मंजु मिश्रा
हम छोटे -छोटे बच्चे हैं
पर काम हमारे अच्छे हैं
हम बच्चे मन के सच्चे हैं
हम जो चाहें कर सकते हैं
हम छोटे छोटे बच्चे हैं
मम्मी पापा दादी -दादा
नानी -नाना चाची -चाचा
प्यार हमें सब करते हैं
हम खुशियों से घर भरते है
हम छोटे छोटे बच्चे हैं
चाहें तो हम आसमान में
पंख बिना उड़ सकते हैं
चाहें तो हम सागर की
लहरों पर चल सकते हैं
हम छोटे छोटे बच्चे हैं
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बहुत सुन्दर और प्यारी कविता है! प्यारे प्यारे नन्हे नन्हे बच्चों के कोमल और नाज़ुक मन की तरह ख़ूबसूरत कविता!
ReplyDeleteक्या कहने
ReplyDeleteबहुत सुंदर
क्या कहने
ReplyDeleteबहुत सुंदर
waah bahut khub..........man ko bhaa gayi...aapki kavita
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteek zamaane baad aisi masoom rachna padhne ko mili hai..
ReplyDeletehumara bhi hausla badhaaye:
http://teri-galatfahmi.blogspot.com/
मुझे क्षमा करे की मैं आपके ब्लॉग पे नहीं आ सका क्यों की मैं कुछ आपने कामों मैं इतना वयस्थ था की आपको मैं आपना वक्त नहीं दे पाया
ReplyDeleteआज फिर मैंने आपके लेख और आपके कलम की स्याही को देखा और पढ़ा अति उत्तम और अति सुन्दर जिसे बया करना मेरे शब्दों के सागर में शब्द ही नहीं है
पर लगता है आप भी मेरी तरह मेरे ब्लॉग पे नहीं आये जिस की मुझे अति निराशा हुई है
http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.com/
चाहें तो हम आसमान में
ReplyDeleteपंख बिना उड़ सकते हैं
चाहें तो हम सागर की
लहरों पर चल सकते हैं
बहुत प्यारी रचना है...मेरी बधाई...।
प्रियंका गुप्ता