डॉ.रामनिवास 'मानव' की तीन कविताएँ
1-होगा
विकास तभी
बच्चो, पढ़ना बहुत ज़रूरी।
पर उतना ही खेल ज़रूरी।
ताल–मेल दोनों में होगा,
होगा व्यक्तित्व–विकास तभी।
देश–देश का ज्ञान
ज़रूरी,
और बड़ा विज्ञान ज़रूरी।
ज्ञान और विज्ञान मिलेंगे,
होगा व्यक्तित्व–विकास तभी।
अधिकार–कर्त्तव्य को जानो।
जीवन–मंजिल को पहचानो।
जीवन क्या है ? जब समझोगे,
होगा व्यक्तित्व–विकास तभी।
खेल–कूद को जीवन समझो,
और काम को पूजन समझो।
काम–काज की आदत डालो,
होगा व्यक्तित्व–विकास तभी।
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2- मिलकर सोचें
मिलकर बैठें, मिलकर सोचें,
बातें करें विकास की।
आपस में हो भाईचारा।
मन हो ज्यों मन्दिर–गुरुद्वारा।
रहे भावना भरी मनों में
मस्ती औ’ उल्लास
की।
अलग–अलग हों रंग सभी
के।
अलग–अलग हों ढंग सभी
के।
फिर भी रहे एकता सब में,
डोरी हो विश्वास की।
नापें धरती, उड़ें गगन में।
संकल्पों का बल हो मन में।
स्वर्ग बनाना है धरती को,
आशा करें उजास की।
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3-दादी
माँ
दादी माँ का क्या कहना है !
सोने–चाँदी
का गहना है।
दया–धर्म की सूरत दादी।
ममता की है मूरत दादी।
अनुभव की गठरी है दादी।
जीवन की पटरी है दादी।
माना इनकी उम्र पकी है,
लेकिन दादी नहीं थकी है।
धीरे–धीरे चलती दादी।
आशीषों में फलती दादी।
पूरे घर का हाथ बँटाती।
जीभर सब पर प्यार लुटाती।
दादी से घर, है घर दादी।
सबसे बड़ी धरोहर दादी।
प्यार–भरी पिचकारी दादी।
लगती मां से प्यारी दादी।
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bahut sunder bachchon ki kavitayen
ReplyDeletebadhai
Rachana
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (31-05-2015) को "कचरे में उपजी दिव्य सोच" {चर्चा अंक- 1992} पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
बहुत खूबसूरत
ReplyDeleteसुन्दर सन्देश देती बहुत सुन्दर रचनाएँ ...हार्दिक बधाई !!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सन्देशप्रद बाल कविताएँ...बहुत बधाई !
ReplyDeletesabhi rachnayen bahut sundar hain ye panktiyan bahut achhi lagin...
ReplyDeleteअनुभव की गठरी है दादी।
जीवन की पटरी है दादी।
माना इनकी उम्र पकी है,
लेकिन दादी नहीं थकी है।
Bahut bahut badhai...
बहुत प्रेरक और सुन्दर बाल-रचनाएँ...हार्दिक बधाई...|
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