पानी पिला दिया पानी देख रहा खुद को अब तो पानी मे पानी को सिर के ऊपर से गुजार ढिया। सविता बहुत बढ़िया लगी पानी पर कविता भैया😊😊😊🙏
सोचा नहीं था कि पानी के विभिन्न अर्थों एवं प्रयोगों को एक ही स्थान पर इतनी सुन्दरता से प्रकट किया जा सकता है | पानी की महिमा का सुन्दर वर्णन | बहुत-बहुत बधाई आपको | पूर्वा शर्मा
बहुत ही सुन्दर रचना...| बच्चों को मानो खेल खेल में कितनी गंभीर बात भी सिखा दी और साथ ही इतने मुहावरों से भी इस तरह परिचित करवाया कि उन्हें हमेशा याद रह जाएगा | बहुत बहुत बधाई और आभार भी...एक बार फिर हमे बचपन में ले जाकर कुछ सिखाने के लिए...|
सारगर्भित एवं चिंतनीय, हार्दिक बधाई
ReplyDeleteबहुत आभार कविता जी। आज व्यस्त रहने के कारन पोस्त लगाने में विलम्ब हुआ।
ReplyDeleteअति सुंदर सार्थक रचना...हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteसारगर्भित, बधाई
ReplyDeletebhut sarthak rchna bahut bahut badhai...
ReplyDeleteकृष्णा जी ,भावना जी बहुत आभार
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर ढंग से पानी से सम्बन्धित मुहावरों का प्रयोग सिखाया जा सकता है इस कविता के माध्यम से । "माटी पानी और हवा" में माटी मे जो सहजता और प्रवाह है वो मिट्टी कहने मे बाधित होता है । वैसे भी अापकी रचना मे कोई भी बदलाव अापकी अनुमति के बिना नहीं किया जाना चाहिये था
ReplyDeleteखैर जो भी है कविता बहुत सुन्दर है, बहुत बहुत बध़ाई
सादर
मंजु
पुस्तक का नाम मैंने 'माटी पानी और हवा ' रखा था , जिसको सरकारी विद्वानों ने माटी की जगह मिट्टी कर दिया। इस कविता में पूछते को पूँछते कर दिया और दुनिया को दुनियाँ, जो गलत हैं। on 146-पानी
वाह क्या पानी का गुणगान किया
ReplyDeleteपानी को ही आपने पानी पिला दिया
पानी देख रहा खुद को अब तो पानी मे
पानी को सिर के ऊपर से गुजार ढिया। सविता
बहुत बढ़िया लगी पानी पर कविता भैया😊😊😊🙏
सुंदर ,सार्थक सृजन के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय ।🙏🙏🙏👏👏👏👏
ReplyDeleteसोचा नहीं था कि पानी के विभिन्न अर्थों एवं प्रयोगों को एक ही स्थान पर इतनी सुन्दरता से प्रकट किया जा सकता है | पानी की महिमा का सुन्दर वर्णन | बहुत-बहुत बधाई आपको |
ReplyDeleteपूर्वा शर्मा
सुंदर सार्थक सृजन
ReplyDeleteसच पानी बिना कुछ नही ।
बधाई भइया
सुंदर सार्थक सृजन
ReplyDeleteसच पानी बिना कुछ नही ।
बधाई भइया
ReplyDeleteसुंदर ,सार्थक सृजन के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय !!
पानी की गुणवत्ता तो पारखी ही जानते हैं और मुहावरों का यूँ पानीमयी समावेश अदभुत ,दुर्लभ व मनन योग । दिली दाद आपको आदरणीय सर जी सादर अभिनंदन 💐💐
ReplyDeleteदोनों अर्थों में पानी के महत्व को रेखांकित करती शानदार अर्थगर्भी कविता, बधाई!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया सृजन
ReplyDeleteबहुत सुंदर, पानी के साथ जीवनके हर रंग को आपने बड़ी ख़ूबसूरती से समेटा है!
ReplyDeleteपानीदार मुहावरों के साथ बहुत सुंदर रचना !सरल, सहज ग्राह्य ...अनुपम सृजन के लिए हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteसभी गुणिजन का बहुत -बहुत आभार। आप सबकी सराहना मेरी शक्ति है। काम्बोज
ReplyDeleteपानी के मुहावरों का कविता में सुन्दर व सहज प्रयोग ने कविता को सारगर्भित व सार्थक फना दिया है । हृदयतल से बधाई हिमांशु भाई ।
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ReplyDeleteमुहावरों के माध्यम से पानी का महत्व दर्शाती कविता पढ़ कर मुझे कविवर रहीम दास जी का निम्न
दोहा याद आ गया :
' रहिमन पानी राखिये,बिन पानी सब सून|
पानी बिना न उबरे,मोती मानुस चून ||'
पुष्पा मेहरा
बहुत बढ़िया सार्थक सृजन ..👌👌 हार्दिक बधाई भैया
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर एवं सार्थक कविताएँ ! हार्दिक बधाई भैया जी!!!
ReplyDelete~सादर
अनिता ललित
बेहद खूबसूरत ..कमाल की रचना है आद.भैया जी, बहुत - बहुत बधाई आपको !
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर रचना...| बच्चों को मानो खेल खेल में कितनी गंभीर बात भी सिखा दी और साथ ही इतने मुहावरों से भी इस तरह परिचित करवाया कि उन्हें हमेशा याद रह जाएगा |
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई और आभार भी...एक बार फिर हमे बचपन में ले जाकर कुछ सिखाने के लिए...|
बहुत सुंदर कविता सर... पानी पर प्रचलित मुहावरों का अति सुंदर और सटीक प्रयोग हुआ
ReplyDeleteबधाई
बहुत सुंदर कविता सर... पानी पर प्रचलित मुहावरों का अति सुंदर और सटीक प्रयोग हुआ
ReplyDeleteबधाई