Friday, November 10, 2017

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दादी अम्मा से सुनी कहानी

सत्या शर्मा कीर्ति
[ 14 वर्ष  की अवस्था में लिखी  कविता ]


बच्चों आज मैं तुम्हें एक ऐसी कहानी सुनाने जा रही हूँ
जिसे कभी मेरी प्यारी दादी अम्मा ने सुनाया था ।
एक रात मैं सोई थी , लगा कोई बच्ची रोई थी ।
मैं उठी पर डर रही थी , क्योंकि घर में कोई बच्ची नहीं थी ।
रात की गहरी खामोशी सी थी , और मैं अकेली अनाड़ी सी थी ।
घर और आबादी में थी दूरी , ये भी थी एक मेरी मजबूरी ।
पर मैं खुद में साहस भर के,हाथों में फर्सा लेकरके ।
अपने बालों को समेट कर , चल दी ईश्वर को याद कर ।

दादी माँ की बातें सुनकर ,काँटा हो गई मैं सूख कर ।
दादी से मैं यूँ लिपट गई , जैसे सारी दुनिया सिमट गई।

दादी बोली- गुड़िया रानी, सुनो अब आगे की कहानी ....
दादी जो बोली आगे ,सुन कर सारे हिम्मत भागे ।

हाथों में फिर फर्सा लेकर ,सारे जग की हिम्मत भरकर ।
लगी ढूँढने आवाज को , खोजने लगी उस राज को ।
छत भी बड़ी थी, घर भी बड़ा था ।
कोना खिड़की सब ही बड़ा था ।
अकेले मैंने सब जगह खोजा , मेरे सिवा न था कोई दूजा ।
आखिर क्या बात है , इसमें क्या  राज है ।
जरूर कोई भूत होगा, चाहे कोई प्रेत होगा ।
हो सकता है भगवान हो ,
मेरे जीवन का अरमान हो ।
फिर मुझे कुछ याद आया ,
खोलना भूल गई थी पीछे का दरवाजा ।
फिर हौले से जो दरवाजा खोली,
लगा चारों है ओर कोयल  बोली।

वाह! क्या नजारा था ,
 जैसे सब हमारा था ।
चारों ओर हरियाली थी ,
आकाश में कुछ लाली थी ।
सुगंधित हवा चल रही थी,
 फूलों की सुंदरता मन मोह रही थी ।

झरने सैकड़ों बह रहे थे
पंछी कलरव कर रहे थे ।

इन सबों के बीच में ,
 फूलों की प्यारी सेज में ।
जैसे स्वर्ग की अप्सरा हो ,
 या परियों की शहजादी हो ।
देखने में तो बड़ी सुंदर थी ,
पर बेचारी रो रही थी ।
मैंने ख़ुशी और ममता से भरकर
चूम लिया उसे गोद में लेकर ।

फिर जाने क्या इत्तिफाक हुआ,
जैसे सब धुँधला सा गया ।
मुझे न फिर कुछ होश रहा ,
जग का भी कुछ न ध्यान रहा ।

बाद में जब होश आया ,
वहाँ तो वीराना सा था छाया।
पर! गोद में एक हसीना थी,


जो बहुत ही प्यारी थी ।

जानती हो वो कौन है , मैंने पूछा कौन है ।

मेरे पास जो सोई है , बातों में मेरे खोई है ।
वही है देखो बड़ी सयानी , मेरी प्यारी गुड़िया रानी ।

दादी माँ की बातें सुनकर , कुप्पा हो गई मैं फूलकर।
दादी को भी भूल गई, जैसे मुझे यहाँ आकर कोई भूल हुई ।

फिर दादी कुछ हामी भरकर, बोली मुझसे कुछ हँसकर ।
मैंने ये कहानी तब सुनी थी , जब तुमसे भी छोटी थी ।।

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13 comments:

  1. बहुत सुंदर, हार्दिक बधाई ।

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    1. हार्दिक धन्यवाद कविता जी

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    2. बहुत बहुत हार्दिक धन्यवाद कविता जी

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  2. बड़ी सलोनी सी ये काव्य कथा...| मेरी ढेरों बधाई...|

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    1. बहुत आभार आपका प्रियंका जी

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  3. बहुत रूमानी सी कथा ।बधाई ।

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    1. बहुत बहुत आभरी हूँ विभा जी

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  4. बच्चों को बहलाती सुंदर रचना। बधाई

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    1. सादर आभार आदरणीय सर

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    2. सादर आभार आदरणीय सर

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  5. बहुत बहुत सादर आभार भैया जी मेरी कविता को स्थान देने के लिए ।
    हार्दिक धन्यवाद

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  6. बहुत सुंदर मनभावन रचना, हार्दिक बधाई सत्या कीर्ति जी

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  7. बहुत प्यारी रचना सत्या जी ...आपको हार्दिक बधाई !!

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